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आत्महत्या पर कैसे लगे लगाम, मनोचिकित्सक डॉ. आशुतोष तिवारी से ETV भारत की खास बातचीत

वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ.आशुतोष तिवारी से ETV भारत ने खास बातचीत कर जाना कि आखिर क्यों लोग आत्महत्या करते हैं और इसे कैसे रोका जा सकता है.

ETV bharat special conversation with psychiatrist Dr Ashutosh Tiwari
मनोचिकित्सक डॉ.आशुतोष तिवारी से ETV भारत की खास बातचीत
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Published : Jun 17, 2020, 8:59 AM IST

Updated : Jun 17, 2020, 9:50 AM IST

बिलासपुर: बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद से मानसिक दबाव, अवसाद और टेंशन को लेकर दोबारा चर्चा होने लगी है. लोग लगातार इस पर बात कर रहे हैं कि आखिर लोग आत्महत्या क्यों कर लेते हैं. ऐसी स्थिति में मानसिक हालत कैसी होती है, मानसिक तनाव की क्या सीमा है और आखिर मानव मन की वो कौन सी अवस्था होती है, जब इंसान एक झटके में अपनी जिंदगी को मौत में बदल देता है. क्या अवसाद के उस पल से इंसान उबर नहीं सकता है. हमने इन तमाम पहलुओं को मनोचिकित्सक के नजरिए से जानने की कोशिश की. वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. आशुतोष तिवारी से ETV भारत ने खास बातचीत कर जाना कि आखिर क्यों लोग आत्महत्या करते हैं और इसे कैसे रोका जा सकता है.

मनोचिकित्सक डॉ.आशुतोष तिवारी से ETV भारत की खास बातचीत
सवाल - लोग किन परिस्थितियों में आत्महत्या के बारे में सोचते हैं ?

जवाब - इसके पीछे कोई निश्चित कारण नहीं है, लेकिन प्रमुख कारण उदासी और डिप्रेशन को माना जाता है. इसके अलावा मानसिक डिसऑर्डर और नशे की लत भी इसकी वजह बनती है.

सवाल - क्या अतिमहत्वाकांक्षी होना भी डिप्रेशन का कारण हो सकता है ?

जवाब: - महत्वाकांक्षी होना अच्छी बात है, लेकिन सिर्फ ऊंचा टार्गेट लेकर चलना ही नहीं, इस तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत भी करनी पड़ती है. ऐसे मामलों में टार्गेट अचीव नहीं करने से मन में फ्रस्ट्रेशन और कुंठा के भाव आते हैं. इस दौरान लोगों के व्यवहार में बदलाव देखा जाता है. उनका मन बेचैन हो सकता है. ऐसे में नशे की लत भी हो सकती है. इसके बाद लोग आत्महत्या जैसे कदम की ओर बढ़ते हैं.


सवाल - क्या संयुक्त परिवार का टूटना और परिवार से दूर रहना आत्महत्या के लिए प्रेरित करता है ?

जवाब - घर से दूर रहने और एकल परिवार होने पर सपोर्ट सिस्टम में कमी आती है. लोग अपने मन की बात, अपने दुःख-दर्द किसी को बता नहीं पाते हैं, ऐसे में लोग टूट सकते हैं. उनके अंदर परिस्थितियों के आकलन की क्षमता में कमी आती है. ऐसे में कभी-कभी लोग अवसाद में भी चले जाते हैं. लगातार स्थिति ऐसी हो, तो आत्महत्या जैसे कदम भी उठा लेते हैं.

पढ़ें: चीन-भारत तनाव पर विदेश मंत्रालय ने कहा- भारत का रवैया स्पष्ट, सारे काम एलएसी के अंदर

सवाल- एक मनोचिकित्सक के नाते लोगों को क्या सलाह देना चाहेंगे ?

जवाब - जब मन में निराशा के भाव हों या आप फ्रस्ट्रेशन के शिकार हों, तो सबसे पहले अपने किसी नजदीकी से फोन पर बातचीत करनी चाहिए. संभव हो तो आमने-सामने की बातचीत भी कारगर हो सकती है. इसके अलावा ऐसी हालत में संबंधित व्यक्ति को मनोचिकित्सक के पास जाना चाहिए. मनोचिकित्सा के माध्यम से व्यापक पैमाने पर इसका इलाज संभव है. जितना ज्यादा हो सके सकारात्मक होने की कोशिश करें.

सवाल - घर के मुखिया की जिम्मेदारी क्या होनी चाहिए ?

जवाब - किसी भी अनहोनी से बचने के लिए घर के मुखिया को चाहिए कि वो अपने घर के सदस्य को तत्काल डॉक्टर के पास ले जाएं. डॉक्टर या मनोचिकित्सक की सही सलाह किसी भी परेशानी से आपको उबारने में मददगार होती है.

सवाल - लोग मनोचिकित्सक के पास जाने से क्यों बचते हैं.

जवाब - यह सच है कि लोग मनोचिकित्सक के पास नहीं जाना चाहते, क्योंकि आज भी आम लोगों के बीच मानसिक स्वास्थ्य को लेकर गलत धारणा है. मनोरोग को लोग पागलपन के नजरिए से देखते हैं. इसके साथ ही कुछ लोग अपनी परेशानी बताने से बचना चाहते हैं.

सवाल - क्या आधुनिकता और बाजारवाद का भी विपरीत प्रभाव पड़ा है ?

जवाब - हां आधुनिकता, शहरी कल्चर और बाजारवादी सोच का व्यापक प्रभाव पड़ा है. प्रतियोगी भाव के कारण इंसान फ्रस्ट्रेशन का शिकार हो रहा है. कई बार अपने लक्ष्य को कम करने की भी जरूरत होती है. हर परिस्थिति में खुश रहने के अलावा व्यक्ति अपने अन्य गुणों का भी आकलन करे, तो उसके लिए अच्छा होगा.

छत्तीसगढ़ की बात करें तो बीते साल तक के मिले राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े के मुताबिक देश में आत्महत्या के मामले में छत्तीसगढ़ पांचवें स्थान पर है. पूरे देश में हुए आत्महत्या के मामलों में 5.4 केस छत्तीसगढ़ के हैं. इसके आलावा 13 प्रतिशत के साथ महाराष्ट्र पहले नंबर पर है. बता दें कि काफी समय पहले बिलासपुर के एक आईपीएस राहुल शर्मा ने भी आत्महत्या कर ली थी. ETV भारत आपसे अपील करता है कि किसी भी तरह की मानसिक परेशानी होने पर अपनों का साथ लें, जरूरी होने पर बिना झिझक के मनोचिकित्सक के पास जाएं.

बिलासपुर: बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद से मानसिक दबाव, अवसाद और टेंशन को लेकर दोबारा चर्चा होने लगी है. लोग लगातार इस पर बात कर रहे हैं कि आखिर लोग आत्महत्या क्यों कर लेते हैं. ऐसी स्थिति में मानसिक हालत कैसी होती है, मानसिक तनाव की क्या सीमा है और आखिर मानव मन की वो कौन सी अवस्था होती है, जब इंसान एक झटके में अपनी जिंदगी को मौत में बदल देता है. क्या अवसाद के उस पल से इंसान उबर नहीं सकता है. हमने इन तमाम पहलुओं को मनोचिकित्सक के नजरिए से जानने की कोशिश की. वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. आशुतोष तिवारी से ETV भारत ने खास बातचीत कर जाना कि आखिर क्यों लोग आत्महत्या करते हैं और इसे कैसे रोका जा सकता है.

मनोचिकित्सक डॉ.आशुतोष तिवारी से ETV भारत की खास बातचीत
सवाल - लोग किन परिस्थितियों में आत्महत्या के बारे में सोचते हैं ?

जवाब - इसके पीछे कोई निश्चित कारण नहीं है, लेकिन प्रमुख कारण उदासी और डिप्रेशन को माना जाता है. इसके अलावा मानसिक डिसऑर्डर और नशे की लत भी इसकी वजह बनती है.

सवाल - क्या अतिमहत्वाकांक्षी होना भी डिप्रेशन का कारण हो सकता है ?

जवाब: - महत्वाकांक्षी होना अच्छी बात है, लेकिन सिर्फ ऊंचा टार्गेट लेकर चलना ही नहीं, इस तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत भी करनी पड़ती है. ऐसे मामलों में टार्गेट अचीव नहीं करने से मन में फ्रस्ट्रेशन और कुंठा के भाव आते हैं. इस दौरान लोगों के व्यवहार में बदलाव देखा जाता है. उनका मन बेचैन हो सकता है. ऐसे में नशे की लत भी हो सकती है. इसके बाद लोग आत्महत्या जैसे कदम की ओर बढ़ते हैं.


सवाल - क्या संयुक्त परिवार का टूटना और परिवार से दूर रहना आत्महत्या के लिए प्रेरित करता है ?

जवाब - घर से दूर रहने और एकल परिवार होने पर सपोर्ट सिस्टम में कमी आती है. लोग अपने मन की बात, अपने दुःख-दर्द किसी को बता नहीं पाते हैं, ऐसे में लोग टूट सकते हैं. उनके अंदर परिस्थितियों के आकलन की क्षमता में कमी आती है. ऐसे में कभी-कभी लोग अवसाद में भी चले जाते हैं. लगातार स्थिति ऐसी हो, तो आत्महत्या जैसे कदम भी उठा लेते हैं.

पढ़ें: चीन-भारत तनाव पर विदेश मंत्रालय ने कहा- भारत का रवैया स्पष्ट, सारे काम एलएसी के अंदर

सवाल- एक मनोचिकित्सक के नाते लोगों को क्या सलाह देना चाहेंगे ?

जवाब - जब मन में निराशा के भाव हों या आप फ्रस्ट्रेशन के शिकार हों, तो सबसे पहले अपने किसी नजदीकी से फोन पर बातचीत करनी चाहिए. संभव हो तो आमने-सामने की बातचीत भी कारगर हो सकती है. इसके अलावा ऐसी हालत में संबंधित व्यक्ति को मनोचिकित्सक के पास जाना चाहिए. मनोचिकित्सा के माध्यम से व्यापक पैमाने पर इसका इलाज संभव है. जितना ज्यादा हो सके सकारात्मक होने की कोशिश करें.

सवाल - घर के मुखिया की जिम्मेदारी क्या होनी चाहिए ?

जवाब - किसी भी अनहोनी से बचने के लिए घर के मुखिया को चाहिए कि वो अपने घर के सदस्य को तत्काल डॉक्टर के पास ले जाएं. डॉक्टर या मनोचिकित्सक की सही सलाह किसी भी परेशानी से आपको उबारने में मददगार होती है.

सवाल - लोग मनोचिकित्सक के पास जाने से क्यों बचते हैं.

जवाब - यह सच है कि लोग मनोचिकित्सक के पास नहीं जाना चाहते, क्योंकि आज भी आम लोगों के बीच मानसिक स्वास्थ्य को लेकर गलत धारणा है. मनोरोग को लोग पागलपन के नजरिए से देखते हैं. इसके साथ ही कुछ लोग अपनी परेशानी बताने से बचना चाहते हैं.

सवाल - क्या आधुनिकता और बाजारवाद का भी विपरीत प्रभाव पड़ा है ?

जवाब - हां आधुनिकता, शहरी कल्चर और बाजारवादी सोच का व्यापक प्रभाव पड़ा है. प्रतियोगी भाव के कारण इंसान फ्रस्ट्रेशन का शिकार हो रहा है. कई बार अपने लक्ष्य को कम करने की भी जरूरत होती है. हर परिस्थिति में खुश रहने के अलावा व्यक्ति अपने अन्य गुणों का भी आकलन करे, तो उसके लिए अच्छा होगा.

छत्तीसगढ़ की बात करें तो बीते साल तक के मिले राष्ट्रीय क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े के मुताबिक देश में आत्महत्या के मामले में छत्तीसगढ़ पांचवें स्थान पर है. पूरे देश में हुए आत्महत्या के मामलों में 5.4 केस छत्तीसगढ़ के हैं. इसके आलावा 13 प्रतिशत के साथ महाराष्ट्र पहले नंबर पर है. बता दें कि काफी समय पहले बिलासपुर के एक आईपीएस राहुल शर्मा ने भी आत्महत्या कर ली थी. ETV भारत आपसे अपील करता है कि किसी भी तरह की मानसिक परेशानी होने पर अपनों का साथ लें, जरूरी होने पर बिना झिझक के मनोचिकित्सक के पास जाएं.

Last Updated : Jun 17, 2020, 9:50 AM IST
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