ETV Bharat / state

नवरात्र में करिए बस्तर की आराध्य देवी माई दंतेश्वरी के दर्शन

चैत्र नवरात्र में दंतेवाड़ा के दंतेश्वरी मंदिर में भक्तों का तांता लगता है. इस मंदिर की महिमा अपरंपार है. माई दंतेश्वरी बस्तर की आराध्य मानी जाती हैं. मंदिर को लेकर भी की विशेषताएं प्रचलित है.

history and importance of danteshwari temple
मां दंतेश्वरी मंदिर
author img

By

Published : Apr 12, 2021, 10:52 PM IST

Updated : Apr 12, 2021, 11:02 PM IST

दंतेवाड़ा: मंगलवार से चैत्र नवरात्र का पर्व शुरू हो रहा है. इस बीच ETV भारत आपको छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध देवी मंदिरों के दर्शन करा रहा है. वैसे तो छत्तीसगढ़ धार्मिक स्थलों की कमी नहीं है. लेकिन यहां कुछ शक्तिपीठ भी हैं. इन्हीं 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है बस्तर की आराध्य देवी माई दंतेश्वरी को.

9 रूपों की होती है पूजा

दंतेवाड़ा का मां दंतेश्वरी का मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है. 13वीं शताब्दी के इस मंदिर की कई विशेषता है. भक्त यहां दूर दराज से आते हैं. श्रद्धालु यहां जो भी मनोकामना मांगते हैं वो जरुर पूरी होती है. चैत्र नवरात्र में माई दंतेश्वरी नौ रूपों में भक्तों को दर्शन देती हैं. चैत्र नवरात्र में दंतेश्वरी माई की 9 दिनों तक विधि विधान से पूजा अर्चना कर 9 दिन 9 रूपों का श्रृंगार किया जाता है.

शंखिनी-डंकिनी नदी के संगम पर स्थापित हुई माई

प्रचलित किवदंतियों के मुताबिक माई दंतेश्वरी यहां वारंगल के राजा अन्नमदेव के साथ आई थीं. माताजी ने राजा से कहा था कि जहां तक तुम चलोगे वहां तक तुम्हारा राज्य होगा. लेकिन पीछे पलट कर मत देखना. अगर पलट कर देखोगे तो मैं वही स्थापित हो जाउंगी. इसके बाद माताजी ने राजा को चलने को कहा और माताजी राजा के पीछे चलने लगी. चलते-चलते राजा शंखिनी-डंकिनी के संगम पर पहुंचे, जहां माता के पैरों के पायलों की आवाज आनी बंद हो गई. राजा को शंका हुई कि माताजी उनके साथ नहीं आ रही हैं. जिसके बाद उन्होंने पीछे पलटकर देखा. इसी के बाद से माईजी शंखिनी-डंकिनी संगम स्थल पर ही स्थापित हो गईं.

नवरात्र पर घर बैठे ऑनलाइन होंगे माई दंतेश्वरी के दर्शन

बिना धोती के प्रवेश नहीं

मां दंतेश्वरी मंदिर की विशेषता ये है कि मां दंतेश्वरी के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं को धोती पहनकर मंदिर के अंदर प्रवेश दिया जाता है. बिना धोती के किसी को भी मंदिर के अंदर जाने की अनुमित नहीं है. फिर चाहे वह वीआईपी ही क्यों न हो. मां दंतेश्वरी मंदिर की विशेषताएं यह है कि मां दंतेश्वरी के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं को धोती पहन कर मंदिर के अंदर प्रवेश दिया जाता है चाहे वह वीआईपी हो या मंत्री

मंदिर में प्रज्जवलित की जाती है ज्योत

इस मंदिर की एक मान्यता ये भी है कि मां दंतेश्वरी के दर्शन करने से पहले भैरव बाबा के दर्शन किए जाते हैं. इसके बाद माई दंतेश्वरी के दर्शन किए जाते हैं. नवरात्र के दिनों में माई दंतेश्वरी के दरबार में दस से पंद्रह हजार घी और तेल के ज्योति कलश प्रज्जवलित किए जाते हैं. नवरात्र के दिनों में ज्योति कलश जलाने के लिए भक्तगण देश विदेश से आनलाइन रसीद कटवाते हैं और मां के सामने मनोकामना ज्योत जलवाते हैं.

बढ़ रही ज्योत की संख्या

बताया जाता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को माईजी कभी निराश नहीं करतीं. यही वजह है कि माईजी के प्रति लोगों की आस्था‍ बढ़ती ही जा रही है. माना जाता है कि सच्चे दिल से मुराद मांगकर माईजी के दरबार में ज्योत जलाने से हर मनोकामना पूरी होती है. यही वजह है कि ज्योत की संख्या भी हर साल बढ़ती जा रही है.

दंतेवाड़ा: मंगलवार से चैत्र नवरात्र का पर्व शुरू हो रहा है. इस बीच ETV भारत आपको छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध देवी मंदिरों के दर्शन करा रहा है. वैसे तो छत्तीसगढ़ धार्मिक स्थलों की कमी नहीं है. लेकिन यहां कुछ शक्तिपीठ भी हैं. इन्हीं 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है बस्तर की आराध्य देवी माई दंतेश्वरी को.

9 रूपों की होती है पूजा

दंतेवाड़ा का मां दंतेश्वरी का मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है. 13वीं शताब्दी के इस मंदिर की कई विशेषता है. भक्त यहां दूर दराज से आते हैं. श्रद्धालु यहां जो भी मनोकामना मांगते हैं वो जरुर पूरी होती है. चैत्र नवरात्र में माई दंतेश्वरी नौ रूपों में भक्तों को दर्शन देती हैं. चैत्र नवरात्र में दंतेश्वरी माई की 9 दिनों तक विधि विधान से पूजा अर्चना कर 9 दिन 9 रूपों का श्रृंगार किया जाता है.

शंखिनी-डंकिनी नदी के संगम पर स्थापित हुई माई

प्रचलित किवदंतियों के मुताबिक माई दंतेश्वरी यहां वारंगल के राजा अन्नमदेव के साथ आई थीं. माताजी ने राजा से कहा था कि जहां तक तुम चलोगे वहां तक तुम्हारा राज्य होगा. लेकिन पीछे पलट कर मत देखना. अगर पलट कर देखोगे तो मैं वही स्थापित हो जाउंगी. इसके बाद माताजी ने राजा को चलने को कहा और माताजी राजा के पीछे चलने लगी. चलते-चलते राजा शंखिनी-डंकिनी के संगम पर पहुंचे, जहां माता के पैरों के पायलों की आवाज आनी बंद हो गई. राजा को शंका हुई कि माताजी उनके साथ नहीं आ रही हैं. जिसके बाद उन्होंने पीछे पलटकर देखा. इसी के बाद से माईजी शंखिनी-डंकिनी संगम स्थल पर ही स्थापित हो गईं.

नवरात्र पर घर बैठे ऑनलाइन होंगे माई दंतेश्वरी के दर्शन

बिना धोती के प्रवेश नहीं

मां दंतेश्वरी मंदिर की विशेषता ये है कि मां दंतेश्वरी के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं को धोती पहनकर मंदिर के अंदर प्रवेश दिया जाता है. बिना धोती के किसी को भी मंदिर के अंदर जाने की अनुमित नहीं है. फिर चाहे वह वीआईपी ही क्यों न हो. मां दंतेश्वरी मंदिर की विशेषताएं यह है कि मां दंतेश्वरी के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं को धोती पहन कर मंदिर के अंदर प्रवेश दिया जाता है चाहे वह वीआईपी हो या मंत्री

मंदिर में प्रज्जवलित की जाती है ज्योत

इस मंदिर की एक मान्यता ये भी है कि मां दंतेश्वरी के दर्शन करने से पहले भैरव बाबा के दर्शन किए जाते हैं. इसके बाद माई दंतेश्वरी के दर्शन किए जाते हैं. नवरात्र के दिनों में माई दंतेश्वरी के दरबार में दस से पंद्रह हजार घी और तेल के ज्योति कलश प्रज्जवलित किए जाते हैं. नवरात्र के दिनों में ज्योति कलश जलाने के लिए भक्तगण देश विदेश से आनलाइन रसीद कटवाते हैं और मां के सामने मनोकामना ज्योत जलवाते हैं.

बढ़ रही ज्योत की संख्या

बताया जाता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को माईजी कभी निराश नहीं करतीं. यही वजह है कि माईजी के प्रति लोगों की आस्था‍ बढ़ती ही जा रही है. माना जाता है कि सच्चे दिल से मुराद मांगकर माईजी के दरबार में ज्योत जलाने से हर मनोकामना पूरी होती है. यही वजह है कि ज्योत की संख्या भी हर साल बढ़ती जा रही है.

Last Updated : Apr 12, 2021, 11:02 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.