बिलासपुर: राज्यपाल अनुसुईया उइके सोमवार को कोटा में आदिवासी लोक कला महोत्सव कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुई. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल उइके ने कहा कि आदिवासी समुदाय ने प्रकृति के साथ रहते हुए आदिकाल से लगातार अपने परिवेश की देखभाल कर उसके संरक्षण और संवर्धन का काम किया है. आदिवासी समाज अपने अधिकारों के प्रति सजग रहे.
राज्यपाल ने कहा कि आदिवासी समाज के धर्मगुरुओं द्वारा विश्व की रक्षा के लिए पर्यावरण के संतुलन के सिद्धांतों को भी जीवन में अपनाने का संदेश दिया गया है. हमारे आदिवासी समाज द्वारा गुरुओं के इन संदेशों का प्रचार आधुनिक समाज को नयी दिशा दे सकता है. अपने अधिकारों के प्रति सजग रहकर और समाज एकजुट रह कर ही तरक्की की राह पर आगे बढ़ सकता है. समाज के लोग सजग रहकर ही शासन, प्रशासन तक अपनी बात प्रभावी तरीके से पंहुचा सकते हैं. शासकीय योजनाओं का लाभ भी उठा सकते हैं. आज की जनजातीय युवा पीढ़ी को भी समुदाय के पारंपरिक ज्ञान और रीति-रिवाजों को हस्तांतरित किया जाना चाहिए.
राज्यपाल उइके ने कहा कि इस बदलते परिवेश में आदिवासी समुदाय अपनी पुरातन परंपरा को खोते जा रहा है. अपनी समृद्ध संस्कृति से दूर होता जा रहा है. इस तरह के कार्यक्रम, समुदाय के लोगों को अपनी संस्कृति से परिचित कराने के लिए अति महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने इस मौके पर आदिवासी समाज के माटीपुत्र क्रांतिवीर शहीद वीर नारायण सिंह, वीर गुण्डाधुर, बिरसा मुंडा और रानी दुर्गावती जैसे महान विभूतियों को भी सादर नमन करते हुए कहा कि उनके त्याग और बलिदान के कारण यह समुदाय अपने अस्तित्व को बचाने और उसे उन्नत करने में सफल रहा.
उन्होंने कहा कि अरपा नदी के तट पर यह क्षेत्र कोटा स्थित है. मैं क्षेत्रवासियों की खुशहाली के लिए अरपा नदी से प्रार्थना करती हूं. हमारे देश के संविधान में जनजातीय समाजों के अधिकारों की रक्षा के लिए कई प्रावधान किये गये है. इन प्रावधानों के द्वारा आदिवासियों को किसी भी प्रकार के शोषण और अत्याचार से सुरक्षा प्रदान किये गये है.