दंतेवाड़ा: राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने कभी जिस ई-रिक्शा की सवारी की थी, आज वही ई-रिक्शे कबाड़ में तब्दील हो रहे हैं. प्रशासन ने महिलाओं को शसक्त बनाने के लिए सपने दिखाए थे. इसके लिए करोड़ों रुपये खर्च कर 134 ई-रिक्शा खरीदी गई थी, लेकिन वे महज सपने ही बनकर रह गए.
स्थानीय लोगों का आरोप है कि 'DMF के पैसे को अधिकारियों ने कमीशन के चलते बर्बाद कर दिया'. वहीं तत्तकालीन नेताओं ने देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को ई-रिक्शे की सवारी करवाकर अपनी पीठ खूब थपथपाई थी, लेकिन एक साल बाद ही यह योजना जमीन पर औंधे मुंह पड़ी है.
50 में से 10 रिक्शे बचे
वहीं टेकनार की रहने वाली फूलमती भास्कर का कहना है कि 'पहले दंतेवाड़ा में ही 50 से अधिक रिक्शे दौड़ते थे. अब महज 10 रिक्शे ही चल रहे हैं. बाकी सभी खराब हो गए हैं. महिलाओं से स्व-सहायता समूह से 40 हजार रुपए जमा करवाया गया था, लेकिन रिक्शे महिलाओं के घर मे खड़े है. अब कोई नहीं चलाता है. इसकी शिकायत भी की गई, लेकिन कोई हल नहीं निकला.
कबाड़ हो गए ई-रिक्शे
एडीएम और लैवलीहूड प्रभारी लिंगराज सिदार ने बताया कि कुल 134 ई-रिक्शा महिला स्व-सहायता समूह को देने के लिए मंगवाए गए थे, जिसमें से 131 ई-रिक्शा का वितरण हुआ. पुराने लैवलीहूड कालेज में ई-रिक्शे खड़े हैं. प्रशासन इन सभी को अगर चाहे तो सही करवाकर फिर से दे सकता है, लेकिन प्रशासन ने भी कबाड़ बनने को छोड़ दिया है.
इस रेट से खरीदे गए रिक्शे
- 73 ई-रिक्शा, दर 1 लाख 60 हजार.
- 50 ई-रिक्शा, दर 2 लाख 99 हजार.
- 9 ई-रिक्शा, दर 2 लाख 14 हजार.
इन रिक्शों को जब खरीदा गया तो हर बार के बढ़ते कीमतों को लेकर कई मर्तबा लोगों ने सवाल भी उठाए, लेकिन प्रशासन खुद कमीशनखोरी में संलिप्त नजर आ रहा है, जिससे आज तक इस भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई.