ETV Bharat / state

नवरात्र विशेषः ये है महामाया का स्थल, हजारों वर्ष पुराने इस शक्तिपीठ की अलौकिक है महिमा - रमनपुर महामाया मंदिर

नवरात्र के दिनों में भक्त दूर-दूर से रतनपुर पहुंचते हैं और मां के दर्शन करते हैं. ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त मां के दरबार में सच्चे मन से कुछ मांगता है तो उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है.

मां महामाया
author img

By

Published : Apr 7, 2019, 9:36 AM IST

Updated : Apr 7, 2019, 1:34 PM IST


बिलासपुरः चैत्र नवरात्र के शुरू होते ही बिलासपुर से लगे मां महामाया के दरबार में भक्तों का तांता लगा हुआ है. खासकर नवरात्र के नौ दिनों में भक्त दूर दूर से रतनपुर पहुंचते हैं और मां का दर्शन करते हैं. ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त मां के दरबार में सच्चे मन से कुछ मांगता है तो उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है.


रतनपुर के महामाया मंदिर को शक्तिपीठ में से एक माना जाता है और इस मंदिर की ख्याति वैश्विक स्तर पर है. पुराने इतिहास की बात करें तो त्रिपुरी के कल्चुरियों की एक राजा ने रतनपुर को अपनी राजधानी बनाकर दीर्घकाल तक छत्तीसगढ़ में शासन किया. राजा रत्नदेव प्रथम ने मणिपुर नाम के गांव को रतनपुर नाम देकर अपनी राजधानी बनाई.


कहा जाता है कि महामाया मंदिर का निर्माण 7वीं से 9वीं शताब्दी के बीच में कराया गया था. किवदंती के मुताबिक 1045 ई में राजा रत्नदेव प्रथम मणिपुर नामक गांव में जब रात्रि विश्राम के लिए एक वट वृक्ष के नीचे रुके तो उन्हें अर्धरात्रि में वट वृक्ष के नीचे एक अलौकिक प्रकाश का अनुभव हुआ.


उन्होंने अनुभव किया कि मानो आदिशक्ति महामाया की सभा लगी हुई हो. इतना देखकर वो चेतना खो बैठे और फिर सुबह जब नींद खुली तो उन्होंने रतनपुर को अपनी राजधानी बनाने का निर्णय लिया और फिर 1050 ई में महामाया मंदिर का निर्माण किया गया. एक और मान्यता यहां यह है कि महामाया मंदिर में सती माता का दाहिना स्कंध गिरा था, इसलिए इसे 51 शक्तिपीठों में से एक दर्जा मिला है.

वीडियो


बिलासपुरः चैत्र नवरात्र के शुरू होते ही बिलासपुर से लगे मां महामाया के दरबार में भक्तों का तांता लगा हुआ है. खासकर नवरात्र के नौ दिनों में भक्त दूर दूर से रतनपुर पहुंचते हैं और मां का दर्शन करते हैं. ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त मां के दरबार में सच्चे मन से कुछ मांगता है तो उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है.


रतनपुर के महामाया मंदिर को शक्तिपीठ में से एक माना जाता है और इस मंदिर की ख्याति वैश्विक स्तर पर है. पुराने इतिहास की बात करें तो त्रिपुरी के कल्चुरियों की एक राजा ने रतनपुर को अपनी राजधानी बनाकर दीर्घकाल तक छत्तीसगढ़ में शासन किया. राजा रत्नदेव प्रथम ने मणिपुर नाम के गांव को रतनपुर नाम देकर अपनी राजधानी बनाई.


कहा जाता है कि महामाया मंदिर का निर्माण 7वीं से 9वीं शताब्दी के बीच में कराया गया था. किवदंती के मुताबिक 1045 ई में राजा रत्नदेव प्रथम मणिपुर नामक गांव में जब रात्रि विश्राम के लिए एक वट वृक्ष के नीचे रुके तो उन्हें अर्धरात्रि में वट वृक्ष के नीचे एक अलौकिक प्रकाश का अनुभव हुआ.


उन्होंने अनुभव किया कि मानो आदिशक्ति महामाया की सभा लगी हुई हो. इतना देखकर वो चेतना खो बैठे और फिर सुबह जब नींद खुली तो उन्होंने रतनपुर को अपनी राजधानी बनाने का निर्णय लिया और फिर 1050 ई में महामाया मंदिर का निर्माण किया गया. एक और मान्यता यहां यह है कि महामाया मंदिर में सती माता का दाहिना स्कंध गिरा था, इसलिए इसे 51 शक्तिपीठों में से एक दर्जा मिला है.

Intro:चैत्र नवरात्र के शुरू होते ही बिलासपुर से लगे मां महामाया के दरबार में आज पहले दिन से भक्तों का तांता लगा हुआ है । ख़ासकर नवरात्र के दिनों में भक्त दूर दूर से रतनपुर पहुंचते हैं और मां का दर्शनलाभ लेते हैं । ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त मां के दरबार में सच्चे मन से कुछ मांगता है तो उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है ।


Body:रतनपुर के महामाया मंदिर को 51 शक्तिपीठ में से एक माना जाता है और इस मंदिर की ख्याति वैश्विक स्तर पर है ।पुराने इतिहास की बात करें तो त्रिपुरी के कल्चुरियों की एक शाखा रतनपुर को अपनी राजधानी बनाकर दीर्घकाल तक छत्तीसगढ़ में शासन किया । राजा रत्नदेव प्रथम ने मणिपुर नामके गांव को रतनपुर नाम देकर अपनी राजधानी बनाया । महामाया मंदिर का निर्माण 7वीं से 9वीं शताब्दी के बीच में कराया गया था ऐसी बात कही जाती है । किवदंती के मुताबिक 1045 ई में राजा रत्नदेव प्रथम मणिपुर नामक गाँव में जब रात्रि विश्राम के लिए एक वट वृक्ष के नीचे रुके तो उन्हें अर्धरात्रि में वट वृक्ष के नीचे एक अलौकिक प्रकाश का अनुभव हुआ । उन्होंने अनुभव किया कि मानो आदिशक्ति महामाया की सभा लगी हुई हो । इतना देखकर वो चेतना खो बैठे और फिर सुबह जब नींद खुली तो उन्होंने रतनपुर को अपनी राजधानी बनाने का निर्णय लिया और फिर 1050 ई में महामाया मंदिर का निर्माण किया गया । एक और मान्यता यहां यह है कि सती की मृत्यु से व्यथित भगवान शिव उनके शरीर को लेकर जब ब्रम्हांड में विचरण कर रहे थे तो महामाया मंदिर में माता का दाहिना स्कंध गिरा था । इसलिए इस शक्ति पीठ को 51 शक्तिपीठों में से एक दर्जा मिला है ।
bite.... दुलारी देवी...भक्त
bite....कृष्ण कांत....जानकार
विशाल झा..... बिलासपुर







Conclusion:
Last Updated : Apr 7, 2019, 1:34 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.