बिलासपुर : छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल ने 12 साल पहले मुंगेली और बिलासपुर की सरहद पर एक मोटल का निर्माण कराया था. करोड़ों की लागत से बने इस मोटल के हालात अब जर्जर है. 2008 में तत्कालीन पर्यटन मंत्री ने मोटल का लोकार्पण किया था. इसे शुरू करने का उद्देश्य पर्यटकों को बेहतर सुविधा प्रदान करना था. मोटल के पास मौजूद ताला विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल में एक है. लेकिन आज इसकी हालत बद से बदतर है. कोई भी पर्यटक यहां नहीं पहुंच रहे हैं.
मोटल का निर्माण और नौकायान की सुविधा से यह माना जा रहा था कि पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी. पर्यटन मंडल की अनदेखी के कारण ताला पर्यटन बदहाली के आंसू रो रहा है. ताला में विश्व प्रसिद्ध लाल पत्थर की रूद्र शिव प्रतिमा है. इसके दर्शन के लिए दूरदराज से पर्यटक ताला पहुंचते हैं. ताला में ही 11वीं शताब्दी का देवरानी जेठानी का प्रसिद्ध मंदिर भी है. यही वजह है कि पर्यटन क्षेत्र ताला को धार्मिक स्थल का दर्जा प्राप्त है. मगर पर्यटकों की गिरती संख्या और सुविधा की कमी के कारण आज यहां पर्यटकों का आना लगभग बंद हो चुका है.
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बाजार भी पड़ा फीका
पर्यटन मंडल के पूर्व सलाहकार सदस्य अजय शर्मा ने बताया है कि मोटल निर्माण में लगभग 2 करोड़ रुपए खर्च किए गए. लेकिन इसके रख-रखाव की ओर ध्यान नहीं दिया गया. मनियारी नदी में नौकायान को दरकिनार कर मछुआरों की रोजी रोटी भी छीन ली गई. इससे क्षेत्र को बड़ा नुकसान हुआ है. ताला में आने वाले पर्यटकों की संख्या कम होने से बिल्हा, दगोरी, बरतोरी का बाजार भी फीका पड़ गया है.