ETV Bharat / state

पंचतत्व में विलीन हुए खेरा, हजारों लोगों ने नम आंखों से दी अंतिम विदाई

बैगा जनजाति समाज के उत्थान में अपना जीवन लगा देने वाले प्रोफेसर पीडी खेरा पंचतत्व में विलीन हो गए. उनके अंतिम दर्शन के लिए लमनी गांव में हजारों लोगों की भीड़ उमड़ी.

प्रोफेसर पीडी खेरा का लमनी में अंतिम संस्कार किया गया
author img

By

Published : Sep 24, 2019, 8:35 PM IST

Updated : Sep 24, 2019, 9:56 PM IST

बिलासपुर: 'दिल्ली वाले साहब' के नाम से मशहूर समाजसेवी प्रोफेसर पीडी खेरा का आज लमनी में अंतिम संस्कार किया गया. मौके पर उनके अंतिम दर्शन के लिए लमनी गांव में हजारों की संख्या में लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे. प्रोफेसर खेरा की अंतिम यात्रा में हजारों लोग मौजूद रहे. इस दौरान उनकी अर्थी के कांधा देने के लिए लोग तत्पर नजर आये.

पंचतत्व में विलीन हुए खेरा

प्रोफेसर खेरा ने लगभग 4 दशक तक बैगा आदिवासियों की सेवा की थी. प्रो. खेरा ने गांधी के आदर्शों को जीवन चरित्र में अपनाया था. सालों पहले जब वे एक एजुकेशनल टूर पर लमनी गांव पहुंचे थे तो बैगा आदिवासियों का पिछड़ापन देखकर उन्होंने ताउम्र उनके बीच रहकर उनकी सेवा करने और उन्हें आगे बढ़ाने का फैसला लिया था.

पढ़ें :पीडी खेरा के निधन पर शोक की लहर, अस्पताल के बाहर चाहने वालों की भीड़

'जीवन जीने का मतलब समझा दिया'

लोरमी से विधायक धरमजीत सिंह ने मौके पर उन्हें याद करते हुए कहा कि 'प्रोफेसर खेरा सच्चे अर्थ में गांधीवादी थे, जिनकी कथनी और करनी में कभी फर्क नहीं दिखा. खेरा साहब का यह समाज सदैव आभारी रहेगा, जिन्होंने सही मायने में जीवन जीने का मतलब समझा दिया'.

बिलासपुर: 'दिल्ली वाले साहब' के नाम से मशहूर समाजसेवी प्रोफेसर पीडी खेरा का आज लमनी में अंतिम संस्कार किया गया. मौके पर उनके अंतिम दर्शन के लिए लमनी गांव में हजारों की संख्या में लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे. प्रोफेसर खेरा की अंतिम यात्रा में हजारों लोग मौजूद रहे. इस दौरान उनकी अर्थी के कांधा देने के लिए लोग तत्पर नजर आये.

पंचतत्व में विलीन हुए खेरा

प्रोफेसर खेरा ने लगभग 4 दशक तक बैगा आदिवासियों की सेवा की थी. प्रो. खेरा ने गांधी के आदर्शों को जीवन चरित्र में अपनाया था. सालों पहले जब वे एक एजुकेशनल टूर पर लमनी गांव पहुंचे थे तो बैगा आदिवासियों का पिछड़ापन देखकर उन्होंने ताउम्र उनके बीच रहकर उनकी सेवा करने और उन्हें आगे बढ़ाने का फैसला लिया था.

पढ़ें :पीडी खेरा के निधन पर शोक की लहर, अस्पताल के बाहर चाहने वालों की भीड़

'जीवन जीने का मतलब समझा दिया'

लोरमी से विधायक धरमजीत सिंह ने मौके पर उन्हें याद करते हुए कहा कि 'प्रोफेसर खेरा सच्चे अर्थ में गांधीवादी थे, जिनकी कथनी और करनी में कभी फर्क नहीं दिखा. खेरा साहब का यह समाज सदैव आभारी रहेगा, जिन्होंने सही मायने में जीवन जीने का मतलब समझा दिया'.

Intro:आज जब दिल्लवाले साहब के नाम से मशहूर प्रदेश के प्रसिद्ध समाजसेवी और बैगा आदिवासी समाज के मसीहा प्रोफेसर पी डी खेरा जी का अंतिम संस्कार हुआ तो उनके अंतिम दर्शन करने के लिए लमनी गांव में हजारों की तादात में लोग जुट गए । प्रोफेसर खेरा के अंतिम यात्रा में हजारों की भीड़ यूँही उमर पड़ी और सबकी आज यही चाहत थी कि वो खेरा जी को कांधा दे सके ।


Body:कोई इंसान यूँही ही नहीं महान हो जाता है और किसी इंसान को अपना समाज यूँही आदर्श नहीं बना लेता है । प्रोफेसर खेरा ने जिस तरह लगभग 4 दशक तक बैगा आदिवासियों की सेवा उन्हीं के बीच में रह कर की वह अतुलनीय थी । खेरा साहब ने सौ फीसदी गांधी के आदर्शों को अपने जीवन चरित्र में अपनाया था । वर्षों पहले जब वो एक एजुकेशनल टूर पर लमनी गांव पहुंचे थे तो बैगा आदिवासियों के पिछड़ापन को देखकर ताउम्र उनके बीच रहकर उनकी सेवा करने और उन्हें जागरूक करने का जो बीड़ा उठाया तो उसे मरते दम तक पूरा किया ।


Conclusion:प्रोफेसर खेरा सच्चे अर्थ गांधीवादी थे जिनकी कथनी और करनी में लेशमात्र का भी फर्क नहीं था । खेरा साहब को यह समाज सदैव आभारी रहेगा जिन्होंने सही मायने में जीवन जीने के अर्थ को समझा दिया । बाईट... धरमजीत सिंह,विधायक लोरमी बाईट... अरुण साव....सांसद, बिलासपुर विशाल झा... बिलासपुर
Last Updated : Sep 24, 2019, 9:56 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.