बिलासपुर : भूमि अधिग्रहण मुआवजा राशि मामले पर उच्च न्यायालय में गुरुवार को जस्टिस संजय के. अग्रवाल की एकल पीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया है. राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के भूमि अधिग्रहण किए जाने पर मुआवजा राशि दोगुना करने के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर की थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने अपने ही फैसले को बदलते हुए राज्य सरकार द्वारा पूर्व में जारी अधिसूचना को यथावत रखा है और अनीता अग्रवाल समेत अन्य याचिकाकर्ताओं की याचिकाओं को खारिज कर दिया है.
क्या है पूरा मामला
राज्य सरकार ने 2014 में अधिसूचना जारी की थी, जिसमें भूमि अधिग्रहण करने पर मुआवजा राशि को 1 गुना तय कर दिया था, जिसे अनीता अग्रवाल ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. अनीता अग्रवाल ने अपनी याचिका में कहा था कि केंद्र सरकार की अधिसूचना में ग्रामीण इलाकों में किए गए भूमि अधिग्रहण पर मुआवजा राशि दोगुना देने का प्रावधान है. इसीलिए राज्य सरकार की जारी की गई अधिसूचना को रद्द कर दिया जाए. मामले पर सुनवाई करते हुए नवंबर 2018 में न्यायालय ने राज्य सरकार की अधिसूचना, जिसमें मुआवजा राशि 1 गुना तय की गई थी उसे खारिज कर दिया था. जिसके बाद राज्य सरकार ने पुनर्विचार याचिका लगाई थी.
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सरकार ने क्या दिए तर्क
याचिका पर सुनवाई के दौरान शासन ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि केंद्र सरकार के अधिसूचना जारी करने से पूर्व अधिकृत की गई जमीन पर केंद्र की अधिसूचना में दर्शाई गई नई दरें जिसमें दोगुना मुआवजा राशि देने का प्रावधान है उसे लागू नहीं किया जा सकता. साथ ही शासन ने कहा कि याचिकाकर्ता अनीता अग्रवाल और अन्य ने राज्य शासन की अधिसूचना खारिज करने की बात कही थी न कि अधिकृत की गई भूमि पर विचार करने की मांग की थी.