बिलासपुर: देश और दुनिया में जब आपात स्थिति बनती है तो उसका सबसे ज्यादा प्रभाव समाज के निचले तबके पर पड़ता है, क्योंकि ये वो तबका है जो हर रोज जीने के लिए जद्दोजहद करता है. ये लोग रोज कमाते हैं और रोज खाते हैं.
ऐसे ही कुछ लोग है जो हमें हमारी मंजिल तक पहुंचाने में मददगार होते हैं. इनकी मदद से हमें मंजिल मिलती है तो उन्हें रोटी मिलती है. रिक्शा चालकों और ऑटो ड्राइवर्स की जिदंगी पर कोरोना वायरस और लॉकडाउन ने ब्रेक लगा दिया है.
शहर के रिक्शा चालक इन दिनों रोज इस उम्मीद के साथ घर से निकलते हैं कि शायद कुछ कमाई हो जाए, लेकिन लॉकडाउन के इन हालातों में इन्हें सिर्फ मायूसी ही हाथ लग रही है. दरअसल सुबह 7 बजे से 12 बजे तक जरूरी सेवा के तहत रिक्शा और ऑटो चालक भी घर के बाहर रोजी कमाने निकल रहे हैं लेकिन लॉकडाउन से पहले हर रोज 200 से 300 कमाने वाले अब सिर्फ 10 से 20 रुपए कमाकर ही घर लौट रहे हैं.
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आप भी सुनिए इनका दर्द
ETV भारत की टीम ने शहर के तिलक नगर के आस-पास रहने वाले रिक्शा चालकों और ऑटो ड्राइवर्स का हालचाल जाना. यहां रहने वाले अशोक श्रीवास और इनकी ही तरह रिक्शा और ऑटो चलाने वालों ने अपना दर्द ETV भारत से बयां किया. हर रोज कमाई होने के बाद भी हिसाब से घर चलाने वालों के सामने बिना कमाई के घर चलाना इस कदर मुश्किल हो रहा है कि वे कर्ज लेकर गुजारा कर रहे हैं. इनका कहना है कि राशनकार्ड से चावल जरूर मिल जाता है लेकिन खाने-पीने की दूसरी जरूरी चीजें कर्ज के पैसों से ही लानी पड़ रही हैं. जिससे घर की स्थिति दिनों-दिन दयनीय होती जा रही है.
कोरोना को हराने के लिए किए लॉकडाउन को सफल बनाने में हर इंसान अपनी भागीदारी निभा रहा है और घर में रह रहा है फिर चाहे वो 'खास' हो या 'आम', 'खास' को तो इसमें कोई दिक्कत नहीं आ रही है लेकिन 'आम' की जिंदगी के पहिए थमने लगे है.