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बिलासपुर में कचरे का अंबार, मेयर ने कहा- बिना जनसहयोग के नहीं होगी सफाई

कचरा प्रबंधन के नाम पर भले ही लाखों उपाय क्यों न किए जाए, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है.

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Published : May 6, 2019, 9:55 PM IST

बिलासपुर में कचरे का अंबार

बिलासपुर: शहर में कचरे का अंबार लगा हुआ है. कचरा प्रबंधन के नाम पर भले ही लाखों उपाय क्यों न किए जाए, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है, जिसका खामियाजा आम लोगों को उठाना पड़ रहा है.

बिलासपुर में कचरे का अंबार

बता दें कि बिलासपुर में कचरा उठाने के नाम पर रामकी कंपनी को हर माह 70 लाख रुपए दिए जाते हैं, लेकिन कंपनी आधा-अधूरा उठाव ही करवाती है और शहर में कचरा जहां-तहां बिखरा रहता है.

यहां तक की निगम के डस्टबिन में भी कचरा भरा रहता है, लेकिन उसका तय समय पर उठाव नहीं होता. अगर डोर टू डोर कचरा उठाने की बात करें, तो ठेका कंपनी को हर घर से कचरा उठाकर शहर के कचार स्थित डंपिंग जोन में कचरा डालना है.

शहर के नालियों में भी गंदगी फैली रहती है. निगम प्रशासन की ओर से नालियों की साफ-सफाई के नाम पर महज खानापूर्ति की जाती है.
वहीं महापौर का कहना है कि बिना लोगों के सहयोग से स्वच्छता अभियान में सफलता नहीं पाई जा सकती है.

बिलासपुर: शहर में कचरे का अंबार लगा हुआ है. कचरा प्रबंधन के नाम पर भले ही लाखों उपाय क्यों न किए जाए, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है, जिसका खामियाजा आम लोगों को उठाना पड़ रहा है.

बिलासपुर में कचरे का अंबार

बता दें कि बिलासपुर में कचरा उठाने के नाम पर रामकी कंपनी को हर माह 70 लाख रुपए दिए जाते हैं, लेकिन कंपनी आधा-अधूरा उठाव ही करवाती है और शहर में कचरा जहां-तहां बिखरा रहता है.

यहां तक की निगम के डस्टबिन में भी कचरा भरा रहता है, लेकिन उसका तय समय पर उठाव नहीं होता. अगर डोर टू डोर कचरा उठाने की बात करें, तो ठेका कंपनी को हर घर से कचरा उठाकर शहर के कचार स्थित डंपिंग जोन में कचरा डालना है.

शहर के नालियों में भी गंदगी फैली रहती है. निगम प्रशासन की ओर से नालियों की साफ-सफाई के नाम पर महज खानापूर्ति की जाती है.
वहीं महापौर का कहना है कि बिना लोगों के सहयोग से स्वच्छता अभियान में सफलता नहीं पाई जा सकती है.

Intro:बिलासपुर शहर में कचरा प्रवंधन एक बहुत बड़ी समस्या उभर के सामने आई है । कचरा प्रवंधन के नाम पर भले ही लाख उपाय क्यों ना किये जाय लेकिन जमीन पर हालात ठीक नजर नहीं आते जिसका सीधा खामियाजा आमलोगों को उठाना पड़ता है ।


Body:आपको जानकारी दें कि कचरा उठाने के नाम पर रामकी कंपनी को हर महीने 70 लाख रुपए दिए जाते हैं लेकिन कंपनी आधा अधूरा उठाव ही करवाता है और शहर में कचरा जहाँ तहां बिखरा नजर आता है । यहां तक की निगम के डस्टबिन में कचरा भरा रहता है लेकिन उसका तय समय पर उठाव नहीं होता । बात डोर टू डोर कचरा उठाने की करें तो संवंधित ठेका कंपनी को हर घर से कचरा उठाकर शहर के कछार स्थित डंपिंग ज़ोन में कचरा डालना है । लेकिन शहर में जहाँ तहां बिखरे कचरे को देखकर यह साफ अनुमान लगाया जा सकता है कि संवंधित कंपनी जिम्मेदारी से अपना काम नहीं कर रही है, तो वहीं महापौर सबकुछ ठीक है कहकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं । शहर के नालियों में भी बेतरतीब ढंग से कचरा भरा दिखता है और निगम प्रशासन की ओर से नालियों की साफ सफाई के नाम पर महज खानापूर्ति की जाती है ।


बाईट....1..दुर्गेश साहू...शहरवासी
बाईट....2..सुबोध कुमार... शहरवासी
बाईट....3..किशोर राय.... मेयर
विशाल झा...... बिलासपुर


Conclusion:
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