बिलासपुर: यात्री ट्रेनों को 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ाने की रेलवे की तैयारी पूरी (semi hight speed train in SECR)हो गई है. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे ने रेलवे ट्रैक के मेंटेनेंस और सुरक्षा के लगभग सभी कार्य पूरे कर लिए है. बोर्ड के हरि झंडी के बाद ट्रेनों को 130 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलाने की योजना पर अमल शुरू कर दिया जाएगा. दपुमरे ने नागपुर से लेकर झाड़सुगड़ा तक यात्री ट्रेनों को 130 किलोमीटर प्रति घंटा से दौड़ाने की योजना पर काम शुरू किया था और अब यह काम पूरा होने वाला है. बोर्ड से स्वीकृति मिलते ही इस योजना को शुरु किया जायेगा. bilaspur railway zone
130 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेनों को चलाने की क्षमता: दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे नागपुर से लेकर कटनी तक तीन मंडलों से बना हुआ है. रेलवे विकास और सुरक्षा को लेकर पिछले कुछ समय से कार्य कर रही थी. दूसरी और तीसरी लाइन के साथ ही चौथी लाइन बिछाने का काम अभी जारी है. लेकिन रेलवे अब इस स्थिति में पहुंच गई है कि 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से यात्री ट्रेनों को चला सकती है. रेलवे ने अपनी तरफ से किए जाने वाले लगभग सभी कार्यों को पूरा कर लिया है. रेलवे थोड़े बाकी कार्य भी जल्द पूरा कर लेगा. SECR bilaspur railway zone
सेमी हाई स्पीड से चलाएंगे यात्री ट्रेन: यात्री ट्रेनों को सेमी हाई स्पीड से चलाने दपुमरे ने नागपुर से दुर्ग तक इसका प्रयोग भी किया था और वह सफल भी हुआ. दुर्ग से बिलासपुर और झाड़सुगड़ा तक प्रयोग चल रहा और उसमें भी सफलता मिल चुकी है. अब जोन के अधिकारियों को रेलवे बोर्ड के हरी झंडी का इंतजार है, ताकि 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से यात्री ट्रेनों को चलाया जा सके.
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यात्रियों को मिलेगा लाभ: 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से यात्री ट्रेनों के चलने पर आम जनता को काफी लाभ तो होगा. साथ ही रेलवे को भी कम समय में ज्यादा राजस्व मिलने की उम्मीद है. यही कारण है कि पिछले कुछ महीनों से ट्रेनों को कैंसिल कर ट्रैक की मरम्मत के साथ ही तीसरी लाइन बिछाई जा रही थी. पूरे मामले में रेलवे बोर्ड के अनुमति का इंतजार कर रही है. बोर्ड से अनुमति मिल जाएगी, तो ट्रायल के साथ ही नियमित रूप से इसका संचालन शुरू कर दिया जाएगा.
24 कोच रहेंगी सेमी हाई स्पीड ट्रेनों पर: दुर्ग से झारसुगुड़ा तक ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाकर 130 किमी करने की तैयारी पूरी हो चुकी है. इस गति के लायक ट्रैक को तैयार कर लिया गया है. इसमें 24 कोच की एक ट्रेन रहेगी, जिसके कोच में उतना ही वजन होगा, जितना ट्रेनों के परिचालन के दौरान रहता है. इसके कोच को सीमित रखने का यह कारण भी है कि लोको के वजन खिंचने की क्षमता के मुताबिक रखा जाएगा. स्पीड बढ़ाने में वजन अधिक होने से रफ्तार कम हो सकती है या टेक्निकल इश्यू भी हो सकता है.
अभी 80 से 130 किलो में चलती है ट्रेनें: दुर्ग से झारसुगुड़ा के बीच की दूरी 320 किमी है. वर्तमान में तीनो मंडलों के सेक्शन पर ट्रेनों की रफ्तार 80 से 110 किमी प्रतिघंटा है. 130 किमी प्रतिघंटे से ट्रेन चलाने के लिए रेलवे के संबंधित विभाग ने काफी दिनों से काम कर रहा है. इसमें ट्रैक की मरम्मत, पटरियों के किनारे बेरीकेड जैसे महत्वपूर्ण कार्य हैं. इससे परिचालन में किसी प्रकार का व्यवधान उत्पन्न नही होगा.