बिलासपुर: कोरोना वायरस संक्रमण और लॉकडाउन ने लोगों के जीवन को काफी प्रभावित किया है. कई लोगों ने तो अपने व्यवसाय भी बदल लिए हैं. मिट्टी की मूर्तियां और खिलौने बनाकर घर चलाने वाले कारीगर भी कोरोना संकट की मार झेल रहे हैं. हालात ये हैं कि अब इन्हें रोजी रोटी की चिंता सताने लगी है.
मिट्टी की छोटी-छोटी मूर्तियां बनाने वाले कारीगरों की माली स्थिति काफी खराब हो चुकी है. आगामी 19 अगस्त को होने वाले पोला पर्व के लिए बनाए गए खिलौनों की बिक्री को लेकर संशय बना हुआ है. कारीगरों को डर है कि कहीं फिर से लॉकडाउन ना हो जाए क्योंकि ऐसा होता है तो उनकी पूरी मेहनत पर पानी फिर सकता है.
पोला छत्तीसगढ़ के प्रमुख त्योहारों में से एक है. प्रदेश में इसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. इस त्यौहार में मिट्टी के खिलौने आवश्यक रूप से खरीदे जाते हैं और घर-घर में पारंपरिक पोला तिहार मनाया जाता है. कारीगरों ने लॉकडाउन के दौरान बड़ी मशक्कत से मिट्टी की व्यवस्था की थी और मिट्टी के खिलौने बनाए थे. लेकिन अब इन्हें बेचने की अनुमति और बिक्री की चिंता सताने लगी है.
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भूखे मरने की नौबत
कोरोना काल में मिट्टी के सामानों की बिक्री नहीं होने की वजह से कारीगरों के सामने भूखों मरने की नौबत आ गई है. शहर के कारीगरों ने पोला पर्व को लेकर मिट्टी के बैल, चुकिया,जाता सहित कई खिलौने बना रखे हैं. कोरोना का असर त्योहारों के साथ-साथ व्यापार पर भी बड़े पैमाने पर पड़ा है.