बिलासपुर: छत्तीसगढ़ की पूर्व रमन सरकार ने शिक्षाकर्मी को बिना सूचना दिए 10 साल पहले नौकरी से निकाल दिया था. इसके बाद मामले में महेश कुंभकार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर कोर्ट से 10 साल बाद शिक्षाकर्मी को न्याय मिला है. कोर्ट ने शिक्षाकर्मी को 10 वर्ष की वेतन सहित नौकरी वापस देने का आदेश दिया है.
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दरअसल, याचिकाकर्ता की सन 1998 में शिक्षाकर्मी ग्रेड-2 के पद पर नियुक्त हुआ था, लेकिन किसी शिकायत के कारण संपूर्ण सलेक्शन लिस्ट को राज्य शासन ने रद्द कर दिया था, जिस पर सभी चयनित कर्मियों ने उच्च न्यायालय में रिट पिटीशन दायर किया.
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नए सिरे से चयन सूची बनाने के आदेश
कोर्ट ने 2006 में याचिकाकर्ताओं के पक्ष में निर्णय दिया, जिसके बाद सभी चयनित कर्मियों को दोबारा वर्ष 2006 में सेवा में लिया गया. इस चयन से क्षुब्ध उमाकांत महोबिया जिसका चयन नहीं हुआ था, जिसने दोबारा कोर्ट में प्रकरण दायर कर रिव्यू करने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की. जिस पर कोर्ट ने राज्य सरकार के पूर्व आदेश दिनांक जुलाई 2002 को रद्द कर दोबारा नए सिरे से चयन सूची बनाने का आदेश दिया है.
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10 वर्ष का संपूर्ण वेतन देने का आदेश
बता दें कि याचिकाकर्ता हाईकोर्ट में अधिवक्ता निमेश कुमार झा के माध्यम से अंतिम तर्क प्रस्तुत किया. जिस पर अंतिम सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता को सेवा में दोबारा बहाली और 10 वर्ष का संपूर्ण वेतन, एरियर, 3 माह के समय सीमा में प्रदान करने का आदेश पारित किया गया है. पूरे प्रकरण की सुनवाई जस्टिस प्रशांत मिश्रा की बेंच में हुई.