बिलासपुर: शारदीय (क्वांर) नवरात्र की नवमी पर रविवार को रतनपुर महामाया देवी मंदिर में साढ़े 3 किलो स्वर्ण आभूषणों से मां महामाया का राजसी श्रृंगार हुआ. वहीं आरती और राजसी नैवेद्य चढ़ाने के बाद ट्रस्ट ने कन्या पूजन और ब्राह्मण भोज का आयोजन किया. कोरोना संक्रमण के मद्देनजर इस बार मंदिर ट्रस्ट ने सांकेतिक रूप से कन्या पूजन और ब्राह्मण भोज का आयोजन किया. जिसमें नौ कन्या, दो बटुक, 11 ब्राम्हण शामिल हुए. इसके बाद 150 ज्योति रक्षकों ने भोजन प्रसाद ग्रहण किया. जिसके बाद शारदीय नवरात्र पर्व संपन्न हुआ.
मां महामाया मंदिर ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी सुनील संथोलिया ने बताया कि रविवार सुबह 6 बजे मां महामाया का राजसी श्रृंगार हुआ. इसके बाद विधि विधान से माता की पूजा की गई. पूजा प्रभारी सतीश शर्मा ने बताया कि देवी मां का श्रृंगार लगभग साढ़े 3 किलो स्वर्ण आभूषण से किया गया है. जिसमें मां को रानीहार, कंठ हार, मोहर हार, चंद्रहार, समेत 9 प्रकार के हार, करधन और नथ धारण कराए गए.
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माता को चढ़ाया गया भोग
राजसी श्रृंगार के बाद मां महामाया की महाआरती की गई. वहीं पूजा अर्चना के बाद मां को राजसी नैवेद्य (भोग) अर्पित किया गया. माता को भोग अर्पित करने के बाद मंदिर परिसर में स्थित महामाया भागवत मंच में सांकेतिक रूप से कुंवारी कन्याओं के पैर धुलवाकर उन्हें आसन पर बिठाकर आरती की गई. वहीं कन्या भोज कराने के बाद उन्हें उपहार दिया गया. इसके साथ ही ब्राह्मण भोज के आयोजन में मंदिर के पुरोहितों समेत ब्राह्मणों को भोज कराया गया.
जवांरा का किया गया विसर्जन
इन सब अनुष्ठानों के बाद दोपहर करीब तीन बजे सभी पुजारियों ने ज्योति कलश कक्ष में प्रज्जवलित मनोकामना ज्योति कलश की पूजा अर्चना की. पूजा अर्चना के बाद मंत्रोच्चारण के बीच ज्वारा को विसर्जित किया गया.