बिलासपुर : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पति द्वारा पत्नी के साथ जबरिया बनाये गए संबंध को रेप की श्रेणी में नहीं माना है. हाईकोर्ट ने अपने इस ऐतिहासिक फैसले में पति को वैवाहिक बलात्कार के आरोप से मुक्त कर दिया है. पीड़ित पति के अधिवक्ता के मुताबिक अब किसी भी पति के खिलाफ इस आदेश के बाद कहीं भी ऐसा अपराध पंजीबद्ध नहीं होगा. यह आदेश ऐतिहासिक के साथ ही न्यायदृष्टांत भी साबित होगा.
बेमेतरा जिले में पत्नी ने दर्ज कराया था मामला
दरअसल पूरा मामला बेमेतरा जिले का है, जहां एक पत्नी ने अपने पति द्वारा उसके साथ जबरन संबंध बनाने के खिलाफ थाने में बलात्कार का मामला दर्ज करा दिया था. इसको लेकर निचली अदालत में चालान पेश हुआ. निचली अदालत ने पति को इस कृत्य के लिए आरोपी करार दिया था. इसके खिलाफ पीड़ित पति ने अपने अधिवक्ता वाईसी शर्मा के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. अधिवक्ता ने सुप्रीमकोर्ट समेत कई जजमेंट का हवाला दिया था. मामले की सुनवाई जस्टिस एनके चंद्रवंशी की सिंगल बेंच में हुई.
जस्टिस चंद्रवंशी ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला
जस्टिस एनके चंद्रवंशी ने सारे तर्क और जजमेंट को देखने के बाद एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए याचिकाकर्ता पीड़ित पति को वैवाहिक बलात्कार के आरोप से मुक्त कर दिया है. साथ ही पत्नी द्वारा लगाए गए जबरिया संबंध के आरोप को रेप की श्रेणी में भी नहीं माना है.