बिलासपुर: बिलासपुर महापौर रामशरण यादव ने नगर निगम के सफाई कर्मियों के साथ बोरे बासी खाया. इस दौरान महापौर ने बोरे बासी के महत्व और फायदे बताए. उन्होंने कहा कि" बोरे बासी खाने की छत्तीसगढ़ में सदियों पुरानी परंपरा है. गर्मी के दिनों में इसे खाने से शरीर को ठंडक पहुंचती है. राज्य सरकार ने बोरे बासी को दोबारा शुरू कर एक नई परंपरा की शुरुआत की है."
बोरे और बासी में होता है फर्क: छत्तीसगढ़ के लोग शरीर को ठंडा करने और स्फूर्ति बनाए रखने के लिए बोरे और बासी खाते हैं. बोरे और बासी दोनों में फर्क है. बोरे गर्म पके चावल को भिगोकर खाने की परंपरा है. जबकि बासी रात में पके चावल को पानी में रखकर सुबह जब इसे खाया जाता है तो इसे बासी कहते हैं.
नगर निगम ने किया बोरे बासी का इंतजाम: नगर निगम बिलासपुर ने बोरे बासी खाने के लिए शहर के विभिन्न जगहों पर इसका इंतजाम किया. महापौर रामशरण यादव ने बताया कि "राज्य सरकार ने पुरानी और भूली बिसरी परंपरा को फिर से शुरू किया है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बोरे बासी के फायदों के साथ ही इसे खाकर काम करने पर स्फूर्ति बने रहने की जानकारी नई पीढ़ी दी है. बोरे और बासी दोनों ही शरीर के लिए काफी फायदेमंद होते हैं. इससे शरीर को वह सभी विटामिन मिलते हैं, जो धूप में काम करने पर शरीर से खत्म हो जाते हैं. बोरे बासी खाने से शरीर स्वस्थ और मजबूत होता है." प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता अभय नारायण राय ने भी बोरे बासी की खासियत लोगों को बताई.
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मजदूर दिवस पर बोरे बासी की यह परंपरा लोगों को छत्तीसगढ़ की संस्कृति से जोड़ने का काम करती है. इस दिन सब लोग इस परंपरा से जुड़ते हैं और मजदूर दिवस मनाते हैं.