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शिक्षाकर्मी को 10 साल बाद मिला न्याय, वेतन समेत नौकरी वापस देने के आदेश - पूर्व रमन सरकार

शिक्षाकर्मी ग्रेड-2 के पद से महेश कुंभकार को सरकार ने नौकरी से निकाल दिया था, लेकिन कोर्ट से 10 साल बाद शिक्षाकर्मी को न्याय मिला है. कोर्ट ने शिक्षाकर्मी को नौकरी वापस देने का आदेश दिया है.

शिक्षाकर्मी को मिला कोर्ट से न्याय
शिक्षाकर्मी को मिला कोर्ट से न्याय
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Published : Nov 29, 2019, 5:19 PM IST

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ की पूर्व रमन सरकार ने शिक्षाकर्मी को बिना सूचना दिए 10 साल पहले नौकरी से निकाल दिया था. इसके बाद मामले में महेश कुंभकार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर कोर्ट से 10 साल बाद शिक्षाकर्मी को न्याय मिला है. कोर्ट ने शिक्षाकर्मी को 10 वर्ष की वेतन सहित नौकरी वापस देने का आदेश दिया है.

पढ़ें: 2015 में किसानों ने बेचा था धान, अब होगा भुगतान

दरअसल, याचिकाकर्ता की सन 1998 में शिक्षाकर्मी ग्रेड-2 के पद पर नियुक्त हुआ था, लेकिन किसी शिकायत के कारण संपूर्ण सलेक्शन लिस्ट को राज्य शासन ने रद्द कर दिया था, जिस पर सभी चयनित कर्मियों ने उच्च न्यायालय में रिट पिटीशन दायर किया.

पढ़ें: महापौर चुनाव: हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को रिज्वॉइंडर पेश करने के दिए आदेश

नए सिरे से चयन सूची बनाने के आदेश
कोर्ट ने 2006 में याचिकाकर्ताओं के पक्ष में निर्णय दिया, जिसके बाद सभी चयनित कर्मियों को दोबारा वर्ष 2006 में सेवा में लिया गया. इस चयन से क्षुब्ध उमाकांत महोबिया जिसका चयन नहीं हुआ था, जिसने दोबारा कोर्ट में प्रकरण दायर कर रिव्यू करने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की. जिस पर कोर्ट ने राज्य सरकार के पूर्व आदेश दिनांक जुलाई 2002 को रद्द कर दोबारा नए सिरे से चयन सूची बनाने का आदेश दिया है.

पढ़ें:हाईकोर्ट अपडेट : इन चर्चित मुद्दों पर सोमवार को हुई सुनवाई

10 वर्ष का संपूर्ण वेतन देने का आदेश
बता दें कि याचिकाकर्ता हाईकोर्ट में अधिवक्ता निमेश कुमार झा के माध्यम से अंतिम तर्क प्रस्तुत किया. जिस पर अंतिम सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता को सेवा में दोबारा बहाली और 10 वर्ष का संपूर्ण वेतन, एरियर, 3 माह के समय सीमा में प्रदान करने का आदेश पारित किया गया है. पूरे प्रकरण की सुनवाई जस्टिस प्रशांत मिश्रा की बेंच में हुई.

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ की पूर्व रमन सरकार ने शिक्षाकर्मी को बिना सूचना दिए 10 साल पहले नौकरी से निकाल दिया था. इसके बाद मामले में महेश कुंभकार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर कोर्ट से 10 साल बाद शिक्षाकर्मी को न्याय मिला है. कोर्ट ने शिक्षाकर्मी को 10 वर्ष की वेतन सहित नौकरी वापस देने का आदेश दिया है.

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दरअसल, याचिकाकर्ता की सन 1998 में शिक्षाकर्मी ग्रेड-2 के पद पर नियुक्त हुआ था, लेकिन किसी शिकायत के कारण संपूर्ण सलेक्शन लिस्ट को राज्य शासन ने रद्द कर दिया था, जिस पर सभी चयनित कर्मियों ने उच्च न्यायालय में रिट पिटीशन दायर किया.

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नए सिरे से चयन सूची बनाने के आदेश
कोर्ट ने 2006 में याचिकाकर्ताओं के पक्ष में निर्णय दिया, जिसके बाद सभी चयनित कर्मियों को दोबारा वर्ष 2006 में सेवा में लिया गया. इस चयन से क्षुब्ध उमाकांत महोबिया जिसका चयन नहीं हुआ था, जिसने दोबारा कोर्ट में प्रकरण दायर कर रिव्यू करने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की. जिस पर कोर्ट ने राज्य सरकार के पूर्व आदेश दिनांक जुलाई 2002 को रद्द कर दोबारा नए सिरे से चयन सूची बनाने का आदेश दिया है.

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10 वर्ष का संपूर्ण वेतन देने का आदेश
बता दें कि याचिकाकर्ता हाईकोर्ट में अधिवक्ता निमेश कुमार झा के माध्यम से अंतिम तर्क प्रस्तुत किया. जिस पर अंतिम सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता को सेवा में दोबारा बहाली और 10 वर्ष का संपूर्ण वेतन, एरियर, 3 माह के समय सीमा में प्रदान करने का आदेश पारित किया गया है. पूरे प्रकरण की सुनवाई जस्टिस प्रशांत मिश्रा की बेंच में हुई.

Intro:शिक्षाकर्मी को बिना सूचना के 10 साल पहले नौकरी से निकालने का मामला। 1998 में ग्रेड 2 पर महेश कुंभकार की हुई थी नियुक्ति। बिना नोटिस दिए व उचित अवसर प्रदान किए शासन ने किया था सेवा मुक्त। नगर पंचायत छुई खदान का है मामला। मामले में महेश ने हाईकोर्ट में दायर की थी याचिका। हाईकोर्ट ने महेश को पुनः बहाल करते हुए 10 वर्ष का संपूर्ण वेतन तथा एरियर 3 माह में प्रदान करने का आदेश जारी किया। Body:पुरा मामला इस प्रकार है कि याचिकाकर्ता महेश कुंभकार जो की सन् 1998 में शिक्षाकर्मी ग्रेड-२ के पद पर नियुक्त हुआ था। बाद में किसी शिकायत उपरांत संपूर्ण सलेक्शन लिस्ट को राज्य शासन ने रद्द कर दिया था, जिस पर सभी चयनित कर्मियों ने उच्च न्यायालय में रिट पिटीशन दायर किया| जिसे उच्च न्यायालय ने 2006 में याचिकाकर्ताओं के पक्ष में निर्णय दिया| जिसके बाद सभी चयनित कर्मियों को पुनः वर्ष 2006 में सेवा में लिया गया इस चयन से क्षुब्ध उमाकांत महोबिया (जिसका चयन नहीं हुआ था) ने पुनः हाईकोर्ट में प्रकरण दायर कर रिव्यू करने हेतु माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दायर की जिस पर माननीय उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के पूर्व आदेश दिनांक 07/2002 रद्द कर पुनः नए सिरे से डिसाइड करने संबंधित पक्षों को यथा उचित नोटिस देकर संपूर्ण चयन लिस्ट को रद्द कर, पुनः नए सिरे से चयन सूची निर्मित करने का आदेश दिया|
उक्त आदेश के परिपालन में राज्य शासन ने याचिकाकर्ता महेश कुंभकार को बिना नोटिस दिए व सुनवाई का उचित अवसर प्रदान किए बिना, सेवा से मुक्त कर दिया| जिसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने माननीय हाईकोर्ट में अधिवक्ता श्री महेंद्र दुबे व अधिवक्ता निमेश कुमार झा के माध्यम से अंतिम तर्क प्रस्तुत किया , जिस पर फाइनल हियरिंग उपरांत याचिकाकर्ता को सेवा में पुनः बहाली एवं 10 वर्ष का संपूर्ण वेतन तथा एरियर , 3 माह के समय सीमा में प्रदान करने का आदेश पारित किया गया है |Conclusion: पूरे प्रकरण की सुनवाई जस्टिस प्रशांत मिश्रा की बेंच में की गई।
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