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बिलासपुर: 5 दिसंबर से राउत नाचा महोत्सव का आयोजन, कलेक्टर ने दिए ये निर्देश - बिलासपुर में राउत नाचा का आयोजन

बिलासपुर में देवउठनी एकादशी के बाद से राउत नाचा का दौर शुरू हो जाता है. शहर में एक से बढ़कर एक दोहों के साथ यदुवंशी नाच का प्रदर्शन करते हैं. इस बार 5 दिसंबर शनिवार को लाल बहादुर शास्त्री स्कूल मैदान में राउत नाचा महोत्सव का आयोजन किया जाएगा.

Raut Nacha Festival organized in Bilaspur from 5 December
राउत नाचा महोत्सव का आयोजन
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Published : Nov 24, 2020, 10:21 AM IST

Updated : Nov 24, 2020, 3:43 PM IST

बिलासपुर: जिले में इस बार 5 दिसंबर से राउत नाचा महोत्सव का आगाज होगा. कलेक्टर सारांश मित्तर ने इसकी अनुमति दे दी हैं. कलेक्टर ने कहा कि शासन-प्रशासन की गाइडलाइन को ध्यान रखते हुए लाल बहादुर शास्त्री स्कूल मैदान में राउत नाचा महोत्सव का आयोजन कर सकते हैं. पुलिस प्रशासन भी राउत नाचा महोत्सव के दौरान समिती का साथ देगी.

राउत नाचा महोत्सव का आयोजन

दरअसल देवउठनी एकादशी के बाद अंचल में राउत नाचा का दौर शुरू हो जाता है. शहर में एक से बढ़कर एक दोहों के साथ यदुवंशी नाच का प्रदर्शन करते हैं. इस साल कोरोना के कारण शहर में होने वाले राज्य स्तरीय राउत नाचा महोत्सव पर भी संशय था. ऐसे में महापौर रामशरण यादव सहित राउत नाच महोत्सव आयोजन समिति के संयोजक कालीचरण यादव, आर जी यादव, पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष कृष्ण कुमार यादव (राजू) और सदस्यों के साथ सोमवार सुबह बिलासपुर कलेक्टर सारांश मित्तर से मिल कर हर साल की तरह इस साल भी राउत नाचा के आयोजन को लेकर चर्चा की.

5 दिसंबर शनिवार से होगी शुरुआत

शहर के महापौर रामशरण यादव ने बताया कि 43वां राउत नाचा महोत्सव को लेकर जिला प्रशासन से सहमति मिल गई है. देवउठनी के बाद 5 दिसंबर शनिवार को लाल बहादुर शास्त्री स्कूल मैदान में राउत नाचा महोत्सव का आयोजन किया जाएगा. इसमें कोरोना संक्रमण को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग सहित शासन के अन्य गाइडलाइन का पूरा ध्यान रखा जाएगा.

पढ़ें- राउत नाचा: छत्तीसगढ़ का वो नृत्य, जो यदुवंशियों के बिन हो नहीं सकता

1978 में हुई थी शुरुआत
महापौर रामशरण यादव ने बताया कि साल 1978 में राउत नाचा महोत्सव की नींव दिवगंत मंत्री बीआर यादव के प्रयासों से मिला था. इसका मुख्य उद्देश्य समाज को संगठित करना था. इसमें छोटी-छोटी मंडलियां शामिल हुईं थी. समय के साथ छोटी-छोटी मंडलियों ने संगठित होकर बड़े दल का रूप लिया था. वहीं महोत्सव के रूप में इसे भव्यता साल 1985 से लाल बहादुर शास्त्री स्कूल मैदान में आयोजन कराने से मिली.

कोरोना का गाइडलाइन पालन करने की अपील

महापौर रामशरण ने बताया कि बिलासपुर के रावत नाच महोेत्सव का राज्य में अलग ही पहचान बनी है. पहले आसपास के क्षेत्र से ही दल आते थे. लेकिन, जैसे-जैसे प्रसिद्धि बढ़ती गई, वैसे ही दलों की संख्या भी बढ़ती गई.

बिलासपुर: जिले में इस बार 5 दिसंबर से राउत नाचा महोत्सव का आगाज होगा. कलेक्टर सारांश मित्तर ने इसकी अनुमति दे दी हैं. कलेक्टर ने कहा कि शासन-प्रशासन की गाइडलाइन को ध्यान रखते हुए लाल बहादुर शास्त्री स्कूल मैदान में राउत नाचा महोत्सव का आयोजन कर सकते हैं. पुलिस प्रशासन भी राउत नाचा महोत्सव के दौरान समिती का साथ देगी.

राउत नाचा महोत्सव का आयोजन

दरअसल देवउठनी एकादशी के बाद अंचल में राउत नाचा का दौर शुरू हो जाता है. शहर में एक से बढ़कर एक दोहों के साथ यदुवंशी नाच का प्रदर्शन करते हैं. इस साल कोरोना के कारण शहर में होने वाले राज्य स्तरीय राउत नाचा महोत्सव पर भी संशय था. ऐसे में महापौर रामशरण यादव सहित राउत नाच महोत्सव आयोजन समिति के संयोजक कालीचरण यादव, आर जी यादव, पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष कृष्ण कुमार यादव (राजू) और सदस्यों के साथ सोमवार सुबह बिलासपुर कलेक्टर सारांश मित्तर से मिल कर हर साल की तरह इस साल भी राउत नाचा के आयोजन को लेकर चर्चा की.

5 दिसंबर शनिवार से होगी शुरुआत

शहर के महापौर रामशरण यादव ने बताया कि 43वां राउत नाचा महोत्सव को लेकर जिला प्रशासन से सहमति मिल गई है. देवउठनी के बाद 5 दिसंबर शनिवार को लाल बहादुर शास्त्री स्कूल मैदान में राउत नाचा महोत्सव का आयोजन किया जाएगा. इसमें कोरोना संक्रमण को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग सहित शासन के अन्य गाइडलाइन का पूरा ध्यान रखा जाएगा.

पढ़ें- राउत नाचा: छत्तीसगढ़ का वो नृत्य, जो यदुवंशियों के बिन हो नहीं सकता

1978 में हुई थी शुरुआत
महापौर रामशरण यादव ने बताया कि साल 1978 में राउत नाचा महोत्सव की नींव दिवगंत मंत्री बीआर यादव के प्रयासों से मिला था. इसका मुख्य उद्देश्य समाज को संगठित करना था. इसमें छोटी-छोटी मंडलियां शामिल हुईं थी. समय के साथ छोटी-छोटी मंडलियों ने संगठित होकर बड़े दल का रूप लिया था. वहीं महोत्सव के रूप में इसे भव्यता साल 1985 से लाल बहादुर शास्त्री स्कूल मैदान में आयोजन कराने से मिली.

कोरोना का गाइडलाइन पालन करने की अपील

महापौर रामशरण ने बताया कि बिलासपुर के रावत नाच महोेत्सव का राज्य में अलग ही पहचान बनी है. पहले आसपास के क्षेत्र से ही दल आते थे. लेकिन, जैसे-जैसे प्रसिद्धि बढ़ती गई, वैसे ही दलों की संख्या भी बढ़ती गई.

Last Updated : Nov 24, 2020, 3:43 PM IST
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