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रिटायरमेंट के 47 साल बाद शिक्षक को मिला इंसाफ, मिलेगी GPF की बकाया राशि

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Published : Jan 5, 2020, 2:05 PM IST

Updated : Jan 5, 2020, 2:12 PM IST

सहायक शिक्षक नोहरलाल कोसेवाड़ा ने जीपीएफ राशि नहीं मिलने को लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी. सहायक शिक्षक नोहरलाल कोसेवाड़ा को 47 साल बाद हाईकोर्ट से न्याय मिला है. कोर्ट ने जीपीएफ राशि का भुगतान ब्याज समेत करने का निर्देश दिया है.

बिलासपुर हाईकोर्ट
बिलासपुर हाईकोर्ट

बिलासपुर: सहायक शिक्षक नोहरलाल कोसेवाड़ा को रिटायरमेंट के 47 साल बाद हाईकोर्ट से इंसाफ मिला है. हाईकोर्ट की एकल पीठ ने राज्य शासन से शिक्षा सचिव, अकाउंटेंट, जनरल लेखा परीक्षक, जिला शिक्षा अधिकारी और दुर्ग कलेक्टर को याचिकाकर्ता की बकाया जीपीएफ राशि का भुगतान ब्याज समेत करने का निर्देश दिया है.

भिलाई निवासी नोहरलाल शिक्षा विभाग में सहायक शिक्षक के पद पर 23 दिसंबर 1963 में पदस्थ हुए थे. 10 साल की नौकरी करने के बाद 31 दिसंबर 1973 को उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया और जिसे विभाग ने मंजूर कर लिया.

विभाग ने नहीं की सुनवाई
शिक्षा विभाग ने सेवानिवृत्ति का भुगतान भी कर दिया, लेकिन एजी ऑफिस से जीपीएफ की पूरी राशि का भुगतान नहीं किया. इसे लेकर नोहरलाल ने लेख अकाउंटेंट जनरल लेखा परीक्षा विभाग को कई बार आवेदन देकर मामले पर सुनवाई के लिए आग्रह किया, लेकिन विभाग की ओर से मामले पर कोई सुनवाई नहीं की गई.

शासन ने राशि नहीं कराई जमा
24 जुलाई 1980 को नोहरलाल के आवेदन पर लेखा परीक्षक विभाग ने जवाब देते हुए कहा कि 'शासन ने 1967 से 1970 तक का जीपीएफ कटौती की राशि एजी ऑफिस में जमा नहीं कराई थी. जरूरी दस्तावेज जमा करने के बाद जीपीएफ की बकाया राशि वापस की जाएगी. कई बार पत्र लिखने के बाद 122 रुपये की बकाया जीपीएफ राशि ब्याज समेत 2017 में वापस कर दी गई. ब्याज की गणना इस्तीफा देने की तारीख 1973 से की गई. लेकिन सहायक शिक्षक का कहना था कि ब्याज की गणना उसकी नौकरी ज्वाइन करने की तारीख से की जानी चाहिए थी. एजी ऑफिस के इस गैर जिम्मेदाराना रवैए के खिलाफ नोहरलाल ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी.

ब्याज सहित रकम वापस लौटाने का आदेश
फरियादी ने विभाग पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए भुगतान की गई तिथि तक ब्याज दिए जाने की मांग की थी. इस पर कोर्ट ने जीपीएफ राशि ब्याज समेत वापस करने का आदेश दिया है.

बिलासपुर: सहायक शिक्षक नोहरलाल कोसेवाड़ा को रिटायरमेंट के 47 साल बाद हाईकोर्ट से इंसाफ मिला है. हाईकोर्ट की एकल पीठ ने राज्य शासन से शिक्षा सचिव, अकाउंटेंट, जनरल लेखा परीक्षक, जिला शिक्षा अधिकारी और दुर्ग कलेक्टर को याचिकाकर्ता की बकाया जीपीएफ राशि का भुगतान ब्याज समेत करने का निर्देश दिया है.

भिलाई निवासी नोहरलाल शिक्षा विभाग में सहायक शिक्षक के पद पर 23 दिसंबर 1963 में पदस्थ हुए थे. 10 साल की नौकरी करने के बाद 31 दिसंबर 1973 को उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया और जिसे विभाग ने मंजूर कर लिया.

विभाग ने नहीं की सुनवाई
शिक्षा विभाग ने सेवानिवृत्ति का भुगतान भी कर दिया, लेकिन एजी ऑफिस से जीपीएफ की पूरी राशि का भुगतान नहीं किया. इसे लेकर नोहरलाल ने लेख अकाउंटेंट जनरल लेखा परीक्षा विभाग को कई बार आवेदन देकर मामले पर सुनवाई के लिए आग्रह किया, लेकिन विभाग की ओर से मामले पर कोई सुनवाई नहीं की गई.

शासन ने राशि नहीं कराई जमा
24 जुलाई 1980 को नोहरलाल के आवेदन पर लेखा परीक्षक विभाग ने जवाब देते हुए कहा कि 'शासन ने 1967 से 1970 तक का जीपीएफ कटौती की राशि एजी ऑफिस में जमा नहीं कराई थी. जरूरी दस्तावेज जमा करने के बाद जीपीएफ की बकाया राशि वापस की जाएगी. कई बार पत्र लिखने के बाद 122 रुपये की बकाया जीपीएफ राशि ब्याज समेत 2017 में वापस कर दी गई. ब्याज की गणना इस्तीफा देने की तारीख 1973 से की गई. लेकिन सहायक शिक्षक का कहना था कि ब्याज की गणना उसकी नौकरी ज्वाइन करने की तारीख से की जानी चाहिए थी. एजी ऑफिस के इस गैर जिम्मेदाराना रवैए के खिलाफ नोहरलाल ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी.

ब्याज सहित रकम वापस लौटाने का आदेश
फरियादी ने विभाग पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए भुगतान की गई तिथि तक ब्याज दिए जाने की मांग की थी. इस पर कोर्ट ने जीपीएफ राशि ब्याज समेत वापस करने का आदेश दिया है.

Intro:रिटायरमेंट के 47 वर्ष बाद सहायक शिक्षक को हाई कोर्ट से न्याय मिला है। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने राज्य शासन से शिक्षा सचिव ,अकाउंटेंट, जनरल लेखा परीक्षक ,जिला शिक्षा अधिकारी व कलेक्टर दुर्ग को याचिकाकर्ता की बकाया जीपीएफ राशि का भुगतान ब्याज समेत करने का निर्देश दिया है।। Body:बता दें कि भिलाई निवासी मनोहरलाल को सेवाड़ा शिक्षा विभाग में सहायक शिक्षक के पद पर 23 दिसंबर 1963 में पदस्थ हुए थे।10 वर्ष तक सेवा में रहने के बाद 31 दिसंबर 1973 को उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया जिसे विभाग ने मंजूर कर लिया। शिक्षा विभाग ने सेवानिवृत्ति का भुगतान कर दिया पर एजी ऑफिस से जीपीएफ की पूरी राशि का भुगतान नहीं किया गया। जिसको लेकर केशोवाड़ा ने लेक अकाउंटेंट जनरल लेखा परीक्षा विभाग को कई बार आवेदन देकर मामले पर सुनवाई के लिए आग्रह किया लेकिन विभाग की तरफ से मामले पर कोई सुनवाई नहीं की गई। जिसके बाद 24 जुलाई 1980 को कोशीवाडा के आवेदन पर लेखा परीक्षक विभाग ने जवाब देते हुए कहा कि शासन ने 1967 से 1970 तक का जीपीएफ कटौती एजी ऑफिस में जमा नहीं कराई थी। वांछित दस्तावेज जमा करने के बाद जीपीएफ की बकाया राशि वापस की जाएगी। काफी पत्राचार के बाद ₹122 की बकाया जीपीएस राशि व्यास समिति 2017 में वापस कर दी गई। ब्याज की गणना इस्तीफा देने की तिथि 1973 से की गई। एजी ऑफिस के गैर जिम्मेदाराना रवैया के खिलाफ नोहर लाल कोशीवाडा ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई।Conclusion:जिसमें मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए भुगतान की गई तिथि तक ब्याज दिए जाने की मांग की गई थी। इस पर कोर्ट ने जीपीएफ राशि ब्याज समेत वापस करने का निर्देश दिया है। पूरे मामले की सुनवाई जस्टिस गौतम भादुड़ी की एकल पीठ द्वारा की गई।
Last Updated : Jan 5, 2020, 2:12 PM IST
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