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वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से दुष्कर्म पीड़िताओं के बयान का मामला, HC ने फैसला रखा सुरक्षित

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Published : Jan 6, 2020, 9:31 PM IST

नाबालिग दुष्कर्म पीड़िताओं का बयान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कराने को लेकर लगी जनहित याचिका में हाईकोर्ट में सुनवाई की गई. जिसमें कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.

HighCourt reserved verdict in petition filed for taking statement through video conferencing
हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

बिलासपुर: वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए नाबालिग दुष्कर्म पीड़िताओं का बयान कराए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई. चाइल्ड केयर फेसिलिटी और प्रदेश के न्यायालयों में वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा को लेकर हाईकोर्ट में दायर इस जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.

हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

मामले की पिछली सुनवाई जुलाई में हुई थी. तब हाईकोर्ट ने राज्य शासन को 4 हफ्ते में जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा था. बता दें की जांजगीर-चांपा निवासी सामाजिक कार्यकर्ता संतरा काठे और अन्य ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि नाबालिगों के साथ होने वाले दुष्कर्म के मामलों की विवेचना और सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश का पालन नहीं किया जा रहा है. इसमें सुप्रीम कोर्ट ने दो महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं. पहला सभी जिला मुख्यालय में विशेष जुवेनाइल पुलिस यूनिट का गठन और दूसरा नाबालिग पीड़ितों का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से ही ट्रायल के दौरान बयान लेने के निर्देश हैं.

हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
मामले में शासन कि ओर से जवाब प्रस्तुत किया गया है. जिसके बाद चीफ जस्टिस रामचंद्र मेनन और पीपी साहू की डिवीजन बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.

बिलासपुर: वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए नाबालिग दुष्कर्म पीड़िताओं का बयान कराए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई. चाइल्ड केयर फेसिलिटी और प्रदेश के न्यायालयों में वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा को लेकर हाईकोर्ट में दायर इस जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.

हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

मामले की पिछली सुनवाई जुलाई में हुई थी. तब हाईकोर्ट ने राज्य शासन को 4 हफ्ते में जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा था. बता दें की जांजगीर-चांपा निवासी सामाजिक कार्यकर्ता संतरा काठे और अन्य ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि नाबालिगों के साथ होने वाले दुष्कर्म के मामलों की विवेचना और सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश का पालन नहीं किया जा रहा है. इसमें सुप्रीम कोर्ट ने दो महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं. पहला सभी जिला मुख्यालय में विशेष जुवेनाइल पुलिस यूनिट का गठन और दूसरा नाबालिग पीड़ितों का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से ही ट्रायल के दौरान बयान लेने के निर्देश हैं.

हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
मामले में शासन कि ओर से जवाब प्रस्तुत किया गया है. जिसके बाद चीफ जस्टिस रामचंद्र मेनन और पीपी साहू की डिवीजन बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.

Intro:नाबालिग दुष्कर्म पीड़िताओं के बयान वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कराए जाने पर दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। चाइल्ड केयर फेसिलिटी और प्रदेश के न्यायालयों में वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा को लेकर हाईकोर्ट में दायर इस जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद उच्चन्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। Body:गौरतलब है कि, मामले की पिछली सुनवाई जुलाई में हुई तब हाईकोर्ट ने राज्य शासन को 4 सप्ताह में पूरा जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा था। इससे पहले 10 अप्रैल की सुनवाई के दौरान जवाब प्रस्तुत कर राज्य शासन ने राज्य के 22 जिला न्यायालयों में इसकी सुविधा शुरू कर देने और 5 में काम बाकी होना बताया था। बता दें की ,जांजगीर- चांपा निवासी सामाजिक कार्यकर्ता संतरा काठे और अन्य ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि नाबालिगों के साथ होने वाले दुष्कर्म के मामलों की विवेचना और सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश का पालन नहीं किया जा रहा है। इसमें सुप्रीम कोर्ट ने दो महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं। पहला सभी जिला मुख्यालय में विशेष जुवेनाइल पुलिस यूनिट का गठन और दूसरा नाबालिग पीड़ितों का वीडियो कांफ्रेंसिंग से ही ट्रायल के दौरान बयान लिया जाए।Conclusion:आज मामले में शासन कि ओर से जवाब प्रस्तुत किया गया जिसके बाद न्यायालय कि चीफ जस्टिस रामचंद्र मेनन व पीपी साहू की डिवीजन बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
Byte-advocate ranbir Singh marhas
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