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मिलिये छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के पहले वकील सुदीप से, जिन्होंने ह्यूमन ट्रैफिकिंग में की है पीएचडी

Registration of 25 hundred lawyers in Chhattisgarh High Court : छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में करीब 25 सौ वकीलों का रजिस्ट्रेशन है. उनमें से लॉ पीएचडी करने वाले गिने-चुने वकील ही हैं. इस क्रम में ह्यूमन ट्रैफिकिंग सब्जेक्ट में पीएचडी करने वाले पहले वकील हैं सुदीप अग्रवाल. जिन्होंने वकालत करते हुए लॉ में पीएचडी की है.

Registration of 25 hundred lawyers in Chhattisgarh High Court
सुदीप ह्यूमन ट्रैफिकिंग में पीएचडी करने वाले पहले हाईकोर्ट के वकील
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Published : Feb 14, 2022, 8:46 PM IST

Updated : Feb 14, 2022, 10:46 PM IST

बिलासपुर : छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में करीब 25 सौ वकीलों का रजिस्ट्रेशन है. उनमें लॉ पीएचडी करने वाले गिने-चुने वकील ही हैं. इन वकीलों में भी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सब्जेक्ट में पीएचडी करने वाले पहले वकील हैं (Chhattisgarh first lawyer to do PhD on Human Trafficking) सुदीप अग्रवाल. इन्होंने वकालत करते हुए लॉ में पीएचडी की है.

कहते हैं ज्ञान अर्जित करने की कोई उम्र नहीं होती. ज्ञान तो किसी भी उम्र में अर्जित किया जा सकता है. इसके लिए हर इंसान को प्रयास करना चाहिए. इससे समाज तो साक्षर बनेगा ही साथ ही व्यक्ति का भी बौद्धिक विकास होगा. इसे चरितार्थ कर दिखाया है छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के एडवोकेट सुदीप अग्रवाल ने. सुदीप ने वकालत करते हुए लॉ में पीएचडी की है. सुदीप अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने वकालत करते हुए बहुत सारे मामलों में केस लड़े. कई ऐसे विषय हैं, जिनका उन्होंने खुद अध्ययन किया फिर पैरवी भी की. वो सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णय को पढ़ते रहे हैं, जिनमें ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामलों में का अध्ययन किया.

सुदीप ह्यूमन ट्रैफिकिंग में पीएचडी करने वाले पहले हाईकोर्ट के वकील

ह्यूमन ट्रैफिकिंग क्यों होता है और इसे रोकने के लिए क्या करना चाहिए, सुदीप ने इन विषयों में कई अध्ययन किये थे लेकिन उनका मानना था कि अगर वह इस विषय पर पीएचडी कर लें तो इस विषय को बहुत करीब से जान पाएंगे. सुदीप ने पीएचडी करने के लिए पहले तो इन विषयों पर कई किताबें पढ़ीं. फिर खुद बस्तर, सरगुजा और जशपुर क्षेत्रों में अध्ययन भी किया. वे लगातार ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामलों में शोध करते रहे और इसी विषय ने उन्हें आज पीएचडी की उपाधि दिलवाकर उनका मनोबल बढ़ाया है.

Chhattisgarh State Bar Council के पूर्व अध्यक्ष के शो कॉज नोटिस पर लगा स्थगन बिलासपुर हाई कोर्ट से खारिज

अब तक लॉ में पीएचडी करने वाले आधा दर्जन से भी कम वकील
डॉ सुदीप अग्रवाल ने बताया कि छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में करीब 25100 वकीलों का रजिस्ट्रेशन है. 12 से 1500 वकील डेली प्रैक्टिस में हैं. इनमें करीब चार से पांच वकील ही लॉ में पीएचडी किए हैं. सुदीप भी उनमें से एक हैं. लेकिन इन सब में एक ऐसी खास बात है जो सुजीत को सभी लोग पीएचडी किए हुए ड्रॉप डॉक्टरेट की उपाधि पाए लोगों से अलग करती है. वह है पीएचडी का सब्जेक्ट. सुदीप ने ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामले में पीएचडी की है.

ह्यूमन ट्रैफिकिंग की परिस्थिति और इसके परिणाम नहीं होती चर्चा...
सुदीप बताते हैं कि हाईकोर्ट में सैकड़ों केस ह्यूमन ट्रैफिकिंग मामले से जुड़े आते हैं, जिनका अध्ययन भी किया जाता है. इसके साथ ही उसमें पैरवी करने वाले वकील केवल केस से जुड़े मामलों पर ही बहस करते हैं. लेकिन ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामले में क्यों यह परिस्थिति उत्पन्न होती है और इसके दूरगामी परिणाम क्या होते हैं, इस पर कोई चर्चा नहीं होती. उन्होंने बताया कि पलायन और ह्यूमन ट्रैफिकिंग एक-दूसरे से अलग नहीं हैं, क्योंकि दोनों ही मामलों में गरीब और मजदूर तबके के लोगों को लालच देकर ले जाया जाता है. अन्य प्रदेशों में उनका मानसिक और शारीरिक शोषण भी होता है. इसके अलावा उनकी मेहनत से कमाए पैसे भी उन्हें नहीं दिये जाते. साथ ही बंधक भी बना लिया जाता है. इस मामले में विस्तार से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में पैरवी करते हुए जजों के सामने इस समस्या को बहुत अच्छे से रख सकेंगे.

बिलासपुर में आखिर ऐसा क्या हुआ कि चार साल के बच्चे को छोड़ महिला को जाना पड़ा...?

ऐसी रही सुदीप की शुरुआत...

सुदीप की शुरुआत से लेकर अब तक की कहानी के बारे में उन्होंने बताया कि वे लगातार छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ में होने वाले अपराधों की कहानी का अध्ययन करते रहे हैं. इन अपराध के पीछे कई कहानी ऐसी होती है, जिसमें आरोपी द्वारा घटनाएं की जाती हैं. लेकिन कई बार ऐसे अपराधों में अपराधी मजबूरन घटना को अंजाम देता है. इस देश का न्याय भी उसके साथ कहीं न कहीं नरमी से पेश आता है और उसे दोबारा समाज की मुख्य धारा से जुड़ने का मौका देता है.
सुदीप अग्रवाल ने अपने कैरियर की शुरुवात छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में 2007 से की. इस बीच वह पूर्व में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के एडवोकेट जनरल कार्यालय के डिप्टी एडवोकेट जनरल भी रहे. सुदीप छत्तीसगढ़ के कई हाई प्रोफाइल केस की पैरवी भी कर चुके हैं. इसके साथ ही बड़े-बड़े विभागों के लीगल एडवाइजर का कार्यभार संभाल चुके हैं. उनकी तरफ से महत्वपूर्ण केस की पैरवी भी कर रहे हैं.

एलएलबी में मिला गोल्ड मेडल...
सुदीप अग्रवाल का जन्म अविभाजित मध्यप्रदेश के पन्ना में हुआ था. महज तीन साल की उम्र में वे माता-पिता के साथ कोरबा आ गए थे. उनके पिता शासकीय चिकित्सक थे और ट्रांसफर के बाद भी पूरे परिवार सहित कोरबा में रहने लगे. सुदीप ने शुरुआती शिक्षा कोरबा में ही पूरी की. इसके बाद उन्होंने भिलाई के डीपीएस स्कूल में 12वीं तक पढ़ाई कर दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई की. फिर एलएलएम और एमफिल तक की पढ़ाई की. इसके बाद वे 2007 से छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस कर रहे हैं. डीपी लॉ कॉलेज से एलएलबी की पढ़ाई की और गोल्ड मेडलिस्ट भी रहे. उन्होंने इस सफलता को हासिल करने की अपनी मंशा को व्यक्त करते हुए बताया कि वे प्रदेश में हो रही ह्यूमन ट्रैफिकिंग को रोकने और इससे पीड़ित लोगों को वापस मुख्यधारा में किस तरह जोड़ा जाए, इस पर भी राज्य सरकार को सलाह देंगे.

बिलासपुर : छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में करीब 25 सौ वकीलों का रजिस्ट्रेशन है. उनमें लॉ पीएचडी करने वाले गिने-चुने वकील ही हैं. इन वकीलों में भी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सब्जेक्ट में पीएचडी करने वाले पहले वकील हैं (Chhattisgarh first lawyer to do PhD on Human Trafficking) सुदीप अग्रवाल. इन्होंने वकालत करते हुए लॉ में पीएचडी की है.

कहते हैं ज्ञान अर्जित करने की कोई उम्र नहीं होती. ज्ञान तो किसी भी उम्र में अर्जित किया जा सकता है. इसके लिए हर इंसान को प्रयास करना चाहिए. इससे समाज तो साक्षर बनेगा ही साथ ही व्यक्ति का भी बौद्धिक विकास होगा. इसे चरितार्थ कर दिखाया है छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के एडवोकेट सुदीप अग्रवाल ने. सुदीप ने वकालत करते हुए लॉ में पीएचडी की है. सुदीप अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने वकालत करते हुए बहुत सारे मामलों में केस लड़े. कई ऐसे विषय हैं, जिनका उन्होंने खुद अध्ययन किया फिर पैरवी भी की. वो सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णय को पढ़ते रहे हैं, जिनमें ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामलों में का अध्ययन किया.

सुदीप ह्यूमन ट्रैफिकिंग में पीएचडी करने वाले पहले हाईकोर्ट के वकील

ह्यूमन ट्रैफिकिंग क्यों होता है और इसे रोकने के लिए क्या करना चाहिए, सुदीप ने इन विषयों में कई अध्ययन किये थे लेकिन उनका मानना था कि अगर वह इस विषय पर पीएचडी कर लें तो इस विषय को बहुत करीब से जान पाएंगे. सुदीप ने पीएचडी करने के लिए पहले तो इन विषयों पर कई किताबें पढ़ीं. फिर खुद बस्तर, सरगुजा और जशपुर क्षेत्रों में अध्ययन भी किया. वे लगातार ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामलों में शोध करते रहे और इसी विषय ने उन्हें आज पीएचडी की उपाधि दिलवाकर उनका मनोबल बढ़ाया है.

Chhattisgarh State Bar Council के पूर्व अध्यक्ष के शो कॉज नोटिस पर लगा स्थगन बिलासपुर हाई कोर्ट से खारिज

अब तक लॉ में पीएचडी करने वाले आधा दर्जन से भी कम वकील
डॉ सुदीप अग्रवाल ने बताया कि छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में करीब 25100 वकीलों का रजिस्ट्रेशन है. 12 से 1500 वकील डेली प्रैक्टिस में हैं. इनमें करीब चार से पांच वकील ही लॉ में पीएचडी किए हैं. सुदीप भी उनमें से एक हैं. लेकिन इन सब में एक ऐसी खास बात है जो सुजीत को सभी लोग पीएचडी किए हुए ड्रॉप डॉक्टरेट की उपाधि पाए लोगों से अलग करती है. वह है पीएचडी का सब्जेक्ट. सुदीप ने ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामले में पीएचडी की है.

ह्यूमन ट्रैफिकिंग की परिस्थिति और इसके परिणाम नहीं होती चर्चा...
सुदीप बताते हैं कि हाईकोर्ट में सैकड़ों केस ह्यूमन ट्रैफिकिंग मामले से जुड़े आते हैं, जिनका अध्ययन भी किया जाता है. इसके साथ ही उसमें पैरवी करने वाले वकील केवल केस से जुड़े मामलों पर ही बहस करते हैं. लेकिन ह्यूमन ट्रैफिकिंग के मामले में क्यों यह परिस्थिति उत्पन्न होती है और इसके दूरगामी परिणाम क्या होते हैं, इस पर कोई चर्चा नहीं होती. उन्होंने बताया कि पलायन और ह्यूमन ट्रैफिकिंग एक-दूसरे से अलग नहीं हैं, क्योंकि दोनों ही मामलों में गरीब और मजदूर तबके के लोगों को लालच देकर ले जाया जाता है. अन्य प्रदेशों में उनका मानसिक और शारीरिक शोषण भी होता है. इसके अलावा उनकी मेहनत से कमाए पैसे भी उन्हें नहीं दिये जाते. साथ ही बंधक भी बना लिया जाता है. इस मामले में विस्तार से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में पैरवी करते हुए जजों के सामने इस समस्या को बहुत अच्छे से रख सकेंगे.

बिलासपुर में आखिर ऐसा क्या हुआ कि चार साल के बच्चे को छोड़ महिला को जाना पड़ा...?

ऐसी रही सुदीप की शुरुआत...

सुदीप की शुरुआत से लेकर अब तक की कहानी के बारे में उन्होंने बताया कि वे लगातार छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ में होने वाले अपराधों की कहानी का अध्ययन करते रहे हैं. इन अपराध के पीछे कई कहानी ऐसी होती है, जिसमें आरोपी द्वारा घटनाएं की जाती हैं. लेकिन कई बार ऐसे अपराधों में अपराधी मजबूरन घटना को अंजाम देता है. इस देश का न्याय भी उसके साथ कहीं न कहीं नरमी से पेश आता है और उसे दोबारा समाज की मुख्य धारा से जुड़ने का मौका देता है.
सुदीप अग्रवाल ने अपने कैरियर की शुरुवात छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में 2007 से की. इस बीच वह पूर्व में छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के एडवोकेट जनरल कार्यालय के डिप्टी एडवोकेट जनरल भी रहे. सुदीप छत्तीसगढ़ के कई हाई प्रोफाइल केस की पैरवी भी कर चुके हैं. इसके साथ ही बड़े-बड़े विभागों के लीगल एडवाइजर का कार्यभार संभाल चुके हैं. उनकी तरफ से महत्वपूर्ण केस की पैरवी भी कर रहे हैं.

एलएलबी में मिला गोल्ड मेडल...
सुदीप अग्रवाल का जन्म अविभाजित मध्यप्रदेश के पन्ना में हुआ था. महज तीन साल की उम्र में वे माता-पिता के साथ कोरबा आ गए थे. उनके पिता शासकीय चिकित्सक थे और ट्रांसफर के बाद भी पूरे परिवार सहित कोरबा में रहने लगे. सुदीप ने शुरुआती शिक्षा कोरबा में ही पूरी की. इसके बाद उन्होंने भिलाई के डीपीएस स्कूल में 12वीं तक पढ़ाई कर दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की पढ़ाई की. फिर एलएलएम और एमफिल तक की पढ़ाई की. इसके बाद वे 2007 से छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस कर रहे हैं. डीपी लॉ कॉलेज से एलएलबी की पढ़ाई की और गोल्ड मेडलिस्ट भी रहे. उन्होंने इस सफलता को हासिल करने की अपनी मंशा को व्यक्त करते हुए बताया कि वे प्रदेश में हो रही ह्यूमन ट्रैफिकिंग को रोकने और इससे पीड़ित लोगों को वापस मुख्यधारा में किस तरह जोड़ा जाए, इस पर भी राज्य सरकार को सलाह देंगे.

Last Updated : Feb 14, 2022, 10:46 PM IST
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