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वाइल्ड लाइफ बोर्ड के गठन पर हाईकोर्ट सख्त, सरकार को दिया आखिरी मौका

छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से वाइल्ड लाइफ बोर्ड के नियम न बनाए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर 14 जनवरी को उच्च न्यायालय ने सुनवाई की. इस पर न्यायालय ने शासन को नोटिफिकेशन जारी करने के लिए आखिरी मौका दिया है. वहीं मामले पर अगली सुनवाई 4 हफ्ते बाद होगी.

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Published : Jan 14, 2020, 3:51 PM IST

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से वाइल्डलाइफ बोर्ड के नियम न बनाए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर 14 जनवरी को उच्च न्यायालय ने सुनवाई की. मामले में याचिकाकर्ता अजय दुबे का कहना है कि छत्तीसगढ़ शासन ने 17 साल से वाइल्ड लाइफ बोर्ड के लिए कोई भी नियम नहीं बनाए है. इसकी वजह से वन्यजीवों को लेकर कोई भी मीटिंग नहीं हो पा रही है.

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कई राज्यों में वाइल्ड लाइफ बोर्ड के नियम होने की भी बात कही है. मामले की पिछली सुनवाई में शासन ने जवाब पेश कर कहा था कि वे जल्द नोटिफिकेशन जारी करेंगे. लेकिन शासन ने अब तक कोई भी नोटिफिकेशन जारी नहीं किया. इसको लेकर न्यायालय ने शासन को नोटिफिकेशन जारी करने के लिए आखिरी मौका दिया है.

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से वाइल्डलाइफ बोर्ड के नियम न बनाए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर 14 जनवरी को उच्च न्यायालय ने सुनवाई की. मामले में याचिकाकर्ता अजय दुबे का कहना है कि छत्तीसगढ़ शासन ने 17 साल से वाइल्ड लाइफ बोर्ड के लिए कोई भी नियम नहीं बनाए है. इसकी वजह से वन्यजीवों को लेकर कोई भी मीटिंग नहीं हो पा रही है.

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कई राज्यों में वाइल्ड लाइफ बोर्ड के नियम होने की भी बात कही है. मामले की पिछली सुनवाई में शासन ने जवाब पेश कर कहा था कि वे जल्द नोटिफिकेशन जारी करेंगे. लेकिन शासन ने अब तक कोई भी नोटिफिकेशन जारी नहीं किया. इसको लेकर न्यायालय ने शासन को नोटिफिकेशन जारी करने के लिए आखिरी मौका दिया है.

Intro:छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा वाइल्ड बोर्ड के नियम ना बनाए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर आज उच्च न्यायालय ने सुनवाई की। मामले में याचिकाकर्ता अजय दूबे का कहना है कि छत्तीसगढ़ शासन ने 17 साल से वाइल्डलाइफ बोर्ड के लिए कोई भी नियम नहीं बनाए हैं। जिसकी वजह से वन्यजीवों को लेकर कोई भी मीटिंग नहीं हो पा रही है। Body:याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कई राज्यों में वाइल्डलाइफ बोर्ड के नियम होने की भी बात कही है। मामले की पिछली सुनवाई में शासन ने जवाब पेश कर कहा था कि वे जल्द नोटिफिकेशन जारी करेंगे। लेकिन शासन ने अब तक कोई भी नोटिफिकेशन जारी नहीं किया।इसको लेकर न्यायालय ने शासन को नोटिफिकेशन जारी करने के लिए आखिरी मौका प्रदान किया है। Conclusion:मामले पर अगली सुनवाई 4 हफ्ते बाद होगी। पूरे मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रामचंद्र मेनन, पीपी साहू की खंडपीठ द्वारा की गई।
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