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बिलासपुर: बस्तर विवि के पूर्व सचिव की याचिका पर नियमित बेंच करेगी सुनवाई - बस्तर विश्वविद्यालय के पूर्व सचिव की याचिका

बस्तर विवि के पूर्व सचिव की याचिका पर बिलासपुर हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद रेगुलर बेंच में ट्रांसफर कर दिया है. इसके पीछे कोर्ट ने मामले को सुनवाई योग्य ना मानते हुए रेगुलर बेंच में ट्रांसफर कर दिया.

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बस्तर विवि के पूर्व सचिव की याचिका पर नियमित बेंच करेगी सुनवाई
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Published : Jun 3, 2020, 9:33 AM IST

बिलासपुर:रिटायर हो चुके बस्तर विश्वविद्यालय के कुलसचिव की याचिका पर मंगलवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने कुलसचिव की याचिका को रेगुलर बेंच में ट्रांसफर कर दिया है.

बता दें कि बस्तर विश्वविद्यालय में कुल सचिव के पद पर एसपी तिवारी नियुक्त थे. 2019 में कार्यकाल पूरा करने के बाद उनको रिटायर कर दिया गया, लेकिन सेवानिवृत्त किए जाने के बाद विश्वविद्यालय ने उनकी पेंशन राशि पर रोक लगा दी. विश्वविद्यालय की ओर से कहा गया कि एसपी तिवारी के खिलाफ लोकायुक्त से शिकायत की गई थी, जिसमे उन्हें दोषी पाया गया जिसके बाद उनकी पेंशन राशि रोक दी गई.विश्विद्यालय के इस फैसले के खिलाफ तिवारी ने हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत की. जिसमें उनके वकील ने कोर्ट के सामने कहा की तिवारी के कार्यकाल के दौरान यूनिवर्सिटी में बिना डिमांड के ठेकेदार कंप्यूटर की आपूर्ति करना चाहता था, जिसकी इजाजत तिवारी ने नहीं दी.जिसके बाद ठेकेदार ने लोकायुक्त से उनकी शिकायत कर दी.

कोर्ट में वकील ने कहा कि लोकायुक्त को शिकायत पर केवल जांच का अधिकार है ना कि उस पर फैसला जारी करने का.सुनवाई के बाद कोर्ट ने मामले को विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई योग्य ना मानते हुए रेगुलर बेंच में ट्रांसफर कर दिया है. पूरे मामले की सुनवाई जस्टिस गौतम भादुड़ी की सिंगल बेंच में की गई.

बिलासपुर:रिटायर हो चुके बस्तर विश्वविद्यालय के कुलसचिव की याचिका पर मंगलवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने कुलसचिव की याचिका को रेगुलर बेंच में ट्रांसफर कर दिया है.

बता दें कि बस्तर विश्वविद्यालय में कुल सचिव के पद पर एसपी तिवारी नियुक्त थे. 2019 में कार्यकाल पूरा करने के बाद उनको रिटायर कर दिया गया, लेकिन सेवानिवृत्त किए जाने के बाद विश्वविद्यालय ने उनकी पेंशन राशि पर रोक लगा दी. विश्वविद्यालय की ओर से कहा गया कि एसपी तिवारी के खिलाफ लोकायुक्त से शिकायत की गई थी, जिसमे उन्हें दोषी पाया गया जिसके बाद उनकी पेंशन राशि रोक दी गई.विश्विद्यालय के इस फैसले के खिलाफ तिवारी ने हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत की. जिसमें उनके वकील ने कोर्ट के सामने कहा की तिवारी के कार्यकाल के दौरान यूनिवर्सिटी में बिना डिमांड के ठेकेदार कंप्यूटर की आपूर्ति करना चाहता था, जिसकी इजाजत तिवारी ने नहीं दी.जिसके बाद ठेकेदार ने लोकायुक्त से उनकी शिकायत कर दी.

कोर्ट में वकील ने कहा कि लोकायुक्त को शिकायत पर केवल जांच का अधिकार है ना कि उस पर फैसला जारी करने का.सुनवाई के बाद कोर्ट ने मामले को विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई योग्य ना मानते हुए रेगुलर बेंच में ट्रांसफर कर दिया है. पूरे मामले की सुनवाई जस्टिस गौतम भादुड़ी की सिंगल बेंच में की गई.

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