बिलासपुर : नीट यूजी 2022 के स्ट्रे वैकेंसी राउंड में आरक्षण नहीं देने के मामले में प्रदेश के आरक्षित वर्ग के स्टूडेंट एडमिशन से वंचित हो गए हैं. इन लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. याचिक में ये कहा गया है कि नेशनल एलिजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट (National Eligibility cum Entrance Test) देने वाले स्टूडेंट्स के लिए मेडिकल कॉलेज और डेंटल कॉलेजों की बची हुई सीटों पर एडमिशन की प्रक्रिया चल रही है. इस प्रक्रिया में नीट के स्ट्रे वैकेंसी राउंड के फाइनल नतीजे जारी कर दिए गए हैं. रिजल्ट मेडिकल काउंसिल कमेटी (एमसीसी) medical counseling committee ने रिलीज किया है, लेकिन इसमें आरक्षण नियमों का पालन नहीं किया गया है. बिना नियमों का पालन किए ही मेरिट लिस्ट के आधार पर सूची जारी की गई है, जिसे चुनौती देते हुए रायगढ़ के स्टूडेंट राजेंद्र साव और धमतरी के मयंक देवांगन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. (नीट यूजी 2022)
छात्रों की मांग पर छुट्टी के दिन हाईकोर्ट में सुनवाई : छात्रों की मांग पर कोर्ट ने उनके भविष्य और एडमिशन को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से आग्रह किया कि इस केस की अर्जेंट सुनवाई की जाए. जिस पर जस्टिस एनके व्यास और जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की डिवीजन बेंच गठित कर रविवार को अवकाश के दिन हाईकोर्ट खुला और उन्होंने केस की सुनवाई भी की.Hearing in NEET admission case on Sunday
ये भी पढ़ें- जयपुर फिल्म फेस्टिवल में छत्तीसगढ़ी फिल्म किरण
कब तक पेश करना है जवाब : हाईकोर्ट ने 2 जनवरी तक याचिका के मामले में जवाब मांगा है. इस याचिका में बताया गया कि स्ट्रे राउंड के लिए डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन ने 21 दिसंबर को नोटिफिकेशन जारी किया है. जिसमें 25 दिसंबर तक सभी रिक्त सीट पर स्टूडेंट्स को सीधे एडमिशन के लिए आवेदन पत्र जमा करना था. याचिकाकर्ता छात्रों का कहना है कि ''जारी लिस्ट में आरक्षण नियम लागू नहीं किया गया है, जिसके कारण उनका नाम लिस्ट में नहीं है. आरक्षण रोस्टर लागू होता, तो उनका एडमिशन होने का चांस रहता. डिवीजन बेंच ने उनके वकील के तर्कों को सुनने के बाद मेडिकल काउंसिल कमेटी, डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया और राज्य शासन के डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन को नोटिस जारी कर दो जनवरी तक जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा है.''