बिलासपुर : रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड (Raipur Smart City Limited) और बिलासपुर स्मार्टसिटी लिमिटेड (Bilaspur SmartCity Limited) के द्वारा निर्वाचित नगर निगम की शक्तियों का अधिग्रहण किये जाने के खिलाफ याचिका दायर की गई. अधिवक्ता विनय दुबे की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट (High Court) के जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस विमला सिंह कपूर के डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई. डिवीजन बेंच ने दोनों स्मार्टसिटी लिमिटेड को निर्देशित किया है कि वे अपने नए प्रोजेक्ट की जानकारी हाईकोर्ट को दें. साथ ही केंद्र को जवाब प्रस्तुत करने 4 सप्ताह का अंतिम मौका दिया है. मामले की अब 6 सप्ताह के बाद फिर सुनवाई होगी.
हाईकोर्ट के अधिवक्ता विनय दुबे ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि रायपुर स्मार्टसिटी लिमिटेड और बिलासपुर स्मार्टसिटी लिमिटेड ने निर्वाचित नगर निगम के शक्तियों और कार्यों का अधिग्रहण कर लिया है. जबकि संविधान के 74 वें संशोधन के हिसाब से नगर निगम एक संवैधानिक संस्था है और नगर निगम अधिनियम 1956 में मेयर, मेयर इन काउंसिल और सभापति को अपनी शक्तियों का उपयोग करने का पावर है. याचिका में कहा गया है कि स्मार्टसिटी में कोई भी निर्वाचित नही है, सभी अधिकारी ही पूरा काम कर रहे हैं. बिलासपुर और रायपुर में हो रहे कार्यों के लिए निर्वाचित मेयर, सभापति, मेयर इन काउंसिल का अप्रूवल भी नहीं लिया जा रहा है. यह संविधान का उल्लंघन है.
स्मार्ट शहर बनाने के नाम पर सड़कों के किनारे सरकारी भवनों की बाउंड्रीवाल का रंगरोगन कर पैसों की बर्बादी की जा रही है. इसके अलावा प्रतिमा और मूर्ति भी लगाई जा रही है. मूलभूत व्यवस्था को छोड़ फालतू कार्यों में राशि का दुरुपयोग किया जा रहा है. चूंकि मेयर इन काउंसिल से अनुमति नहीं लेनी पड़ती है, इसलिए स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अधिकारी अपनी मनमानी पर उतारू हैं.