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सरकारी योजनाओं के ट्रायल के लिए सरकार को नहीं मिल रही जमीन

'नरवा, गरूवा, घुरवा, और बारी'. सरकार ने इसके लिए बिलासपुर के तखतपुर विधानसभा क्षेत्र के 18 गांव को शामिल किया था. इन गांवों में नई सरकार की महत्वाकांक्षी योजना का ट्रायल होना था, लेकिन सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए सरकार के पास जमीन ही नहीं है.

गौठान
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Published : Apr 25, 2019, 11:25 AM IST

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ में 15 साल बाद जब सत्ता बदली तो यहां की नई सरकार ने प्रदेश को विकसित करने के लिए औद्योगिकरण और आधुनिकीकरण से अलग एक नया संकल्प लिया, जिसका नाम दिया 'नरवा, गरूवा, घुरवा, और बारी'. सरकार ने इसके लिए बिलासपुर के तखतपुर विधानसभा क्षेत्र के 18 गांव को शामिल किया था.

वीडियो

इन गांवों में नई सरकार की महत्वाकांक्षी योजना का ट्रायल होना था, लेकिन सरकारी योजना तो सरकारी ही होती है. कभी अधिकारियों की लापरवाही तो कभी संसाधनों की कमी से योजनाओं का क्रियान्वयन होता नहीं है. यहां भी हालात कुछ ऐसे ही निकले. सरकार की योजना के लिए क्षेत्र में जमीन ही नहीं मिल रही है.

गौठान के लिए नहीं है जगह

नरवा, गरूवा, घुरवा, और बारी योजना के तहत प्रदेश में मवेशियों के लिए चारा-पानी और आवारा पशुओं के लिए सुरक्षित जगह, व्यवस्थित भोजन, रखरखाव और स्वच्छता पर काम करना था. योजना के ट्रायल के लिए तखतपुर विधानसभा क्षेत्र के 18 गावों को चुना गया, लेकिन इन गावों में गौठान के लिए जगह ही नहीं है. लिहाजा गौठान नहीं बन रहे, जिसके कारण पशुओं को बाहर ही रखा जा रहा है. हालांकि ऐसे पशुओं की देखरेख के लिए दो चौकीदार रख दिए गए हैं. जिन्होंने बताया कि, पशुओं को चारा-पानी तो मल रहा है, लेकिन गौठन के लिए जमीन नहीं होने से गौठान का निर्माण नहीं हो रहा है.

सरकार की महत्वाकांक्षी योजना पर ग्रहण

सरकार ने हर गांव में गौठान बनाने के लिए सरकारी जमीन देने की बात कही थी, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी जमीनों पर भू-माफिया ने बेजा कब्जा कर रखा है और कई मामलों का निराकरण अभी तक नहीं हुआ है. ऐसे हालात में गौठान बनाने की सरकार की महत्वाकांक्षी योजना पर ग्रहण लगते दिख रहा है.

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ में 15 साल बाद जब सत्ता बदली तो यहां की नई सरकार ने प्रदेश को विकसित करने के लिए औद्योगिकरण और आधुनिकीकरण से अलग एक नया संकल्प लिया, जिसका नाम दिया 'नरवा, गरूवा, घुरवा, और बारी'. सरकार ने इसके लिए बिलासपुर के तखतपुर विधानसभा क्षेत्र के 18 गांव को शामिल किया था.

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इन गांवों में नई सरकार की महत्वाकांक्षी योजना का ट्रायल होना था, लेकिन सरकारी योजना तो सरकारी ही होती है. कभी अधिकारियों की लापरवाही तो कभी संसाधनों की कमी से योजनाओं का क्रियान्वयन होता नहीं है. यहां भी हालात कुछ ऐसे ही निकले. सरकार की योजना के लिए क्षेत्र में जमीन ही नहीं मिल रही है.

गौठान के लिए नहीं है जगह

नरवा, गरूवा, घुरवा, और बारी योजना के तहत प्रदेश में मवेशियों के लिए चारा-पानी और आवारा पशुओं के लिए सुरक्षित जगह, व्यवस्थित भोजन, रखरखाव और स्वच्छता पर काम करना था. योजना के ट्रायल के लिए तखतपुर विधानसभा क्षेत्र के 18 गावों को चुना गया, लेकिन इन गावों में गौठान के लिए जगह ही नहीं है. लिहाजा गौठान नहीं बन रहे, जिसके कारण पशुओं को बाहर ही रखा जा रहा है. हालांकि ऐसे पशुओं की देखरेख के लिए दो चौकीदार रख दिए गए हैं. जिन्होंने बताया कि, पशुओं को चारा-पानी तो मल रहा है, लेकिन गौठन के लिए जमीन नहीं होने से गौठान का निर्माण नहीं हो रहा है.

सरकार की महत्वाकांक्षी योजना पर ग्रहण

सरकार ने हर गांव में गौठान बनाने के लिए सरकारी जमीन देने की बात कही थी, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी जमीनों पर भू-माफिया ने बेजा कब्जा कर रखा है और कई मामलों का निराकरण अभी तक नहीं हुआ है. ऐसे हालात में गौठान बनाने की सरकार की महत्वाकांक्षी योजना पर ग्रहण लगते दिख रहा है.

Intro:Body:तखतपुर विधान सभा क्षेत्र के अंतर्गत 117 ग्राम पंचायत है, नरवा गरूवा घुरवा बारी योजना अंतर्गत मात्र 18 ग्राम को शामिल किया गया है।
जानकारी के अनुसार तखतपुर के 117 ग्राम पंचायत में से मात्र 18 ग्राम को शामिल किया गया है। कृषि कार्यालय के ए के जांगडे जी से मिली जानकारी अनुसार यह योजना वर्तमान में एक ट्रायल के रूप में राज्य के जिलों में संचालित है जिसमें तखतपुर विधान सभा क्षेत्र के 18 ग्राम शामिल हुए है। प्रत्येक ग्राम में योजना अंतर्गत भविष्य में कार्य होना बताया गया।
जानवरों, चारा पानी, रखरखाव पर विशेष निगरानी - योजना अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में आवारा पशुओं के लिए सुरक्षित, व्यवस्थित भोजन, रखरखाव, स्वच्छता पर विशेष ध्यानाकर्षण की बात बताया।
वहाँ उपस्थित कर्मचारी चौकीदार से बात करने पर बताया कि पंचायत अंतर्गत कार्य हो रहा है और मनरेगा के तहत भुगतान किया जाना बताया गया है। हम दो चौकीदार है यहाँ देखरेख करते है। पशुओं के लिए चारा, पानी के अलग अलग व्यवस्था बनाया जा रहा है गौठान निर्माण कार्य अभी पूर्ण नहीं हुआ है।

रोजगार सहायक ने बताया कि विशेष प्रकार के चारा उत्पादन किया जा रहा है जो पशुओं के लिए सुविधाजनक और पौष्टिकता के लिए विशेष है।

ग्राउंड रिपोर्ट में योजना के लिए जमीन ही नहीं होने की जानकारी मिली, ग्रामीण क्षेत्रों में बताया गाँव में योजना सफल होने के लिए जमीन ही नहीं है बेजाकब्जा की पुराने शिकायत अब तक निराकरण नहीं हुआ है । इस हालात में योजना का सफल होना टेढ़ी खीर है। ग्राम चुलघट के नारायण कश्यप, सुनिल कश्यप ने बताया बेजाकब्जा का निराकरण नहीं हुआ है तो योजना के लिए ग्राम में जमीन नहीं बचा है।


तखतपुर ग्राम लाखासर रोजगार सहायक बाइट।


Conclusion:
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