दंतेवाड़ा: कोविड-19 के दौर में स्वास्थ्य व्यवस्था हिल चुकी है. अस्पतालों में लंबी कतार लगी है. सिस्टम भी सिमट गया है. चारों ओर मजबूरी और बेबसी का आलम है. इस भयावह दौर ने एक सोच को जन्म लिया. दंतेवाड़ा एसडीएम ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक अनूठी पहल की. डिजिटल क्रांति को कोरोना के खिलाफ हथियार के रूप में खड़ा किया.
SDM ने फाइट कोविड डॉट ऑनलाइन (fightcovid.online) वेबसाइट लॉन्च किया है. इसमें कोरोना के मरीजों की हर संभव मदद करने की कोशिश की जा रही है. पूरे देश में इस वेबसाइट के पांच लााख विजिटर हैं. इस वेबसाइट के जरिए कोविड के मरीजों की सेवा के लिए देश भर के 35 डॉक्टर काम कर रहे हैं. अहम बात ये है कि इस वेबसाइट में भाषा की भी समस्या नहीं है. किसी भी भाषा में बात करने पर मरीज की समस्या का निराकरण किया जा रहा है. प्राथमिक तौर पर छत्तीसगढ़ को ध्यान में रखकर वेबसाइट को लॉन्च किया गया है. एक क्लिक में यह पता चल जाएगा किस अस्पताल की क्या स्थति है. अस्पताल में कितने बेड खाली हैं ? ऑक्सीजन और प्लाज्मा की क्या स्थिति है ? कोविड पेशेंट घर में अकेला है. उसके खाने-पीने की व्यवस्था नहीं है तो एक क्लिक पर वालंटियर उनके घर सामान मुहैया करवा रहे हैं.
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आईएएस अविनाश मिश्रा के साथ आठ अन्य लोगों ने वेबसाइट को 10 दिन पहले लॉन्च किया था. वेबसाइट से लोगों को खासी मदद मिल रही है. इस वेबसाइट से 100 वालंटियर्स भी जुड़े हैं, जो दिन रात कोरोना मरीजों की मदद में लगे हुए हैं.
समाजसेवी संस्थाएं भी मदद के लिए जुड़ी
मोबाइल नं. 9111899909 पर कोई भी कोविड मरीज या उनके परिजन मैसेज कर सकते हैं. एसडीएम मिश्रा ने बताया कि फिलहाल छत्तीसगढ़ के लोगों को ही मदद हो पा रही है. लेकिन जल्द ही यह मदद बड़ा रूप लेगी. पूरे देश में हम लोगों की मदद कर पाएंगे. समाजसेवी संस्थाएं भी मदद के लिए जुड़ रही है. अभी तक सैकड़ों मरीजों की मदद की जा चुकी है.
8 दोस्तों ने बनाया वेबसाइट का प्लान
SDM ने बताया कि कार्यालय में स्टेनो के रिश्तेदार की कोविड से मौत हो गई. हर रोज वे उस मरीज का हाल पूछते थे, एक दिन स्टेनो आए और रुंधे गले से कहा साहब अब वो इस दुनिया में नहीं है. उस रात नींद नहीं आई. अपने दोस्तों से चर्चा की और मदद के लिए वेबसाइट का प्लान बनाया. यहीं से कोरोना मरीजों की मदद का सिलसिला शुरू हुआ. शुरुआत 8 दोस्तों से हुई थी,आज सैकड़ों मददगार साथ हैं.
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कैसे पहुंचाई जा रही है मरीजों को मदद?
अलग-अलग टीम बनाई गई है. ऑक्सीजन, प्लाज्मा और मेडिकल काउंसलिंग की टीम तैनात रहती है. मरीज को जिस तरह की मदद की जरूरत हो उस टीम को फॉरवर्ड कर दिया जाता है. यदि बिलासपुर में प्लाज्मा की जरूरत है, तो प्लाज्मा टीम तत्काल एक डोनर को उस हॉस्पिटल में कुछ समय में ही पहुंचाएगा. इसी तरह ऑक्सीजन के लिए काम हो रहा है. मेडिकल काउंसलिंग की जरूरत है तो डॉक्टर से बात करवाई जाएगी. भाषा की भी दिक्कत नहीं होगी.