बिलासपुर: शहर के अपोलो अस्पताल में प्रसिद्ध समाजसेवी प्रभु दत्त खेरा ने अंतिम सांस ली. प्रोफेसर खेरा के निधन की खबर आते ही अस्पताल के बाहर उनके चाहने वालों की भीड़ लग गई.
प्रोफेसर खेरा अचानकमार टाइगर रिजर्व क्षेत्र के बच्चों के उत्थान के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने आदिवासी बैगा बच्चों के कल्याण और समाजसेवा में अपनी जिंदगी के 30 से भी अधिक साल लगा दिए. प्रोफेसर पीडी खेरा कई दिनों से बीमार चल रहे थे और हॉस्पिटल में उनका इलाज जारी था.
मंगलवार को अंतिम संस्कार
93 साल के प्रोफेसर पीडी खेरा ने लोरमी के अचानकमार टाइगर के अंदरूनी इलाकों में मौजूद वनग्रामों में लगभग 35 साल से आदिवासियों के उत्थान के लिए काम किया. पीडी खेरा का जन्म 13 अप्रैल 1928 को हुआ था. उनका अंतिम संस्कार मंगलवार (24 सितंबर) को मुगेली जिले के लमनी गांव में किया जाएगा.
सादगी और गांधीवादी सोच के लिए किए जाएंगे याद
प्रो. खेरा के देहांत पर लोरमी विधायक धरमजीत सिंह ने कहा कि प्रो. खेरा ने तीन दशक से ज्यादा समय से चकाचौंध की जिंदगी को छोड़कर अचानकमार टाइगर रिजर्व क्षेत्र के बच्चों के उत्थान में अपनी जिंदगी लगा दी. वो अपने सादगी और गांधीवादी सोच के लिए सदैव याद किये जायेंगे.