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भूपेश सरकार की आरक्षण नीति को हाईकोर्ट में चुनौती, HC ने 10 दिनों में शासन से मांगा जवाब - हाईकोर्ट

राज्य सरकार द्वारा दिए गए आरक्षण का विरोध रुकने का नाम नहीं ले रहा है. लगातार इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन और फैसले को चुनौती भी दी जा रही है. मामले को लेकर हाईकोर्ट में दायर याचिका पर आज पहली सुनवाई हुई.

आरक्षण नीति को हाईकोर्ट में चुनौती
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Published : Sep 14, 2019, 1:58 PM IST

Updated : Sep 14, 2019, 2:19 PM IST

बिलासपुर: राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में कुल 82 फीसदी आरक्षण को चुनौती देने के मामले में शनिवार को हाईकोर्ट में पहली सुनवाई हुई. नई आरक्षण नीति को बिलासपुर के आदित्य तिवारी ने चुनौती दी थी. शनिवार को चीफ जस्टिस रामचंद्रन मेनन और जस्टिस पी.पी. साहू की युगलपीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए शासन से 10 दिनों में जवाब मांगा है.

भूपेश सरकार की आरक्षण नीति को हाईकोर्ट में चुनौती

आरक्षण को लेकर लाया गया अध्यादेश असंतुलित: याचिकाकर्ता
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में यह जिक्र किया है कि राज्य सरकार के द्वारा आरक्षण को लेकर लाया गया अध्यादेश असंतुलित है. सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही एक फैसले में निर्णय सुनाते हुए कहा था कि किसी भी राज्य में 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण लागू नहीं किया जा सकता. याचिकाकर्ता ने बताया कि आरक्षण नीति में सामान्य वर्ग के लिए कोई जगह नहीं छोड़ी गयी है. इस नीति से मध्यम वर्ग का सबसे ज्यादा नुकसान होगा.

बता दें कि नई आरक्षण नीति लागू होते ही इसके खिलाफ प्रदेश के सवर्ण वर्ग आंदोलन करते नजर आ रहे हैं. बीते दिनों प्रदेश भर में विरोध प्रदर्शन किया गया.

नई आरक्षण नीति के तहत बढ़ा कोटा.

  • अनुसूचित जाति 13%
  • अनुसूचित जनजात 32%
  • अन्य पिछड़ा वर्ग 27%
  • सवर्ण आरक्षण 10%

बिलासपुर: राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में कुल 82 फीसदी आरक्षण को चुनौती देने के मामले में शनिवार को हाईकोर्ट में पहली सुनवाई हुई. नई आरक्षण नीति को बिलासपुर के आदित्य तिवारी ने चुनौती दी थी. शनिवार को चीफ जस्टिस रामचंद्रन मेनन और जस्टिस पी.पी. साहू की युगलपीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए शासन से 10 दिनों में जवाब मांगा है.

भूपेश सरकार की आरक्षण नीति को हाईकोर्ट में चुनौती

आरक्षण को लेकर लाया गया अध्यादेश असंतुलित: याचिकाकर्ता
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में यह जिक्र किया है कि राज्य सरकार के द्वारा आरक्षण को लेकर लाया गया अध्यादेश असंतुलित है. सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही एक फैसले में निर्णय सुनाते हुए कहा था कि किसी भी राज्य में 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण लागू नहीं किया जा सकता. याचिकाकर्ता ने बताया कि आरक्षण नीति में सामान्य वर्ग के लिए कोई जगह नहीं छोड़ी गयी है. इस नीति से मध्यम वर्ग का सबसे ज्यादा नुकसान होगा.

बता दें कि नई आरक्षण नीति लागू होते ही इसके खिलाफ प्रदेश के सवर्ण वर्ग आंदोलन करते नजर आ रहे हैं. बीते दिनों प्रदेश भर में विरोध प्रदर्शन किया गया.

नई आरक्षण नीति के तहत बढ़ा कोटा.

  • अनुसूचित जाति 13%
  • अनुसूचित जनजात 32%
  • अन्य पिछड़ा वर्ग 27%
  • सवर्ण आरक्षण 10%
Intro:राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में कुल 82 फीसदी आरक्षण को चुनौती देने के मामले में आज हाईकोर्ट में प्राथमिक सुनवाई हुई । नई आरक्षण नीति को बिलासपुर निवासी आदित्य तिवारी ने चुनौती दी थी । आज चीफ जस्टिस और जस्टिस पी पी साहू की युगलपीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए शासन से 10 दिनों में जवाब तलब किया है ।


Body:याचिकाकर्ता ने अपने याचिका में यह जिक्र किया है कि राज्य सरकार के द्वारा आरक्षण को लेकर लाया गया अध्यादेश असंतुलित है । सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही एक फैसले में निर्णय सुनाते हुए कहा था कि किसी भी राज्य में 50 फीसदी से अधिक आरक्षण लागू नहीं किया जा सकता । याचिकाकर्ता ने बताया कि आरक्षण नीति में सामान्य वर्ग के लिए कोई स्थान नहीं छोड़ा गया है और इस नीति से सर्वाधिक नुकसान मध्यम वर्ग का होगा ।


Conclusion:जानकारी दें कि नई आरक्षण लागू होते ही नई नीति के खिलाफ प्रदेश के सवर्ण वर्ग आंदोलन करते नजर आ रहे हैं और बीते दिनों प्रदेश भर में विरोध प्रदर्शन किया गया ।

नई आरक्षण नीति के तहत बढ़ा हुआ कोटा...
अनुसूचित जाति...13%
अनुसूचित जनजाति..32%
अन्य पिछड़ा वर्ग......27%
सवर्ण आरक्षण.......10%
विशाल झा..... बिलासपुर
Last Updated : Sep 14, 2019, 2:19 PM IST
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