बिलासपुर: चीफ जस्टिस रामचंद्र मेनन और जस्टिस पीपी साहू की डिविजन बेंच ने मां को शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना देने वाले बेटे की याचिका खारिज कर दी है. साथ ही कहा है कि वरिष्ठ नागरिकों का, माता-पिता के कल्याण का, भरण पोषण अधिनियम के तहत सुनवाई करने का अधिकार SDM को है. हाईकोर्ट की सिंगल बेंच से याचिका खारिज होने के बाद डिविजन बेंच में याचिका को दायर की गई थी.
क्या है मामला
बता दें कि बिलासपुर के कर्बला रोड कश्यप कॉलोनी में रहने वाले सुशीला तिवारी ने अपने छोटे बेटे आनंद तिवारी और बहू पूनम तिवारी पर मारपीट और गाली गलौज करने साथ ही घर पर जबरन कब्जा किए जाने की शिकायत सब डिविजनल मजिस्ट्रेट से की थी. इसमें कहा गया था कि उनका छोटा बेटा किसी प्रकार की आर्थिक मदद नहीं करता. साथ ही किसी प्रकार का सरोकार नहीं रखता है.
सुशीला तिवारी का कहना है कि कुछ दिनों के लिए घर में रहने की छूट दिए जाने के बाद अब उन्होंने घर पर कब्जा कर लिया है. घर छोड़ने की बात करने पर आए दिन बहू मारपीट करती है. लिहाजा मेरा घर खाली कराया जाए. शिकायत में यह भी कहा गया है कि 6 महीने पहले बहू ने मारकर मेरा हाथ तोड़ दिया था. इलाज समय पर नहीं कराने के कारण हाथ काटना पड़ गया.
बहू और बेटे सिम्स में वार्ड बॉय और वार्ड आया के पद पर कार्यरत हैं. वहीं मेरे बड़े बेटे की आर्थिक स्थिति उतनी अच्छी नहीं है, वह एक निजी फर्म में काम करता है. मेरी देखभाल भी वहीं करता है.
दूसरी बार खारिज हुई याचिका
एसडीएम के यहां की गई शिकायत के खिलाफ महिला के छोटे बेटे आनंद तिवारी ने हाईकोर्ट की सिंगल बेंच में याचिका लगाई थी, जिसे बेंच ने खारिज कर एसडीओ को गुण-दोष के आधार पर अंतिम निर्णय पारित करने का निर्देश दिए थे, जिस को चुनौती देते हुए आनंद ने याचिका को डबल बेंच में दायर किया था.