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भूमि अधिग्रहण मुआवजे को लेकर HC ने राज्य सरकार के पक्ष में दिया फैसला

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Published : Dec 12, 2019, 8:51 PM IST

Updated : Dec 12, 2019, 9:47 PM IST

राज्य सरकार की भूमि अधिग्रहण मुआवजा राशि मामले पर दायर पुनर्विचार याचिका पर उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार की पूर्व में जारी अधिसूचना को यथावत रखा है.

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बिलासपुर : भूमि अधिग्रहण मुआवजा राशि मामले पर उच्च न्यायालय में गुरुवार को जस्टिस संजय के. अग्रवाल की एकल पीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया है. राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के भूमि अधिग्रहण किए जाने पर मुआवजा राशि दोगुना करने के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर की थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने अपने ही फैसले को बदलते हुए राज्य सरकार द्वारा पूर्व में जारी अधिसूचना को यथावत रखा है और अनीता अग्रवाल समेत अन्य याचिकाकर्ताओं की याचिकाओं को खारिज कर दिया है.

HC ने राज्य सरकार के पक्ष में दिया फैसला

क्या है पूरा मामला
राज्य सरकार ने 2014 में अधिसूचना जारी की थी, जिसमें भूमि अधिग्रहण करने पर मुआवजा राशि को 1 गुना तय कर दिया था, जिसे अनीता अग्रवाल ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. अनीता अग्रवाल ने अपनी याचिका में कहा था कि केंद्र सरकार की अधिसूचना में ग्रामीण इलाकों में किए गए भूमि अधिग्रहण पर मुआवजा राशि दोगुना देने का प्रावधान है. इसीलिए राज्य सरकार की जारी की गई अधिसूचना को रद्द कर दिया जाए. मामले पर सुनवाई करते हुए नवंबर 2018 में न्यायालय ने राज्य सरकार की अधिसूचना, जिसमें मुआवजा राशि 1 गुना तय की गई थी उसे खारिज कर दिया था. जिसके बाद राज्य सरकार ने पुनर्विचार याचिका लगाई थी.

पढ़ें: अपराधगढ़ बन रहा छत्तीसगढ़, पुलिस किसानों का धान पकड़ने में है व्यस्त : कौशिक

सरकार ने क्या दिए तर्क

याचिका पर सुनवाई के दौरान शासन ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि केंद्र सरकार के अधिसूचना जारी करने से पूर्व अधिकृत की गई जमीन पर केंद्र की अधिसूचना में दर्शाई गई नई दरें जिसमें दोगुना मुआवजा राशि देने का प्रावधान है उसे लागू नहीं किया जा सकता. साथ ही शासन ने कहा कि याचिकाकर्ता अनीता अग्रवाल और अन्य ने राज्य शासन की अधिसूचना खारिज करने की बात कही थी न कि अधिकृत की गई भूमि पर विचार करने की मांग की थी.

बिलासपुर : भूमि अधिग्रहण मुआवजा राशि मामले पर उच्च न्यायालय में गुरुवार को जस्टिस संजय के. अग्रवाल की एकल पीठ ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया है. राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के भूमि अधिग्रहण किए जाने पर मुआवजा राशि दोगुना करने के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर की थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने अपने ही फैसले को बदलते हुए राज्य सरकार द्वारा पूर्व में जारी अधिसूचना को यथावत रखा है और अनीता अग्रवाल समेत अन्य याचिकाकर्ताओं की याचिकाओं को खारिज कर दिया है.

HC ने राज्य सरकार के पक्ष में दिया फैसला

क्या है पूरा मामला
राज्य सरकार ने 2014 में अधिसूचना जारी की थी, जिसमें भूमि अधिग्रहण करने पर मुआवजा राशि को 1 गुना तय कर दिया था, जिसे अनीता अग्रवाल ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. अनीता अग्रवाल ने अपनी याचिका में कहा था कि केंद्र सरकार की अधिसूचना में ग्रामीण इलाकों में किए गए भूमि अधिग्रहण पर मुआवजा राशि दोगुना देने का प्रावधान है. इसीलिए राज्य सरकार की जारी की गई अधिसूचना को रद्द कर दिया जाए. मामले पर सुनवाई करते हुए नवंबर 2018 में न्यायालय ने राज्य सरकार की अधिसूचना, जिसमें मुआवजा राशि 1 गुना तय की गई थी उसे खारिज कर दिया था. जिसके बाद राज्य सरकार ने पुनर्विचार याचिका लगाई थी.

पढ़ें: अपराधगढ़ बन रहा छत्तीसगढ़, पुलिस किसानों का धान पकड़ने में है व्यस्त : कौशिक

सरकार ने क्या दिए तर्क

याचिका पर सुनवाई के दौरान शासन ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि केंद्र सरकार के अधिसूचना जारी करने से पूर्व अधिकृत की गई जमीन पर केंद्र की अधिसूचना में दर्शाई गई नई दरें जिसमें दोगुना मुआवजा राशि देने का प्रावधान है उसे लागू नहीं किया जा सकता. साथ ही शासन ने कहा कि याचिकाकर्ता अनीता अग्रवाल और अन्य ने राज्य शासन की अधिसूचना खारिज करने की बात कही थी न कि अधिकृत की गई भूमि पर विचार करने की मांग की थी.

Intro:भूमि अधिग्रहण किए जाने पर मुआवजा राशि दोगुना करने को चुनौती। राज्य शासन ने दायर की थी मामले में याचिका। 2018 नवंबर में न्यायालय ने राज्य सरकार की अधिसूचना जिसमें मुआवजा राशि 1 गुना तय की गई थी उसे उच्च न्यायालय ने कर दिया था खारिज । आज मामले में दायर शासन की पुनर विचार याचिका पर सुनवाई के दौरान शासन ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि केंद्र सरकार के अधिसूचना जारी करने से पूर्व अधिकृत किए गए जमीन पर केंद्र कि अधिसूचना मे दर्शाई गई नई दरें जिसमें दोगुना मुआवजा राशि देने का प्रावधान है उसे लागू नहीं किया जा सकता। साथ ही शासन ने कहा कि याचिकाकर्ता अनीता अग्रवाल व अन्य ने राज्य शासन की अधिसूचना खारिज करने की बात कही थी ना की अधिकृत किए गए भूमि पर विचार करने की मांग की थी। Body:बता दें कि राज्य सरकार ने 2014 में अधिसूचना जारी की थी जिसमें भूमि अधिग्रहण करने पर मुआवजा राशि को 1 गुना तय कर दिया था। जिसे अनीता अग्रवाल ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। अनीता अग्रवाल ने अपनी याचिका में कहा था कि केंद्र सरकार की अधिसूचना में ग्रामीण इलाकों में किए गए भूमि अधिग्रहण पर मुआवजा राशि दोगुना देने का प्रावधान है। इसलिए राज्य सरकार द्वारा जारी किए गए अधिसूचना को रद्द किया जाए। मामले पर सुनवाई के बाद न्यायालय ने राज्य सरकार की अधिसूचना को रद्द कर दिया था। न्यायालय के इस फैसले पर राज्य सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर की। याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायालय ने अपने ही फैसले को बदलते हुए राज्य सरकार द्वारा पूर्व में जारी अधिसूचना को यथावत रखा है, और अनीता सिंह समेत अन्य की याचिकाओं को खारिज कर दिया है। Conclusion:पूरे मामले की सुनवाई जस्टिस संजय .के. अग्रवाल की एकल पीठ द्वारा की गई।
Last Updated : Dec 12, 2019, 9:47 PM IST
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