बिलासपुर: पिछले दिनों प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में अवैध उत्खनन और परिवहन पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रदेश के सभी जिलों के कलेक्टर और एसपी को निर्देश दिए. मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद प्रदेश के सभी जिलों में लगातार अवैध उत्खनन और परिवहन रोकने के लिए प्रशासन हरकत में आया. हजारों ट्रक-ट्रैक्टर, उत्खनन और परिवहन में लगे दूसरे अन्य वाहनों को जब्त किया गया. अवैध रेत खदानों को बंद कर दिया गया.
रेत खदानों के बंद होने के बाद छत्तीसगढ़ में रेत के लिए हाहाकार मचने लगा है. छत्तीसगढ़ में रेत का कृत्रिम संकट पैदा हो गया है. अब रेत की कालाबाजारी भी शुरू हो गई है. छोटे-बड़े जिलों की बात करें तो सैकड़ों नदियां प्रदेश से निकलती और गुजरती हैं. सभी नदियों में चल रहे अवैध रेत घाटों को बंद तो कर दिया गया लेकिन प्रशासन की वैकल्पिक व्यवस्था नहीं करने से अब रेत की कीमतें बेलगाम हो गईं हैं. आम जनता अपने सपने का आशियाना बनाने के लिए रेत की खरीदी करने के लिए जद्दोजहद कर रही है.
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क्यों बढ़ी है रेत की कीमतें
अवैध रेत घाटों के बंद होने से लाइसेंसी घाटों में रेत की पर्याप्त मात्रा नहीं होने और तेजी से निर्माण कार्य होने की वजह से रेत की मांग बढ़ गई है. रेत की मांग बढ़ने से कालाबाजारी शुरू हो गई है. पहले से डंप रेत के दाम बढ़ा दिए गए हैं. आम जनता भी बढ़ी कीमतों में रेत खरीदने को मजबूर हो गई है.
कैसे चल रहा है रेत का खेल
अवैध रेत घाट बंद होने के बाद लाइसेंसी रेत खदानों से निकलने वाले लाइसेंस में शासकीय ड्यूटी 300 रुपए के करीब है, लेकिन रेत घाट संचालक एक ट्रैक्टर के पीछे साढ़े 6 सौ रॉयल्टी वसूल रहे हैं. इसके साथ ही ट्रैक्टर में रेत डालने लगाए जाने वाले मजदूरों को एक ट्रैक्टर के पीछे 300 रुपए दिए जाते हैं. ड्राइवर की रोजी और ट्रैक्टर में लगने वाले डीजल के साथ ही मालिक के प्रॉफिट को मिलाकर एक ट्रैक्टर की कीमत लगभग 12-13 सौ रूपए हो रही है. उपभोक्ता तक पहुंच कर एक ट्रैक्टर रेत की कीमत अट्ठारह सौ से दो हजार रुपए हो रही है. हाइवा ट्रक में तीन से 4 हजार रुपए अधिक कीमत बढ़ गई है. ऐसे में पूरे प्रदेश का यही हाल है. रेत की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हो रही है.
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वर्तमान में रेत की क्या है कीमत ?
सरकार के निर्देश के पहले रेत की कीमत की अगर बात करें तो रेत की कीमत अधिक तो थी लेकिन वर्तमान की कीमतों से बहुत कम थी. पहले एक ट्रैक्टर रेत की कीमत 15 सौ से 18 सौ रुपए और एक हाइवा ट्रक रेत की कीमत 9 हजार से 12 हजार रुपए थी. सरकार के निर्देश के बाद बंद हुए अवैध रेत घाटों के बाद एक ट्रैक्टर रेत की कीमत 3 हजार और हाइवा ट्रक में यही रेत 15 से 18 हजार रुपए हो गई है.
अधिकारियों का कहना है कि वह बढ़ी रेत की कीमतों में कंट्रोल करने का प्रयास कर रहे हैं. सप्लायर का कहना है कि जिस कीमत में उन्हें घाट से रेट मिलता है और इसके परिवहन में होने वाले खर्च पर मात्र 2 सौ का कमीशन ही उन्हें मिल रहा है. जिस कीमत में उन्हें रेत मिलती है, उसी कीमत में उन्हें बेचना मजबूरी है. वहीं मकान निर्माण करवा रहे आम लोगों का कहना है कि उनके बजट में बढ़ोतरी हो रही है. वह अपना मकान निर्माण कराने के लिए जिस बजट को लेकर चल रहे थे, वह अब बिगड़ने लगा है. ऐसे में उन्हें अब अपने मकान का निर्माण बीच में ही रोकना पड़ सकता है.