दंतेवाड़ा: आदिवासी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनीष कुंजाम ने किरंदुल में जारी आदिवासियों के आंदोलन को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधा है. कुंजाम का कहना है कि कांग्रेस इस मामले में सिर्फ राजनीति कर रही है. किरंदुल में डिपॉजिट 13 के विरोध के लिए 5 दिनों से हड़ताल जारी है.
5 दिनों से जारी हड़ताल पर सीएम भूपेश बघेल सरकार के 4 बिंदुओं पर सहमति दी है. मनीष कुंजाम ने सरकार की नीयत पर सवाल उठाए हैं. कुंजाम ने कहा कि दल में न तो विपक्ष और न ही संघर्ष समिति का कोई सदस्य था.
ये हैं मनीष कुंजाम के आरोप-
मनीष कुंजाम ने फर्जी ग्राम सभा के साक्ष्य आरटीआई से निकालकर दिखाए. उन्होंने जानकारी दी कि 2 दिन पहले ही फर्जी ग्राम सभा को लेकर किरंदुल थाने में आवेदन दिया है.
कुंजाम ने कहा कि ग्राम पंचायत की सरपंच 2014 में अंगूठा का प्रयोग करती थी. उसके दस्तखत कैसे हो गए. ग्रामसभा के दस्तावेजों में एक भी ग्रामीण के नाम के आगे उम्र, वल्दियत, कुछ भी नहीं दर्शाया गया.
उन्होंने कहा पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने इस फर्जी ग्राम सभा को प्रशासन से करवाया गया है. आंदोलन में समर्थन का दिखावा क्यों कर रहे हैं. कुंजाम ने कहा कि अगर सरकार वाकई इस ईमानदारी से ग्रामीणों के हक में फैसला देना चाहती है, तो फर्जी ग्राम सभा में ग्रामीणों के फर्जी हस्ताक्षर की जांच कर तत्कालीन अफसरों पर आपराधिक मामलों की तरह कार्रवाई करे.
मनीष कुंजाम ने कहा कि फर्जी ग्राम सभा की जांच भी फर्जी तरीके से की जाएगी क्योंकि अगर यह बात साबित हो गई तो फर्जी ग्राम के आधार पर लीज कैंसिल करेगी.
क्या हैं सरपंच के आरोप-
- फर्जी ग्राम सभा और कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर बैलाडिला स्थित इस लौह अयस्क खदान क्रमांक 13 में NMDC द्वारा अवैध खनन का आरोप लगाया गया है.
- हिरोली ग्राम पंचायत के सरपंच द्वारा इस संबंध में एक शिकायत किरंदुल थाना प्रभारी को की गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि साल 2014 में तत्कालीन कलेक्टर की शह पर NMDC के मुख्य प्रबंधक द्वारा फर्जी तरीके से ग्राम सभा का आयोजन किया गया.
- सरपंच ने आरोप लगाया कि बैलाडिला स्थित इस खदान क्रमांक 13 के खनन के लिए कभी कोई ग्राम सभा का आयोजन किया ही नहीं गया.
- सरपंच ने ये भी कहा कि जिस कथित ग्राम सभा में जो नाम दर्ज है उनमें से अधिकांश इस ग्राम पंचायत में निवास ही नहीं करते हैं.
- सरपंच बुथरी ने ये भी आरोप लगाया कि वो 2014 में अपना नाम लिखना ही नहीं जानती थी तब वो केवल अंगूठा लगाती थी, वो हाल ही में अपना लिखना सीखी है. सरपंच ने ये तमाम आरोप सूचना के अधिकार के तहत निकाले गए दस्तावेजों के आधार पर लगाए हैं.
आदिवासियों ने कहा कैसे दें अनुमति
बता दें कि एक ग्राम सभा के तहत पंचायत के 70 फीसदी लोगों द्वारा खनन के लिए अपनी सहमति देने संबंधी दस्तावेज दिए गए थे, जिस पर स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं कि हम जिस नंदी राज पहाड़ को देवता की तरह पूजते हैं, जो हमारी आस्था का केंद्र है उसी के खनन की सहमति हम कैसे दे सकते हैं.