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दंतेवाड़ा: जर्जर हुआ 'कुष्ठ धाम', बिन डॉक्टर और दवाओं के भटक रहे मरीज

कुष्ठ धाम अस्पताल की हालत जर्जर हो गई है. यहां एक भी डॉक्टर मौजूद नहीं है. कभी- कभी यहां कंपाउंडर आता है.

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Published : Jul 27, 2019, 12:53 PM IST

कुष्ठ रोगी

दंतेवाड़ा: करीब 40 साल पहले अविभाजित मध्यप्रदेश के तत्कालीन कलेक्टर ने कुष्ठ रोगियों के इलाज के लिए अस्पताल बनवाने के लिए जमीन दी थी. इस अस्पताल का नाम 'कुष्ठ धाम' रखा गया था, लेकिन अब इस अस्पताल की हालत ऐसी है कि यहां डॉक्टर नहीं आते हैं. अस्पताल भवन भी जर्जर हो गया है.

जर्जर हुआ कुष्ठ धाम

10 साल से बंद पड़ा है अस्पताल
चितालंका पंचायत में दरकी दीवारों के बीच अपने दर्द को समेटे कुष्ठरोगी दयनीय हालात में जीवन बिता रहे हैं. यहां के रहने वाले केशव ने बताया कि कभी यहां 40 परिवार रहते थे. सभी इस बीमारी से ग्रसित थे, समाज ने दुत्कार दिया था. बस्तर कलेक्टर ने 40 साल पहले जमीन दी थी और इसी जमीन पर अस्पताल बना. इसका नाम कुष्ठ धाम रखा गया. लेकिन अब इस अस्पताल को बंद हुए 10 साल से अधिक हो गए हैं. अस्पताल की हालत खराब हो गई है. इसकी देख-रेख करने वाला कोई नहीं है. इस अस्पताल में एक कंपाउंडर को नियुक्त किया गया है, लेकिन वह भी कभी-कभार ही आता है.

मरीज के गल गए हाथ-पैर
वहीं कुष्ठ रोग के एक मरीज लिंगा ने बताया कि वह इस अस्पताल में कई साल पहले आया था, उसके इस रोग की वजह से हाथ-पैर गल गए थे. लिंगा ने यह भी बताया कि जिस समय वह इलाज के लिए यहां आया था, उस समय के सारे मरीज की मृत्यु हो गई है और अब यहां इलाज के लिए कोई नहीं आता है.

सभी स्टॉफ प्रशिक्षित है
इस मामले में जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ नेतराम नवरत्न का कहना है दवा उपलब्ध हैं, सरकारी अस्पतालों में इस बीमारी के इलाज के लिए सभी स्टॉफ प्रशिक्षित है. हालांकि शिकायत मिली है तो जांच की जाएगी.

दंतेवाड़ा: करीब 40 साल पहले अविभाजित मध्यप्रदेश के तत्कालीन कलेक्टर ने कुष्ठ रोगियों के इलाज के लिए अस्पताल बनवाने के लिए जमीन दी थी. इस अस्पताल का नाम 'कुष्ठ धाम' रखा गया था, लेकिन अब इस अस्पताल की हालत ऐसी है कि यहां डॉक्टर नहीं आते हैं. अस्पताल भवन भी जर्जर हो गया है.

जर्जर हुआ कुष्ठ धाम

10 साल से बंद पड़ा है अस्पताल
चितालंका पंचायत में दरकी दीवारों के बीच अपने दर्द को समेटे कुष्ठरोगी दयनीय हालात में जीवन बिता रहे हैं. यहां के रहने वाले केशव ने बताया कि कभी यहां 40 परिवार रहते थे. सभी इस बीमारी से ग्रसित थे, समाज ने दुत्कार दिया था. बस्तर कलेक्टर ने 40 साल पहले जमीन दी थी और इसी जमीन पर अस्पताल बना. इसका नाम कुष्ठ धाम रखा गया. लेकिन अब इस अस्पताल को बंद हुए 10 साल से अधिक हो गए हैं. अस्पताल की हालत खराब हो गई है. इसकी देख-रेख करने वाला कोई नहीं है. इस अस्पताल में एक कंपाउंडर को नियुक्त किया गया है, लेकिन वह भी कभी-कभार ही आता है.

मरीज के गल गए हाथ-पैर
वहीं कुष्ठ रोग के एक मरीज लिंगा ने बताया कि वह इस अस्पताल में कई साल पहले आया था, उसके इस रोग की वजह से हाथ-पैर गल गए थे. लिंगा ने यह भी बताया कि जिस समय वह इलाज के लिए यहां आया था, उस समय के सारे मरीज की मृत्यु हो गई है और अब यहां इलाज के लिए कोई नहीं आता है.

सभी स्टॉफ प्रशिक्षित है
इस मामले में जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ नेतराम नवरत्न का कहना है दवा उपलब्ध हैं, सरकारी अस्पतालों में इस बीमारी के इलाज के लिए सभी स्टॉफ प्रशिक्षित है. हालांकि शिकायत मिली है तो जांच की जाएगी.

Intro:अब कुष्ठ रोग अभिशाप तो नही है,लेकिन अभी भी कुछ रोगी है जो इस दंश को 40 साल से झेल रहे हैं। मध्यप्रदेश शासन काल मे कुष्ठ रोगियों के लिए अलग व्यवस्था की गई। इनके लिए अस्पताल खोला गया। इतना ही बस्तर के तत्कालीन कलक्टर ने इन्हें जमीन भी दी। बतया जाता है यह जमीन 105 एकड़ थी। अब हालात ये है इन्हें देखने के लिए स्वास्थ्य विभाग से कोई डॉ नही जाता है।



Body:चितालंका पंचायत में दरकी दीवारों के बीच अपने दर्द को समेटे कुष्ठरोगी रह रहे है। यहां रहने वाला 70 वर्षीय केशव ने बताया कि कभी 40 परिवार रहते थे। सभी इस बीमारी से ग्रसित थे। समाज ने दुत्कार दिया था। बस्तर कलक्टर ने 40 साल पहले बसाया था। अस्पताल दिया। कमाने खाने के लिए जमीन दी। इतना ही नही इस अस्पताल का नाम कुष्ठ धाम रखा गया।

जर्जर हो गया अस्पताल, डॉ तो आते नही, कभी कभार आता है कंपाउंडर
अस्पताल को बंद हुए 10 वर्ष से अधिक हो गया है। अस्पताल भी जर्जर हो चुका है। इमारत की देख रेख होती नही हैं एक कंपाउंडर को नियुक्त किया गया है। कभ कभार ही आता है। हाँथ पेअर गाल रहे है। लिंगा ने बताया वह 15 वर्ष पहले आया था। उसके देखते देखते के लोग मर गए। कुछ लोग यहां से छोड़ कर चेले गए। इलाज तो दूर अब कोई देखने भी नही आता है।



Conclusion:जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ नेतराम नवरत्न का कहना हैंकि अब यो सभी जगह दावा मि रही है। स्वास्थ्य विभाग में इस बीमारी की दवा के लिए सभ दक्ष है। फिर भी इस मामले को दिखवाएंगे।
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