दंतेवाड़ा: करीब 40 साल पहले अविभाजित मध्यप्रदेश के तत्कालीन कलेक्टर ने कुष्ठ रोगियों के इलाज के लिए अस्पताल बनवाने के लिए जमीन दी थी. इस अस्पताल का नाम 'कुष्ठ धाम' रखा गया था, लेकिन अब इस अस्पताल की हालत ऐसी है कि यहां डॉक्टर नहीं आते हैं. अस्पताल भवन भी जर्जर हो गया है.
10 साल से बंद पड़ा है अस्पताल
चितालंका पंचायत में दरकी दीवारों के बीच अपने दर्द को समेटे कुष्ठरोगी दयनीय हालात में जीवन बिता रहे हैं. यहां के रहने वाले केशव ने बताया कि कभी यहां 40 परिवार रहते थे. सभी इस बीमारी से ग्रसित थे, समाज ने दुत्कार दिया था. बस्तर कलेक्टर ने 40 साल पहले जमीन दी थी और इसी जमीन पर अस्पताल बना. इसका नाम कुष्ठ धाम रखा गया. लेकिन अब इस अस्पताल को बंद हुए 10 साल से अधिक हो गए हैं. अस्पताल की हालत खराब हो गई है. इसकी देख-रेख करने वाला कोई नहीं है. इस अस्पताल में एक कंपाउंडर को नियुक्त किया गया है, लेकिन वह भी कभी-कभार ही आता है.
मरीज के गल गए हाथ-पैर
वहीं कुष्ठ रोग के एक मरीज लिंगा ने बताया कि वह इस अस्पताल में कई साल पहले आया था, उसके इस रोग की वजह से हाथ-पैर गल गए थे. लिंगा ने यह भी बताया कि जिस समय वह इलाज के लिए यहां आया था, उस समय के सारे मरीज की मृत्यु हो गई है और अब यहां इलाज के लिए कोई नहीं आता है.
सभी स्टॉफ प्रशिक्षित है
इस मामले में जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ नेतराम नवरत्न का कहना है दवा उपलब्ध हैं, सरकारी अस्पतालों में इस बीमारी के इलाज के लिए सभी स्टॉफ प्रशिक्षित है. हालांकि शिकायत मिली है तो जांच की जाएगी.