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पेंड्रा में साहित्यकार पंडित माधव राव सप्रे की जयंती पर संगोष्ठी - Marwahi MLA Dr KK Dhruv

सुप्रसिद्ध साहित्यकार पंडित माधव राव सप्रे (birth anniversary Pandit Madhav Rao Sapre ) की 151वीं जयंती पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन हुआ.कबीर चबूतरा पर देश-प्रदेश से आए जाने माने साहित्यकारों ने अपने विचार प्रस्तुत किए.

birth anniversary Pandit Madhav Rao Sapre
साहित्यकार पंडित माधव राव सप्रे की जयंती पर संगोष्ठी
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Published : Jun 18, 2022, 3:19 PM IST

गौरेला पेंड्रा मरवाही :छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध साहित्यकार पंडित माधव राव सप्रे की 151वीं जयंती पर ईको हिल रिजॉर्ट कबीर चबूतरा में भव्य कार्यक्रम हो रहा (birth anniversary Pandit Madhav Rao Sapre ) है. दो दिवसीय सप्रे स्मृति महोत्सव के उद्घाटन सत्र में आधार वक्तव्य में अतिथियों ने सप्रे जी के ऐतिहासिक घटनाक्रमों की सिलसिलेवार जानकारी दी. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मरवाही विधायक डॉक्टर के के ध्रुव (Marwahi MLA Dr KK Dhruv) ने दीप प्रज्वलित कर महोत्सव का शुभारंभ किया. विधायक डॉक्टर ध्रुव ने कहा कि ''सप्रे जी का ऐतिहासिक विरासत बहुत विशाल है. उनके बारे में कहना सूर्य को दीया दिखाने के जैसा है. सप्रे जी के आदर्शों को अपने जीवन में सार्थक बनाने का प्रयास करें.''

सप्रे के जीवन पर प्रकाश : उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कर रहे संभागायुक्त डॉ संजय अलंग ने कहा कि ''राज्य सरकार कलात्मक साहित्यिक और रचनात्मक विकास के लिए अथक प्रयास कर रही है. उन्होंने सप्रे जी से जुड़े ऐतिहासिक घटनाओं मालवा, कोंकण, नागपुर और पेंड्रा का जिक्र किया. उन्होंने छत्रसाल बाजीराव पेशवा से जुड़े साहित्यिक घटनाओं की जानकारी दी और पेंड्रा में सप्रे जी के साहित्यिक घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि पेंड्रा कबीर चबूतरा में उनकी जयंती पर समारोह आयोजित करने से साहित्यिक विकास होगा.'' उन्होंने जिला प्रशासन के प्रयास से इको हिल रिजॉर्ट कबीर चबूतरा को कार्य शालाओं के रूप में विकसित करने की बात (Sapre Memorial Festival in Pendra) कही.

क्या रहा सप्रे का योगदान : उद्घाटन सत्र में पुरातत्व और संस्कृति अध्येता राहुल कुमार सिंह ने माधव राव सप्रे के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि ''सप्रे जी की सोच 1901 में शिक्षा, समाज सुधार, जात पात और स्त्रियों की दशा को लेकर उत्तम थी. माधव राव सप्रे हिंदी के पहले पत्रकार थे. उन्होंने सप्रे के चरित्र निर्माण, दृढ़ संकल्प, साहसिक पारदर्शिता, उनके दुर्लभ कृतियों और बालबोधिनी में स्त्रियों की स्थिति पर समालोचना की है.'' राहुल सिंह ने सप्रे जी की प्रमुख कृतियों स्वदेशी आंदोलन और बाइकॉट, एक टोकरी भर मिट्टी सहित अनेक साहित्यिक संदर्भ की जानकारी दी.

जिला प्रशासन मौके पर मौजूद : कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी ने स्वागत उद्बोधन दिया. उन्होंने कहा कि ''छत्तीसगढ़ में साहित्यिक विरासत बहुत बड़ा है. कबीर चबूतरा को कबीर दास जी और नानक जी का मिलन स्थल माना जाता है. कबीर चबूतरा (Pendra Kabir Chabutra Hill Resort) में सप्रे स्मृति महोत्सव के आयोजन से एक नये ऊर्जा का संचार होगा.'' सप्रे स्मृति महोत्सव के सत्रों में देश-प्रदेश से आए जाने माने साहित्यकारों द्वारा सप्रे जी की स्मृति पर विचार प्रकट किया जा रहा है.

गौरेला पेंड्रा मरवाही :छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध साहित्यकार पंडित माधव राव सप्रे की 151वीं जयंती पर ईको हिल रिजॉर्ट कबीर चबूतरा में भव्य कार्यक्रम हो रहा (birth anniversary Pandit Madhav Rao Sapre ) है. दो दिवसीय सप्रे स्मृति महोत्सव के उद्घाटन सत्र में आधार वक्तव्य में अतिथियों ने सप्रे जी के ऐतिहासिक घटनाक्रमों की सिलसिलेवार जानकारी दी. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मरवाही विधायक डॉक्टर के के ध्रुव (Marwahi MLA Dr KK Dhruv) ने दीप प्रज्वलित कर महोत्सव का शुभारंभ किया. विधायक डॉक्टर ध्रुव ने कहा कि ''सप्रे जी का ऐतिहासिक विरासत बहुत विशाल है. उनके बारे में कहना सूर्य को दीया दिखाने के जैसा है. सप्रे जी के आदर्शों को अपने जीवन में सार्थक बनाने का प्रयास करें.''

सप्रे के जीवन पर प्रकाश : उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कर रहे संभागायुक्त डॉ संजय अलंग ने कहा कि ''राज्य सरकार कलात्मक साहित्यिक और रचनात्मक विकास के लिए अथक प्रयास कर रही है. उन्होंने सप्रे जी से जुड़े ऐतिहासिक घटनाओं मालवा, कोंकण, नागपुर और पेंड्रा का जिक्र किया. उन्होंने छत्रसाल बाजीराव पेशवा से जुड़े साहित्यिक घटनाओं की जानकारी दी और पेंड्रा में सप्रे जी के साहित्यिक घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि पेंड्रा कबीर चबूतरा में उनकी जयंती पर समारोह आयोजित करने से साहित्यिक विकास होगा.'' उन्होंने जिला प्रशासन के प्रयास से इको हिल रिजॉर्ट कबीर चबूतरा को कार्य शालाओं के रूप में विकसित करने की बात (Sapre Memorial Festival in Pendra) कही.

क्या रहा सप्रे का योगदान : उद्घाटन सत्र में पुरातत्व और संस्कृति अध्येता राहुल कुमार सिंह ने माधव राव सप्रे के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि ''सप्रे जी की सोच 1901 में शिक्षा, समाज सुधार, जात पात और स्त्रियों की दशा को लेकर उत्तम थी. माधव राव सप्रे हिंदी के पहले पत्रकार थे. उन्होंने सप्रे के चरित्र निर्माण, दृढ़ संकल्प, साहसिक पारदर्शिता, उनके दुर्लभ कृतियों और बालबोधिनी में स्त्रियों की स्थिति पर समालोचना की है.'' राहुल सिंह ने सप्रे जी की प्रमुख कृतियों स्वदेशी आंदोलन और बाइकॉट, एक टोकरी भर मिट्टी सहित अनेक साहित्यिक संदर्भ की जानकारी दी.

जिला प्रशासन मौके पर मौजूद : कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी ने स्वागत उद्बोधन दिया. उन्होंने कहा कि ''छत्तीसगढ़ में साहित्यिक विरासत बहुत बड़ा है. कबीर चबूतरा को कबीर दास जी और नानक जी का मिलन स्थल माना जाता है. कबीर चबूतरा (Pendra Kabir Chabutra Hill Resort) में सप्रे स्मृति महोत्सव के आयोजन से एक नये ऊर्जा का संचार होगा.'' सप्रे स्मृति महोत्सव के सत्रों में देश-प्रदेश से आए जाने माने साहित्यकारों द्वारा सप्रे जी की स्मृति पर विचार प्रकट किया जा रहा है.

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