बिलासपुर: प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों के हालातों को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई. सोमवार को हुई सुनवाई में चीफ जस्टिस रामचंद्र मैनन और पीपी साहू की डिविजन बेंच ने सरकार के रवैये को लेकर नाराजगी जताई है. कैदियों की दुर्दशा पर हाईकोर्ट में लंबे अर्से से सुनवाई चल रही है.
मामले में शासन के बार-बार समय मांगे जाने पर कोर्ट ने नाराजगी जताई है. हाईकोर्ट की डिविजन बेंच ने कहा है कि यह पहली बार नहीं है जब मामले में शासन ने हलफनामे के लिए समय दिए जाने की मांग की है. पिछली सुनवाई के दौरान जो हलफनामा दिया गया था, उसमें दिसंबर 2019 तक तीन विशेष जेलों का निर्माण कार्य पूरा किए जाने की जानकारी दी गई थी. अब मुख्य सचिव 4 सप्ताह में बताएं कि कार्य किस तिथि तक पूरा होगा.
क्या है याचिका में
- जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों को रखे जाने पर याचिकाकर्ता शिवराज सिंह ने जनहित याचिका दायर की थी.
- याचिका में कहा गया है कि प्रदेश की जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों को रखा जा रहा है, जिसके कारण उन्हें बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं.
- महिला बंदियों की स्थिति तो और भी बुरी हैं, उन्हें सैनिटेशन और बच्चों के लालन-पालन समेत तमाम तरह की समस्याओं का आए दिन सामना करना पड़ रहा है.
- कैदियों के नहाने और शौच के लिए पर्याप्त संख्या में शौचालय तक नहीं हैं. वहीं बच्चों को दूध और भोजन के लिए पर्याप्त व्यवस्था भी शासन ने नहीं की है.