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न मां की मौत से हारीं, न अभाव ने तोड़ा, डॉक्टर बनेंगी बस्तर की ये बेटियां

छत्तीसगढ़ सरकार नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले की उन दो बेटियों की एमबीबीएस की पढ़ाई का जिम्मा उठाएगी, जिन्होंने नीट की परीक्षा पास की लेकिन काउंसिलिंग में शामिल नहीं हो पाईं. दोनों ने सरकार और कलेक्टर को धन्यवाद दिया है. पद्मा और पीयूषा नाम की इन दोनों बेटियों ने अभाव और मुश्किलों को हारकर नीट की परीक्षा पास की है.

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नक्सलगढ़ की पद्मा मडे और बड़े पनेड़ा की पियूषा
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Published : Dec 3, 2020, 6:16 PM IST

दंतेवाड़ा: धुर नक्सल प्रभावित बोरजे की पद्मा मडे और बड़े पनेड़ा की बेटी पीयूषा के डॉक्टर बनने का सपना अब अधूरा नहीं रहेगा. छत्तीसगढ़ सरकार ने नक्सलगढ़ की बेटियों की जिंदगी रोशन करने का बीड़ा उठाया है. इन छात्राओं के एमबीबीएस की पढ़ाई का पूरा खर्च अब भूपेश सरकार देगी. प्राइवेट कॉलेज की पेमेंट सीट पर दोनों का दाखिला होगा. पूरे 5 साल की इस पढ़ाई के लिए इन दोनों बेटियों के लिए करीब 1 करोड़ से ज्यादा का खर्च सरकार खुद उठाएगी.

छत्तीसगढ़ सरकार ने नक्सलगढ़ की बेटियों की जिंदगी रोशन करने का बीड़ा उठाया है

इन दोनों बच्चियों ने अभाव में रहकर, बिना नेटवर्क वाले इलाके में पढ़ाई की और नीट की परीक्षा पास की. इसमें से पद्मा की मां की मृत्यु एग्जाम के 15 दिन पहली ही हुई. उसके पिता पहले ही गुजर गए थे. पीयूषा भी आर्थिक तंगी से गुजर रही है. जिले के 27 बच्चों ने नक्सल प्रभावित इलाके से निकलकर NEET की परीक्षा में सफलता हासिल की है. नेटवर्क की परेशानी की वजह से जो बच्चे नीट क्वॉलीफाई करने के बाद काउंसिलिंग में शामिल नहीं हो पाए थे. सरकार ने उनके दाखिले का जिम्मा जिम्मेदारी ली. दोनों लड़कियों ने सीएम भूपेश बघेल व कलेक्टर दीपक सोनी को धन्यवाद दिया है.

पढ़ें: SPECIAL: नक्सली गलियारे के अंधियारे में 'जादुई चिराग' का उजियारा, रोशन होगा नक्सलगढ़ का कुम्हारपारा

बेटियों की पढ़ाई के लिए सरकार उठा रही खर्च

छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद प्रदेश के इतिहास में पहली बार ऐसा होगा, जब प्राइवेट कॉलेज में MBBS की पढ़ाई के लिए इन छात्राओं का सरकार खुद खर्च उठा रही है. काउंसलिंग से वंचित रहने की खबर मिलने के बाद सीएम लगातार इसकी मॉनिटरिंग कर रहे थे. सीएम ने दंतेवाड़ा कलेक्टर दीपक सोनी से चर्चा की. साथ ही तुरंत निष्कर्ष निकाला कि बच्चों के भविष्य को किसी कीमत पर बर्बाद नहीं होने दिया जाए. सीएम की इस घोषणा के बाद दंतेवाड़ा प्रशासन ने प्रक्रिया भी शुरू कर दी है.

सरकार बेटियों को पहुंचाएगी हर संभव मदद

सर्व आदिवासी समाज के लोग दंतेवाड़ा कलेक्टर दीपक सोनी से मिलने मिठाई लेकर पहुंचे. सरकार के इस फैसले के लिए समाज के लोगों ने शासन-प्रशासन को धन्यवाद दिया. कलेक्टर ने कहा कि इन दोनों छात्राओं के अलावा भी कटऑफ के मुताबिक जो बच्चे पात्र होंगे, उनके लिए भी यही नियम लागू होगा. कलेक्टर ने कहा कि शासन-प्रशासन बच्चों की पढ़ाई के लिए हर संभव मदद के लिए तैयार है.

पढ़ें: SPECIAL: बच्चों में शिक्षा की अलख जगा रहे कोरिया के 'सिनेमा वाले बाबू', खास है इनका मोहल्ला क्लास !

विधायक देवती कर्मा ने सीएम का किया धन्यवाद

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के फैसले का छात्राओं ने स्वागत किया है. साथ ही दोनों छात्राओं ने सीएम बघेल का आभार व्यक्त किया है. छात्राओं ने कहा कि उम्मीद से भी ज्यादा सरकार ने किया है. अब सपनों को पूरा करने आगे बढ़ सकेंगे. इधर विधायक देवती कर्मा ने भी इस फैसले के लिए सीएम को धन्यवाद दिया है.

पिता का सपना बेटी करेगी पूरा

बड़े पनेड़ा की पियूषा के पिता मड्डाराम और परिवार बेहद खुश हैं. मड्डाराम खेती- किसानी का काम करते हैं. मड्डाराम ने बताया कि उन्होंने खुद 12वीं तक विज्ञान विषय लेकर इसलिए पढ़ाई की थी कि डॉक्टर बन सकें. आर्थिक तंगी के अभाव में पूरा नहीं कर सके. बेटी को जब उन्होंने अपने इस सपने के बारे में बताया, तो उसने तय किया कि वह डॉक्टर बनकर अपने पिता के सपने को पूरा करेगी.

सरकार उठाएगी खर्च

पीयूषा ने कहा कि नीट क्वालीफाई करने के बाद जब रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ तो उम्मीद टूटने लगी थी. एग्जाम में अच्छे नंबर लाने के बाद ऐसा लगा कि इस साल हमें ड्रॉप ही करना पड़ेगा, लेकिन सरकार ने हमारी पढ़ाई का खर्च उठाया है.

बिना नेटवर्क के पढ़ाई की

वहीं नक्सलगढ़ बोरजे गांव की पद्मा ने भी कहा कि सरकार ने पहचान दिलाने के लिए नेक काम किया है. पद्मा के पिता की मौत 2010 को हुई. नीट परीक्षा के 15 दिन पहले पद्मा की मां गुजर गईं. तब भी हिम्मत नहीं हारी. लॉकडाउन के बीच बिना नेटवर्क वाले गांव में रहकर पढ़ाई की. इसके बाद नीट की परीक्षा क्वॉलीफाई की. पद्मा ने कहा कि चूक के कारण रजिस्ट्रेशन जरूर नहीं हुआ है, लेकिन सरकार ने हमारे लिए इतना बड़ा कदम उठाया है.

दंतेवाड़ा: धुर नक्सल प्रभावित बोरजे की पद्मा मडे और बड़े पनेड़ा की बेटी पीयूषा के डॉक्टर बनने का सपना अब अधूरा नहीं रहेगा. छत्तीसगढ़ सरकार ने नक्सलगढ़ की बेटियों की जिंदगी रोशन करने का बीड़ा उठाया है. इन छात्राओं के एमबीबीएस की पढ़ाई का पूरा खर्च अब भूपेश सरकार देगी. प्राइवेट कॉलेज की पेमेंट सीट पर दोनों का दाखिला होगा. पूरे 5 साल की इस पढ़ाई के लिए इन दोनों बेटियों के लिए करीब 1 करोड़ से ज्यादा का खर्च सरकार खुद उठाएगी.

छत्तीसगढ़ सरकार ने नक्सलगढ़ की बेटियों की जिंदगी रोशन करने का बीड़ा उठाया है

इन दोनों बच्चियों ने अभाव में रहकर, बिना नेटवर्क वाले इलाके में पढ़ाई की और नीट की परीक्षा पास की. इसमें से पद्मा की मां की मृत्यु एग्जाम के 15 दिन पहली ही हुई. उसके पिता पहले ही गुजर गए थे. पीयूषा भी आर्थिक तंगी से गुजर रही है. जिले के 27 बच्चों ने नक्सल प्रभावित इलाके से निकलकर NEET की परीक्षा में सफलता हासिल की है. नेटवर्क की परेशानी की वजह से जो बच्चे नीट क्वॉलीफाई करने के बाद काउंसिलिंग में शामिल नहीं हो पाए थे. सरकार ने उनके दाखिले का जिम्मा जिम्मेदारी ली. दोनों लड़कियों ने सीएम भूपेश बघेल व कलेक्टर दीपक सोनी को धन्यवाद दिया है.

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बेटियों की पढ़ाई के लिए सरकार उठा रही खर्च

छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद प्रदेश के इतिहास में पहली बार ऐसा होगा, जब प्राइवेट कॉलेज में MBBS की पढ़ाई के लिए इन छात्राओं का सरकार खुद खर्च उठा रही है. काउंसलिंग से वंचित रहने की खबर मिलने के बाद सीएम लगातार इसकी मॉनिटरिंग कर रहे थे. सीएम ने दंतेवाड़ा कलेक्टर दीपक सोनी से चर्चा की. साथ ही तुरंत निष्कर्ष निकाला कि बच्चों के भविष्य को किसी कीमत पर बर्बाद नहीं होने दिया जाए. सीएम की इस घोषणा के बाद दंतेवाड़ा प्रशासन ने प्रक्रिया भी शुरू कर दी है.

सरकार बेटियों को पहुंचाएगी हर संभव मदद

सर्व आदिवासी समाज के लोग दंतेवाड़ा कलेक्टर दीपक सोनी से मिलने मिठाई लेकर पहुंचे. सरकार के इस फैसले के लिए समाज के लोगों ने शासन-प्रशासन को धन्यवाद दिया. कलेक्टर ने कहा कि इन दोनों छात्राओं के अलावा भी कटऑफ के मुताबिक जो बच्चे पात्र होंगे, उनके लिए भी यही नियम लागू होगा. कलेक्टर ने कहा कि शासन-प्रशासन बच्चों की पढ़ाई के लिए हर संभव मदद के लिए तैयार है.

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विधायक देवती कर्मा ने सीएम का किया धन्यवाद

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के फैसले का छात्राओं ने स्वागत किया है. साथ ही दोनों छात्राओं ने सीएम बघेल का आभार व्यक्त किया है. छात्राओं ने कहा कि उम्मीद से भी ज्यादा सरकार ने किया है. अब सपनों को पूरा करने आगे बढ़ सकेंगे. इधर विधायक देवती कर्मा ने भी इस फैसले के लिए सीएम को धन्यवाद दिया है.

पिता का सपना बेटी करेगी पूरा

बड़े पनेड़ा की पियूषा के पिता मड्डाराम और परिवार बेहद खुश हैं. मड्डाराम खेती- किसानी का काम करते हैं. मड्डाराम ने बताया कि उन्होंने खुद 12वीं तक विज्ञान विषय लेकर इसलिए पढ़ाई की थी कि डॉक्टर बन सकें. आर्थिक तंगी के अभाव में पूरा नहीं कर सके. बेटी को जब उन्होंने अपने इस सपने के बारे में बताया, तो उसने तय किया कि वह डॉक्टर बनकर अपने पिता के सपने को पूरा करेगी.

सरकार उठाएगी खर्च

पीयूषा ने कहा कि नीट क्वालीफाई करने के बाद जब रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ तो उम्मीद टूटने लगी थी. एग्जाम में अच्छे नंबर लाने के बाद ऐसा लगा कि इस साल हमें ड्रॉप ही करना पड़ेगा, लेकिन सरकार ने हमारी पढ़ाई का खर्च उठाया है.

बिना नेटवर्क के पढ़ाई की

वहीं नक्सलगढ़ बोरजे गांव की पद्मा ने भी कहा कि सरकार ने पहचान दिलाने के लिए नेक काम किया है. पद्मा के पिता की मौत 2010 को हुई. नीट परीक्षा के 15 दिन पहले पद्मा की मां गुजर गईं. तब भी हिम्मत नहीं हारी. लॉकडाउन के बीच बिना नेटवर्क वाले गांव में रहकर पढ़ाई की. इसके बाद नीट की परीक्षा क्वॉलीफाई की. पद्मा ने कहा कि चूक के कारण रजिस्ट्रेशन जरूर नहीं हुआ है, लेकिन सरकार ने हमारे लिए इतना बड़ा कदम उठाया है.

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