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देश में पहली बार छत्तीसगढ़ में लगी ई-लोक अदालत, 2255 से अधिक मामले सॉल्व

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में शनिवार से ई-लोक अदालत की शुरुआत हुई. जिसमें लंबित पड़े मामलों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए निपटाया जा रहा है. ऐसा करने वाला छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है.

e lok adalat
ई-लोक अदालत की शुरुआत
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Published : Jul 11, 2020, 7:31 PM IST

Updated : Jul 11, 2020, 7:45 PM IST

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ ने इतिहास रचा है. हाईकोर्ट और जिला न्यायालय समेत राज्य के अलग-अलग जिला न्यायालय में विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ई लोक अदालत का आयोजन किया गया. देश में छत्तीसगढ़ प्रथम राज्य है जहां कोविड 19 के संकट काल में पक्षकारों को राहत दिलाने विशेष ई लोक अदालत का आयोजन किया गया है. मुख्य न्यायाधीश पीआर रामचंद्र मेनन की ओर से छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग रूम से इसका उद्घाटन किया गया.

पढ़ें: बिलासपुर: आदेश की अवहेलना, HC ने बेमेतरा कलेक्टर और नवागढ़ तहसीलदार को भेजा नोटिस

इस विशेष लोक अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 195 बेंच के जरिए 2,255 से अधिक समझौता योग्य मामलों का निराकरण कर पक्षकारों को राहत प्रदान की गई. जिसमें 500 से ज्यादा मामले केवल रायपुर के थे. वहीं 200 से ज्यादा मामला केवल दुर्ग जिले के थे. लोक अदालत की कार्यवाही सुबह 11 बजे से शुरू हुई जोकि शाम 5 बजे तक चली.

ई-लोक अदालत की सुनवाइयों का शुभारंभ

कोविड-19 कारण लंबे समय से अदालतें बंद हैं. इसके कारण मोटर दुर्घटना दावा, चेक बाउंस, बैंक फाइनेंस, पारिवारिक विवाद के समझौता योग्य मामलों के पक्षकारों को दिक्कत आ रही है. इसे देखते हुए छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण कि ओर से ई-लोक अदालत का आयोजन शनिवार से शुरू किया गया है. इस मौके पर हाईकोर्ट चीफ जस्टिस रामचंद्र मेनन ने उद्घाटन कर ई-लोक अदालत की सुनवाइयों का शुभारंभ किया. इस मौके पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष जस्टिस प्रशांत मिश्रा भी मौजूद थे.

पढ़ें: लॉकडाउन प्रभावित वकीलों के केस में हाईकोर्ट ने बार काउंसिल को स्कीम पेश करने का दिया आदेश

इस विशेष लोक अदालत में समझौता योग्य मामलों के पक्षकारों से पहले ही सहमति पत्र प्राप्त कर लिया गया है. सुनवाइयों के दौरान पक्षकार एक कोर्ट के लिंक में जाकर सीधे कोर्ट से जुड़ेंगे. इसमें पीठासीन अधिकारी दोनों पक्षों से मामले में समझौता किए जाने के संबंध में पूछेंगे. अगर दोनों पक्ष समझौते के लिए सहमत होते हैं, तो प्रकरण का निराकरण कर उस पर अंतिम आदेश पारित किया जाएगा.

पक्षकार और वकील को कोर्ट आने की जरुरत नहीं

लोक अदालत में ज्यादातर मामले रायपुर जिला न्यायालय, उसके बाद दुर्ग के प्रकरण रखे गए हैं. मामलों की सुनवाइयों के दौरान पक्षकार, वकील दोनों को कोर्ट आने की आवश्यकता नहीं होगी.

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ ने इतिहास रचा है. हाईकोर्ट और जिला न्यायालय समेत राज्य के अलग-अलग जिला न्यायालय में विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ई लोक अदालत का आयोजन किया गया. देश में छत्तीसगढ़ प्रथम राज्य है जहां कोविड 19 के संकट काल में पक्षकारों को राहत दिलाने विशेष ई लोक अदालत का आयोजन किया गया है. मुख्य न्यायाधीश पीआर रामचंद्र मेनन की ओर से छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग रूम से इसका उद्घाटन किया गया.

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इस विशेष लोक अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 195 बेंच के जरिए 2,255 से अधिक समझौता योग्य मामलों का निराकरण कर पक्षकारों को राहत प्रदान की गई. जिसमें 500 से ज्यादा मामले केवल रायपुर के थे. वहीं 200 से ज्यादा मामला केवल दुर्ग जिले के थे. लोक अदालत की कार्यवाही सुबह 11 बजे से शुरू हुई जोकि शाम 5 बजे तक चली.

ई-लोक अदालत की सुनवाइयों का शुभारंभ

कोविड-19 कारण लंबे समय से अदालतें बंद हैं. इसके कारण मोटर दुर्घटना दावा, चेक बाउंस, बैंक फाइनेंस, पारिवारिक विवाद के समझौता योग्य मामलों के पक्षकारों को दिक्कत आ रही है. इसे देखते हुए छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण कि ओर से ई-लोक अदालत का आयोजन शनिवार से शुरू किया गया है. इस मौके पर हाईकोर्ट चीफ जस्टिस रामचंद्र मेनन ने उद्घाटन कर ई-लोक अदालत की सुनवाइयों का शुभारंभ किया. इस मौके पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष जस्टिस प्रशांत मिश्रा भी मौजूद थे.

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इस विशेष लोक अदालत में समझौता योग्य मामलों के पक्षकारों से पहले ही सहमति पत्र प्राप्त कर लिया गया है. सुनवाइयों के दौरान पक्षकार एक कोर्ट के लिंक में जाकर सीधे कोर्ट से जुड़ेंगे. इसमें पीठासीन अधिकारी दोनों पक्षों से मामले में समझौता किए जाने के संबंध में पूछेंगे. अगर दोनों पक्ष समझौते के लिए सहमत होते हैं, तो प्रकरण का निराकरण कर उस पर अंतिम आदेश पारित किया जाएगा.

पक्षकार और वकील को कोर्ट आने की जरुरत नहीं

लोक अदालत में ज्यादातर मामले रायपुर जिला न्यायालय, उसके बाद दुर्ग के प्रकरण रखे गए हैं. मामलों की सुनवाइयों के दौरान पक्षकार, वकील दोनों को कोर्ट आने की आवश्यकता नहीं होगी.

Last Updated : Jul 11, 2020, 7:45 PM IST
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