बिलासपुर: छत्तीसगढ़ में मानसून ने दस्तक दे दी है. इस बीच बिलासपुर में मानसूनी बाजार में रौनक नजर आ रही है. 2 साल बाद इस बार बारिश में बरसाती सामानों का व्यापार जमकर चल रहा है. बारिश शुरू होने से बाजार में छाता और रेनकोट की डिमांड बढ़ गई है. कोरोनाकाल के बाद यह पहला साल होगा, जब बारिश की शुरुआत में ही मानसूनी बाजार में रौनक आ गई हो. रेनकोट और छाता के अलावा तिरपाल और प्लास्टिक के बड़े छावनी वाले कपड़ों की मांग भी इस बार बढ़ी हुई है. व्यापारियों की मानें तो इस बार मानसून का बाजार अच्छा चल रहा (demand for umbrella and raincoat increased in Bilaspur) है.
बाजारों में उमड़ी ग्राहकों की भीड़: दरअसल, बारिश से बचने को और अपने काम को बिना रुकावट पूरा करने को लोग छाता और रेनकोट का सहारा लेते हैं. मानसून में रेनकोट और छाता का बाजार भी काफी बड़े पैमाने पर संचालित होता है. छाता और रेनकोट का बाजार सीजन में जिले में 8 से 10 करोड़ रुपए का होता है. मानसून के दौरान व्यापारी इसका लाभ उठाने को पूरी तरह से तैयार रहते हैं. कोरोना की पहली लहर से ही मानसून का बाजार ठंडा रहा है. व्यापार न होने से व्यापारी मायूस नजर आ रहे थे. हर साल की तरह व्यापारी कोरोनाकाल के समय अत्यधिक मात्रा में छाता, रेनकोट और बारिश से बचाने सामानों को ढकने वाले पन्नी और तिरपाल स्टाक कर लिए थे. हालांकि कोरोनकाल के बंद ने लोगों की आर्थिक स्थिति खराब कर दी थी. इस कारण आम लोगों ने कई जरूरी सामानों की खरीदी बंद कर दी थी. इस बार इस तरह का माहौल नहीं है और लोगों की दो सालों के मुकाबले आर्थिक स्थिति भी बेहतर है. यही वजह है कि मानसून का बाजार अन्य उत्पादों के बाजार से इस बार ज्यादा उठ रहा है.
दाम बढ़ने का भी असर नहीं पड़ रहा: पिछले साल के मुकाबले इस साल अन्य सामानों के दाम बढ़ने का असर छाता और रेनकोट पर भी पड़ा है. सभी बरसाती सामान पहले से 20 फीसद तक महंगे हो गए हैं. इसके कारण छाते भी महंगे हुए हैं, लेकिन छातों और रेनकोट के महंगे होने के बावजूद भी खरीदी करने वालों पर इसका कोई असर नहीं पड़ रहा है. अच्छे से अच्छा और महंगे से महंगा रेनकोट और छाता लोग खरीद रहे हैं. तालपत्री और बड़े सामानों को ढ़कने वाले पन्नी पर भी महंगाई की मार तो पड़ी है, लेकिन डिमांड इतनी ज्यादा है कि ग्राहक कीमत की परवाह नहीं कर रहे हैं. इस बार बाजार में ग्राहकों की अच्छी भीड़ देखने को मिल रही है. व्यापारियों की मानें तो 2 साल के मुकाबले इस बार छाता और रेनकोट का बाजार अच्छा रहेगा और जमकर खरीदारी भी होगी.
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स्कूली बच्चों में रेनकोट और छातों की डिमांड: स्कूल खुलने के साथ ही मानसून की शुरुआत होने पर बच्चों के लिए लोग स्कूल जाने की नियत से रेनकोट और छाता की खरीदी कर रहे हैं. छोटे बच्चों के रेनकोट और छातों की डिमांड ज्यादा है. बच्चों के लिए विशेष रूप से व्यापारियों ने डिजाइनर और कार्टून वाले रेनकोट और छाते मंगाए हैं. व्यापारियों ने बच्चों का विशेष ख्याल रख उनके लिए आकर्षित छोटा भीम और डोरेमोन रेनकोट बिक्री के लिए रखा हुआ है. जिसकी मांग बहुत है. इसे खरीदने को बच्चे दुकान पर आ रहे हैं. स्कूल खुल जाने से यह रेनकोट अधिक बिक रहा है. माता-पिता भी स्कूल भेजने और बारिश से बचाने की व्यवस्था के लिए रेनकोट और छातों की खरीदी कर रहे हैं. छात्रों के माता-पिता ने बताया कि बच्चों के लिए विशेष रूप से स्कूल जाने के दौरान पहनाने के लिए रेनकोट की खरीदी करने बाजार पहुंचे हैं.
रॉ मटेरियल, इम्पोर्ट ड्यूटी और ट्रांपोर्टिंग से महंगे हुए सामान: पिछले साल के मुकाबले इस साल मानसून का बाजार थोड़ा महंगा है. इस महंगाई के पीछे का कारण व्यापारियों ने बताया कि बरसाती सामानों के रॉ मैटेरियल और इंपोर्ट ड्यूटी पहले से बढ़ गई है, जिस वजह से सामानों की कीमतें बढ़ी है. पहले से हर सामानों पर तकरीबन 10 फीसद तक इजाफा हुआ है. महंगाई का असर इस व्यापार पर भी तो पड़ा है. इसके अलावा ट्रांसपोर्टिंग में खर्च ज्यादा होता है. ट्रांसपोर्ट वाले डीजल की कीमत बढ़ने की वजह से ट्रांसपोर्ट भाड़ा बढ़ा दिए हैं, इसलिए भी सामानों की कीमत बढ़ गई है.