बिलासपुर: त्रिपुरा में कलेक्टर ने दो शादियों में लॉकडाउन उल्लंघन का आरोप लगाते हुए लोग से बदसलूकी की थी. छत्तीसगढ़ के सूरजपुर में भी एक घटना सामने आई थी. कलेक्टर रणबीर शर्मा ने एक युवक पर हाथ उठाया और उसका मोबाइल सड़क पर पटक दिया. एक और खबर उत्तर प्रदेश के बरेली से आई है जहां एक शख्स को मास्क न पहनने की सजा के तौर पर पुलिस ने हाथ और पैर में कील ठोक दिया है. इसके अलावा देशभर के कई जिलों से ऐसी घटनाएं सामने आई. इन घटनाओं में जिले के सबसे बड़े शासकीय अधिकारी यानी की डीएम खुद कानून अपने हाथ में लेते नजर आए. ऐसे में सवाल उठता है कि पीड़ित इन हालातों में कैसे कानूनी मदद ले सकते हैं.
देश के कई हिस्सों में होने वाली ऐसी घटनाएं सामने ही नहीं आ पाती है. जो घटनाएं सामने आती है उस पर तत्काल संज्ञान लिया जाता है. ETV भारत अपने पाठकों को उनके अधिकारों के प्रति हमेशा से जागरूक कर रहा है. बता दें संविधान में हर नागरिक को समान अधिकार है. ऐसे में ETV भारत ने कानून के जानकार वकील रोहित शर्मा से बात की है. इस दौरान हमने यह जानने की कोशिश की है कि अगर ऐसी घटना एक समान्य नागरिक के साथ होती है तो वह किस तरह अपने अधिकारों की रक्षा कर सकता है.
'थप्पड़मार' कलेक्टर के बाद 'डंडामार' पुलिस अफसर पर भी एक्शन, सूरजपुर TI बसंत खलखो लाइन अटैच
आपके पास क्या है विकल्प ?
- कानून के जानकारों की मानें तो ऐसे मामलों में आम नागरिक के पास कुछ ऐसे अधिकार हैं जिनका वह इस्तेमाल कर सकता है. ऐसे मामलों में सीआरपीसी की धारा 154 के तहत संबंधित थाने में एफआईआर दर्ज कराई जा सकती है.
- थाने में रिपोर्ट दर्ज करने से इंकार कर दिया जाता है तो धारा 154 के सब क्लॉज 3 के अंतर्गत जिले के पुलिस अधीक्षक को पोस्टल सर्विस के जरिए शिकायत भेजी जा सकती है, जिसे एफआईआर के रूप में स्वीकार किया जाएगा.
- दोनों ही मामलों में अगर शिकायत दर्ज नहीं होती है तब जुडिशल मजिस्ट्रेट के सामने सीआरपीसी की धारा 200 का इस्तेमाल करते हुए आप अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं. जिसके बाद कानून ऐसे मामलो में अपनी ओर से कार्रवाई करेगा.
सूरजपुर कलेक्टर थप्पड़ कांड की जांच करने पहुंची सरगुजा कमिश्नर