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जिस ई-रिक्शा की सवारी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने की, बन गए कबाड़

दंतेवाड़ा में DMF की राशि से 134 ई-रिक्शा लाए गए थे, जिससे जिले की महिलाओं को रोजगार मिल सके. लेकिन वे सभी ई-रिक्शे कबाड़ में तब्दील हो गई हैं.

ई-रिक्शा की सवारी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने की
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Published : Oct 31, 2019, 8:20 PM IST

Updated : Nov 2, 2019, 11:49 PM IST

दंतेवाड़ा: राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने कभी जिस ई-रिक्शा की सवारी की थी, आज वही ई-रिक्शे कबाड़ में तब्दील हो रहे हैं. प्रशासन ने महिलाओं को शसक्त बनाने के लिए सपने दिखाए थे. इसके लिए करोड़ों रुपये खर्च कर 134 ई-रिक्शा खरीदी गई थी, लेकिन वे महज सपने ही बनकर रह गए.

स्थानीय लोगों का आरोप है कि 'DMF के पैसे को अधिकारियों ने कमीशन के चलते बर्बाद कर दिया'. वहीं तत्तकालीन नेताओं ने देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को ई-रिक्शे की सवारी करवाकर अपनी पीठ खूब थपथपाई थी, लेकिन एक साल बाद ही यह योजना जमीन पर औंधे मुंह पड़ी है.

50 में से 10 रिक्शे बचे
वहीं टेकनार की रहने वाली फूलमती भास्कर का कहना है कि 'पहले दंतेवाड़ा में ही 50 से अधिक रिक्शे दौड़ते थे. अब महज 10 रिक्शे ही चल रहे हैं. बाकी सभी खराब हो गए हैं. महिलाओं से स्व-सहायता समूह से 40 हजार रुपए जमा करवाया गया था, लेकिन रिक्शे महिलाओं के घर मे खड़े है. अब कोई नहीं चलाता है. इसकी शिकायत भी की गई, लेकिन कोई हल नहीं निकला.

जिस ई-रिक्शा की सवारी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने की, बन गए कबाड़

कबाड़ हो गए ई-रिक्शे
एडीएम और लैवलीहूड प्रभारी लिंगराज सिदार ने बताया कि कुल 134 ई-रिक्शा महिला स्व-सहायता समूह को देने के लिए मंगवाए गए थे, जिसमें से 131 ई-रिक्शा का वितरण हुआ. पुराने लैवलीहूड कालेज में ई-रिक्शे खड़े हैं. प्रशासन इन सभी को अगर चाहे तो सही करवाकर फिर से दे सकता है, लेकिन प्रशासन ने भी कबाड़ बनने को छोड़ दिया है.

इस रेट से खरीदे गए रिक्शे

  • 73 ई-रिक्शा, दर 1 लाख 60 हजार.
  • 50 ई-रिक्शा, दर 2 लाख 99 हजार.
  • 9 ई-रिक्शा, दर 2 लाख 14 हजार.

इन रिक्शों को जब खरीदा गया तो हर बार के बढ़ते कीमतों को लेकर कई मर्तबा लोगों ने सवाल भी उठाए, लेकिन प्रशासन खुद कमीशनखोरी में संलिप्त नजर आ रहा है, जिससे आज तक इस भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई.

दंतेवाड़ा: राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने कभी जिस ई-रिक्शा की सवारी की थी, आज वही ई-रिक्शे कबाड़ में तब्दील हो रहे हैं. प्रशासन ने महिलाओं को शसक्त बनाने के लिए सपने दिखाए थे. इसके लिए करोड़ों रुपये खर्च कर 134 ई-रिक्शा खरीदी गई थी, लेकिन वे महज सपने ही बनकर रह गए.

स्थानीय लोगों का आरोप है कि 'DMF के पैसे को अधिकारियों ने कमीशन के चलते बर्बाद कर दिया'. वहीं तत्तकालीन नेताओं ने देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को ई-रिक्शे की सवारी करवाकर अपनी पीठ खूब थपथपाई थी, लेकिन एक साल बाद ही यह योजना जमीन पर औंधे मुंह पड़ी है.

50 में से 10 रिक्शे बचे
वहीं टेकनार की रहने वाली फूलमती भास्कर का कहना है कि 'पहले दंतेवाड़ा में ही 50 से अधिक रिक्शे दौड़ते थे. अब महज 10 रिक्शे ही चल रहे हैं. बाकी सभी खराब हो गए हैं. महिलाओं से स्व-सहायता समूह से 40 हजार रुपए जमा करवाया गया था, लेकिन रिक्शे महिलाओं के घर मे खड़े है. अब कोई नहीं चलाता है. इसकी शिकायत भी की गई, लेकिन कोई हल नहीं निकला.

जिस ई-रिक्शा की सवारी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने की, बन गए कबाड़

कबाड़ हो गए ई-रिक्शे
एडीएम और लैवलीहूड प्रभारी लिंगराज सिदार ने बताया कि कुल 134 ई-रिक्शा महिला स्व-सहायता समूह को देने के लिए मंगवाए गए थे, जिसमें से 131 ई-रिक्शा का वितरण हुआ. पुराने लैवलीहूड कालेज में ई-रिक्शे खड़े हैं. प्रशासन इन सभी को अगर चाहे तो सही करवाकर फिर से दे सकता है, लेकिन प्रशासन ने भी कबाड़ बनने को छोड़ दिया है.

इस रेट से खरीदे गए रिक्शे

  • 73 ई-रिक्शा, दर 1 लाख 60 हजार.
  • 50 ई-रिक्शा, दर 2 लाख 99 हजार.
  • 9 ई-रिक्शा, दर 2 लाख 14 हजार.

इन रिक्शों को जब खरीदा गया तो हर बार के बढ़ते कीमतों को लेकर कई मर्तबा लोगों ने सवाल भी उठाए, लेकिन प्रशासन खुद कमीशनखोरी में संलिप्त नजर आ रहा है, जिससे आज तक इस भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई.

Intro:दंतेवाडा। जिस ई रिक्शा की सवारी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने की आज वह कबाड़ में तब्दील हो रहा है। महिलाओं को शसक्त बनाने प्रशासन ने जो सपने दिखाए थे,वे महज सपने ही रहे। करिनो कि लगात से प्रशासन ने ई रिक्शा की खररदी करवाई। जिले की महिलाओं को 130 रिक्शा दिए गए। टेकनार कि रहने वाली ई रिक्शा चालक बताती है की दे तो दिए गए,लेकिन बनाने का प्रबंध नही किया गया। कंपनी ने खराब ई रिक्शा को बनाने के लिए दंतेवाड़ा में कोई प्रबंध नही किया। इस वजह से सभी ने रिक्शा वापस कर दिए। ये सभी रिक्शे पुराने लैवलीहूड कालेज में कबाड़ बन रहे है।
अलग-अलग कीमत से हुई थी खरीदी


73 ई रिक्शा दर 1 लाख 60 हजार
50 ई रिक्शा दर 2 लाख 99 हजार
9 ई रिक्शा दर 2 लाख 14 हजार
इन रिक्शो की अलग-अलग खरीदी पर ही लोग सवाल खड़े करते। डीएमएफ माध के पैसे को अधिकारियों ने कमीशन के चलते जम कर बर्बाद किया। तत्तकालीन अधिकारियों ने देश के राष्ट्रपति और प्रधान मंत्री को इसकी सवारी करवा कर अपनी पीठ भी खूब थापाई। साथ ही देश भर में वाह-वाही भी लूटी। दावा किया बस्तर जैसे पिछड़े इलाके में महिलाएं शसक्त हो रही जीविका चलाने के लिए प्रशासन पूरा प्रयास कर रहा है। लेकिन एक साल बाद ही जमीन पर यह योजना औंधे मुंह पड़ी है।



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Body:महज 10 रिक्शे ही जिला मुख्यालय की सड़क पर दौड़ रहे
टेकनार की रहने वाली फूलमती भास्कर का कहना है कि पहले बहुत रिक्शे थे। दंतेवाड़ा में ही 50 से अधिक रिक्शा दौड़ता था। अब महज 10 रिक्शे ही चल रहे है। सभी के खराब हो गए। स्व सहायता समूह से 40 हजार रुपए जमा करवाए गए थे। अंदरूनी इलाको में महिलाओं को दिए गए रिक्शे भी महिलाओं के घर मे खड़े है । अब कोई नही चलता है। इसकी शिकायत भी की गई,लेकिन कोई हल नही निकला।



Conclusion:एडीएम और लैवलीहूड प्रभारी लिंगराज सिदार ने बताया कि कुल 134 ई रिक्शा महिला स्व सहायता समूह को देने के लिए मंगवाए गए थे। 131 ई रिक्शा का वंतां हुआ। पुराने लैवलीहूड कालेज में ई रिक्शा खड़ा है। ये सभी नया है। बैटरी या छोटी-मोटी समस्या है। कंपनी से बात की जा रही है। इन सभी को सही करवा कर उनको फिर से दिया जाएगा।

Last Updated : Nov 2, 2019, 11:49 PM IST
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