बिलासपुर: हाईकोर्ट में बुधवार को कई चर्चित मुद्दों पर सुनवाई हुई. सभी की निगाहें कोर्ट के फैसले पर टिकी रही. हाईकोर्ट ने कई मामले में सुनवाई करते हुए अहम फैसले सुनाए हैं. इनमें अजीत जोगी जाति केस, भोरमदेव अभ्यारण को टाइगर रिजर्व घोषित करने, दंतेवाड़ा जिले के बड़े गोदरा गांव को बिना गवर्नर की अनुमति के दो गांवों में बंटना मामले समेत कई केसेस शामिल हैं.
इन केसेस में हुई सुनवाई-
केस-1 : अब 10 और 11 दिसंबर को होगी जोगी जाति मामले की सुनवाई
अजीत जोगी के जाति मामले में बुधवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान कोर्ट के सामने जोगी के वकील ने उच्च छानबीन समिति की रिपोर्ट की कॉपी नहीं मिलने की बात कही है. इस पर कोर्ट ने सुनवाई की तारीख बढ़ा दी है. वकील सुदीप श्रीवास्तव ने बताया कि अब 10 और 11 दिसंबर को सुनवाई होगी. जस्टिस सामंत की एकल पीठ मामले की सुनवाई करेगी. दरअसल, अजीत जोगी को आदिवासी मानने से उच्च छानबीन समिति ने इंकार कर दिया था. इसके बाद जोगी ने उच्च छानबीन समिति की रिपोर्ट को चुनौती देते हुए कोर्ट में याचिका दायर की है. बता दें कि पिछले दिनों जोगी ने छानबीन समिति के रिपोर्ट की कॉपी के अवलोकन के लिए याचिका दायर की थी, जिस पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने शासन को रिपोर्ट की कॉपी जोगी को सौंपने का आदेश जारी किया था, लेकिन समिति की रिपोर्ट की कॉपी जोगी को अभी भी नहीं मिल पाने की वजह से मामले में सुनवाई बढ़ा दी गई.
केस- 2 : भोरमदेव अभ्यारण को टाइगर रिजर्व घोषित करने मांगा 4 सप्ताह का समय
भोरमदेव अभ्यारण को टाइगर रिजर्व घोषित करने दायर याचिका पर सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता नितिन सिंघवी की ओर से इस प्रोजेक्ट में संशोधन और बोर्ड के रिपोर्ट को चैलेंज करने 4 सप्ताह का समय मांगा गया है. मामले में 4 सप्ताह बाद सुनवाई होगी. बता दें कि वाइल्ड लाइफ बोर्ड ने भोरमदेव को टाइगर रिजर्व बनाने के प्रस्ताव को रिजेक्ट कर दिया है. इसके साथ ही 24 नवंबर की मीटिंग में बोर्ड ने ग्रामीणों की असहमति बताते हुए रिजर्व के प्रस्ताव को भी निरस्त कर दिया है. विदित हो कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण NTCA की ओर से साल 2014 में टाइगर रिजर्व की अनुशंसा की गई थी. इसके बावजूद राज्य सरकार ने साल 2018 में प्रस्ताव को रद्द कर दिया था. HC चीफ जस्टिस के डिवीजन बैंच में लगा था मामला.
केस- 3 : बड़े गोदरा गांव मामले में शासन ने मांगा समय
दंतेवाड़ा के बड़े गोदरा गांव को बिना गवर्नर की अनुमति के दो गांव में बांटने के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले में शासन ने जवाब प्रस्तुत करने के लिए कोर्ट से 4 सप्ताह का समय मांगा है. बता दें कि अनुसूचित क्षेत्र के गांव बड़े गोदरा को बिना ग्रामसभा और गवर्नर की अनुमति के बांटने के खिलाफ हिडमाराम ने याचिका दायर की है. इसमें कहा गया है कि अनुसूचित क्षेत्र के गांव के बंटवारे के लिए कलेक्टर के पास अधिकार नहीं है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रामचंद्र मेनन और पीपी साहू की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की.