बिलासपुर: राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण न्याय दिलाने आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को अदालतों में निशुल्क वकील की व्यवस्था कर उन्हें सहायता पहुंचा रही है. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण समाज के अंतिम पंक्ति के व्यक्ति को भी न्याय दिलाने और कानून की जानकारी देकर उनकी सहायता कर रही है. न्याय तुहर द्वार योजना के तहत अब कोर्ट मोहल्ला अदालतों के माध्यम से न्याय दिलाने मोहल्लों तक पहुंच रही है.
"छत्तीसगढ़ में सबसे पहले शुरू हुआ था "मध्यस्थ कानून": छत्तीसगढ़ देश का पहला ऐसा राज्य है, जहां सबसे पहले हाई कोर्ट में मध्यस्थ कानून के जरिए लोगों को त्वरित न्याय दिलाने और आपसी समझौते से मामले का निराकरण करने का प्रयास किया था. इस व्यवस्था को अब देश के अन्य हाईकोर्ट ने भी अपना लिया है. जहां समाज के अंतिम पंक्ति तक न्याय पहुंचाने और उसके अधिकारों की रक्षा के लिए छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के द्वारा इस कार्य को किया जाता है.
विधिक सेवा प्राधिकरण की जिम्मेदारियां: जिन लोगों के पास पैसे नहीं होते और वकील करने की क्षमता नहीं होती, उन लोगों को राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से कोर्ट में जीराह करने वकील की सुविधा दी जाती है. उनसे इस सुविधा के बदले किसी भी तरह का चार्ज नहीं लिया जाता, बल्कि वकीलों की फीस तक राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण प्रदान करता है. इसके अलावा कोर्ट में होने वाले अन्य खर्च भी जैसे टाइपिंग, फोटो कॉपी, केस रजिस्टर करवाने की फीस तक राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से दिया जाता है.
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कई योजनाओं पर काम कर रही है प्राधिकरण: राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण कई योजनाओं पर काम करते हुए समाज के अंतिम पंक्ति तक न्याय पहुंचा रही है. नागरिकों को संविधान में मिले अधिकारों से जागरूक किया जा रहा है. न्याय तुहर द्वार, मोहल्ला लोक अदालत और दिशा योजना के तहत कार्य किये जा रहे हैं. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अधिकारी और विधिक सेवा से जुड़े वकीलों के द्वारा कोर्ट में कानूनी दांव पेंच के साथ न्याय मिल सके इसके भरसक प्रयास किया जाता है.
क्या है न्याय "तुहर द्वार योजना": राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के द्वारा न्याय तुहर द्वार योजना चलाई जा रही है. इस योजना के तहत लोगों को उनके घर तक न्याय दिलाने के लिए प्राधिकरण की टीम पहुंच रही है. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव आनंद प्रकाश वरियाल ने बताया कि "इसमें महिला प्रताड़ना से संबंधित प्रकरणों की प्राथमिकता से सुनवाई की जाती है. गांव से शिकायत मिलती है, जिस पर मोबाइल कोर्ट के जरिए प्रकरणों का निराकरण करने की कोशिश की जाती है.
तलाक रोकने की जाती है कोशिश: प्राधिकरण पीड़ित महिला को उनके घर पहुंचकर न्याय दिलाई जाती है. महिला संबंधी मामलों में यदि ससुराल पक्ष या पति के साथ विवाद होने पर दोनों को आपस में एक जगह बिठा कर आपसी समझौता कर मामले का निपटारा कराने की कोशिश की जाती है. न्याय तुहर द्वार योजना के तहत प्राधिकरण के द्वारा नियुक्त जज और वकील भी रहते हैं. जो पति पत्नी या ससुराल पक्ष के साथ हुए विवाद का निपटारा कराने में मदद करते हैं.