बिलासपुर: पूरे देश में हजारों किलोमीटर ट्रेनों के ट्रैक होते हैं. नई रेल लाइन तैयार करने साथ ही ट्रैक से जुड़े सामानों को रखने के लिए रेलवे काफी जमीन छोड़ कर रखती है. Preparation to plant flower gardens in stations इन जमीनों पर शहर विकास के साथ जनसंख्या की बढ़ोतरी की वजह से कब्जा होने लगता है. SECR beautification on side of railway track बेसहारा लोग इन जमीनों पर मकान बनाकर रहने लगते हैं. bilaspur railway zone लंबे समय से रह रहे ऐसे लोगों को कब्जे से हटाने में रेलवे के पसीने छूटने लगते हैं.
ट्रैक किनारे खाली पड़ी जमीनों पर कब्जा रोकने की पहल: बिलासपुर रेलवे बोर्ड (SECR) अब ऐसी व्यवस्था करने जा रही है, जिससे ट्रैक किनारे खाली पड़ी जमीनों पर कब्जा नहीं हो पाएगा और यात्रियों को इन जगहों से गुजरने पर अच्छे नजारे तो देखने को मिलेंगे ही साथ में उन्हें यहां से गुजरने पर फूलों की खुशबू आएगी. रेलवे बोर्ड ने बिलासपुर, रायपुर और नागपुर मंडल के 10 स्टेशनों के करीब पड़ी खाली जमीनों पर फूलों की खेती करने वाला है, ताकि गंदगी कूड़ा और बेजा कब्जे से यह जमीन मुक्त तो रहेंगी ही, साथ ही यहां से गुजरने वाली ट्रेनों में बैठे यात्रियों को फूलों की खुशबू मिलेगी.
योजना में व्यर्थ जाएगा करोड़ों रुपए: भले ही यह योजना सुनने में बहुत अच्छा लग रहा है, लेकिन हजारों एकड़ खाली जमीनों पर फूलों की खेती कर पाना संभव नहीं लगता. इसके अलावा रेल प्रशासन इन खाली जमीनों पर बेजा कब्जा रोकने के लिए इनमें बाउंड्री वॉल भी करवा सकता है. ऐसे में रेलवे बोर्ड लाखों, करोड़ों रुपए तो खर्च करेगा, लेकिन इन बगीचों के मेंटेनेंस में भी और पैसे खर्च होंगे, क्योंकि इसके लिए मशीनरी के साथ मैनपावर की आवश्यकता होगी. ऐसे में रेलवे को एक्स्ट्रा खर्च का बोझ उठाना पड़ सकता है.
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सुविधा के नाम पर स्टेशन में करोड़ों खर्च, लेकिन ट्रेनों में सुविधा नहीं: दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे यात्री सुविधाओं के नाम पर स्टेशनों को सर्व सुविधा युक्त और खूबसूरत बनाने करोड़ों रुपए खर्च कर रहा है. लेकिन यात्री ट्रेनों की बात करें, तो इनमें आज भी वही सुविधाएं हैं, जो 20 साल पहले थी. यानी आज भी यात्रियों को उन्हीं सुविधाओं के बीच सफर करना पड़ रहा है, जो सुविधाएं रेल मंत्रालय ने कोच में 20 साल पहले दी थी. ट्रेनों के कोच में ना कोई बदलाव है और ना आरामदायक सुविधाएं हैं. बाथरूम में अब भी लोगों को गंदगी का सामना करना पड़ता है. साथ ही ट्रेनों के अंदर साफ सफाई के नाम पर केवल खानापूर्ति ही होती है.