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Mahashivratri: बिलासपुर के अष्टमुखी शिव मंदिर की महिमा, महादेव हर मनोकामना करते हैं पूरी - शिवभक्तों की मुरादें पूरी

पूरे देश भर में महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जा रहा है. छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में शिवरात्रि के अवसर पर आज यानी शनिवार को जगह-जगह अभिषेक पूजन के साथ मेले जगराता और भंडारा का आयोजन किया गया. शिवरात्रि महोत्सव पर सुबह से ही भक्त शिव मंदिर पहुंच रहे हैं. शहर के मध्य नगरी चौक स्थित अष्टमुखी शिव मंदिर में भक्तों का तांता लगा हुआ है.

ashtamukhi shiva temple
बिलासपुर के अष्टमुखी शिव मंदिर
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Published : Feb 18, 2023, 4:53 PM IST

बिलासपुर के अष्टमुखी शिव मंदिर में शिवभक्तों का तांता

बिलासपुर: बिलासपुर शहर के मध्य नगरी चौक स्थित अष्टमुखी शिव मंदिर में भक्तों का तांता लगा हुआ है. यहां ज्यादातर कुंवारी कन्या पूजा करने पहुंचती हैं. कुंवारी कन्याएं भगवान शिव की आराधना कर अपनी मनोकामना पूरी करती हैं. अष्ट मुखी शिव मंदिर में सुबह से लेकर शाम तक भक्त पूजा अर्चना करने पहुंचते रहे और यहां की मान्यताओं को सुनकर भी मंदिर के प्रति अपनी आस्था जताते है.

यह भी पढ़ें: Mahashivratri 2023: ज्वालेश्वर महादेव का पुराणों में मिलता है उल्लेख, यहां जल अर्पित करने से पाप और दोष का होता है नाश

16 सोमवार पूजा करने से होती है मन्नत पूरी: शहर के मध्य नगरी स्थित अष्टमुखी शिव मंदिर की एक खास मान्यता है. जैसे देवी पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए सोलह सोमवार का व्रत रखा था. उसी तरह इस मंदिर की भी यही खास मान्यता है. कहा जाता है कि कुंवारी कन्या सोलह सोमवार यहां जल चढ़ाने पहुंचती है तो उन्हें अच्छे वर की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही 5 सोमवार जल चढ़ाकर पूजा करने वाली कुंवारी कन्याओं की मनोकामना पूरी होती है. पंडित फूलचंद ने बताया कि "अष्ट मुखी शिव मंदिर में लोगों की आस्था है और पिछले 40 सालों से मंदिर में भक्त पूजा करने पहुंचते हैं. मंदिर के निर्माण से ही भक्तों की इस मंदिर के प्रति आस्था है.

प्रतिमा पुरातात्विक नगरी पचपेड़ी से लाई गई है: पुजारी फूलचंद पांडेय ने बताया कि "शिव मंदिर की स्थापना 118 साल पहले हुई थी, तब मंदिर छोटे स्वरूप में था. शिवजी की प्रतिमा छोटी थी. इसके बाद 1985 में पुरातात्विक नगरी पचपेड़ी, मल्हार से अष्टमुखी शिव की प्रतिमा यहां लाई गई थी. प्रतिमा की स्थापना के बाद से ही भक्तों को एक चमत्कारिक शक्ति यहां नजर आती है. भक्त यहां अपनी मन्नत पूरी करने पहुंचते हैं." मंदिर समिति के सदस्य चुट्टू अवस्थी ने बताया कि "मंदिर स्थापना के बाद से ही आने वाले भक्तों का पूजा कर जाने के बाद उनकी सभी जायज मन्नत पूरी होती है. यही कारण है कि दिन-प्रतिदिन भक्तों की आस्था मंदिर के प्रति बढ़ता जा रहा है और लोग यहां पूजा करने पहुंचते हैं."

बिलासपुर के अष्टमुखी शिव मंदिर में शिवभक्तों का तांता

बिलासपुर: बिलासपुर शहर के मध्य नगरी चौक स्थित अष्टमुखी शिव मंदिर में भक्तों का तांता लगा हुआ है. यहां ज्यादातर कुंवारी कन्या पूजा करने पहुंचती हैं. कुंवारी कन्याएं भगवान शिव की आराधना कर अपनी मनोकामना पूरी करती हैं. अष्ट मुखी शिव मंदिर में सुबह से लेकर शाम तक भक्त पूजा अर्चना करने पहुंचते रहे और यहां की मान्यताओं को सुनकर भी मंदिर के प्रति अपनी आस्था जताते है.

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16 सोमवार पूजा करने से होती है मन्नत पूरी: शहर के मध्य नगरी स्थित अष्टमुखी शिव मंदिर की एक खास मान्यता है. जैसे देवी पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए सोलह सोमवार का व्रत रखा था. उसी तरह इस मंदिर की भी यही खास मान्यता है. कहा जाता है कि कुंवारी कन्या सोलह सोमवार यहां जल चढ़ाने पहुंचती है तो उन्हें अच्छे वर की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही 5 सोमवार जल चढ़ाकर पूजा करने वाली कुंवारी कन्याओं की मनोकामना पूरी होती है. पंडित फूलचंद ने बताया कि "अष्ट मुखी शिव मंदिर में लोगों की आस्था है और पिछले 40 सालों से मंदिर में भक्त पूजा करने पहुंचते हैं. मंदिर के निर्माण से ही भक्तों की इस मंदिर के प्रति आस्था है.

प्रतिमा पुरातात्विक नगरी पचपेड़ी से लाई गई है: पुजारी फूलचंद पांडेय ने बताया कि "शिव मंदिर की स्थापना 118 साल पहले हुई थी, तब मंदिर छोटे स्वरूप में था. शिवजी की प्रतिमा छोटी थी. इसके बाद 1985 में पुरातात्विक नगरी पचपेड़ी, मल्हार से अष्टमुखी शिव की प्रतिमा यहां लाई गई थी. प्रतिमा की स्थापना के बाद से ही भक्तों को एक चमत्कारिक शक्ति यहां नजर आती है. भक्त यहां अपनी मन्नत पूरी करने पहुंचते हैं." मंदिर समिति के सदस्य चुट्टू अवस्थी ने बताया कि "मंदिर स्थापना के बाद से ही आने वाले भक्तों का पूजा कर जाने के बाद उनकी सभी जायज मन्नत पूरी होती है. यही कारण है कि दिन-प्रतिदिन भक्तों की आस्था मंदिर के प्रति बढ़ता जा रहा है और लोग यहां पूजा करने पहुंचते हैं."

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