बिलासपुर: कोविड-19 (COVID-19) की तीसरी लहर के दौरान वायरस के डेल्टा+ वेरिएंट (Delta+ Variants) के कहर मचाने की आशंका बनी हुई है. छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्यों में इससे संक्रमित होने वाले मरीज भी मिलने लगे हैं. बिलासपुर में भी दूसरे राज्यों से हर रोज काफी लोग आ रहे हैं. रेलवे स्टेशन (Bilaspur Railway Station) और बस स्टैंड में जांच को लेकर प्रशासन लापरवाह दिखाई दे रहा है.
इन राज्यों में मिले डेल्टा+ वैरिएंट
मौजूदा स्थिति में डेल्टा+ वेरिएंट (Delta+ Variants) के मामले में छत्तीसगढ़ अभी भी सुरक्षित है. लेकिन पड़ोसी राज्यों में लगातार इसके मरीज मिल रहे हैं. ऐसे में प्रदेश में भी इस वेरिएंट के मरीज मिलने की आशंका बढ़ रही है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि दूसरे प्रदेशों से आने वाले लोगों की प्रॉपर जांच नहीं की जा रही है. ट्रेन और बसों के माध्यम से हर दिन हजारों यात्री दूसरे प्रदेशों से शहर आ रहे हैं. इसमें उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों से भी बड़ी संख्या में लोगों का आवागमन हो रहा है. इन राज्यों में डेल्टा वेरिएंट के मरीज मिल चुके हैं, ऐसे में इन प्रदेशों से आने वाले लोगों की जांच की व्यवस्था कहीं नहीं दिख रही है.
कितना खतरनाक है डेल्टा प्लस वेरिएंट, कोरोना की तीसरी लहर से कैसे बचें ?
बाहर से आने वालों की नहीं हो रही जांच
शहर के प्रमुख बस स्टैंड में जांच की कोई व्यवस्था नहीं है, जबकि रोजाना 12 से ज्यादा बसें दूसरे प्रदेशों से शहर पहुंच रही हैं. यही स्थिति रेलवे स्टेशन की भी है. यहां जांच की व्यवस्था जरूर की गई है, लेकिन इसमें भी सभी लोगों का जांच नहीं हो रहा है. लिहाजा डेल्टा वेरिएंट को लेकर प्रशासन की सतर्कता नाकाफी दिख रही है. जिला स्वास्थ्य अधिकारी (district health officer) की माने तो बाहर से आने वाले लोगों को खुद से जागरूक होकर जांच में सहयोग करना होगा, लेकिन लोग ऐसा करते नहीं दिख रहे हैं, जिसके कारण उनकी जांच नहीं हो पा रही है.
ट्रेन- बस से हजारों यात्री करते हैं सफर
प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा जिले होने के कारण ज्यादातर लोग यहां अन्य राज्यों से ट्रेन और बस के माध्यम से सफर करते हैं. लॉकडाउन खत्म होने के बाद रेलवे स्टेशन हो या बस स्टैंड यात्रियों की भीड़ बढ़ती जा रही है. स्वास्थ्य विभाग (district health office) द्वारा रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड में जांच की सुविधा तो है लेकिन यात्री टेस्ट कराने से कतरा रहे हैं. यात्रियों की जांच नहीं होने से डेल्टा+ वैरिएंट का खतरा प्रदेश के सभी जिलों में बढ़ गया है.
सर्तक है सरकार
डेल्टा+ (Delta Plus) वेरिएंट को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार भी सतर्क है. खासतौर पर पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश में इसके मामले सामने आने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रशासन को सतर्कता बरतने के निर्देश दिए थे. इसके साथ ही सड़क मार्ग से आने जाने वालों पर भी नजर रखने के लिए कहा गया है.
डेल्टा प्लस को लेकर क्या कहते हैं विशेषज्ञ ?
लखनऊ के केजीएमयू की माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. शीतल वर्मा के मुताबिक, अभी तक हुए अध्ययन में डेल्टा वेरिएंट (B.1.617.2) को कोरोना वायरस का सबसे संक्रामक रूप बताया जा रहा था. वहीं अब डेल्टा वेरिएंट, डेल्टा प्लस में तब्दील हो गया है. इसलिए ज्यादा सतर्क और ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है.
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक कुछ विशेषज्ञों ने डेल्टा प्लस वैरिएंट पर कुछ दवाओं या वैक्सीन का असर ना होने की बात भी कही है. लेकिन फिलहाल डेल्टा+ वैरिएंट (Delta+ Variants) को लेकर रिसर्च जारी है और इसे लेकर सरकार या इससे जुड़े अन्य संस्थानों की तरफ से इस तरह की औपचारिक जानकारी नहीं दी गई है.
वैक्सीनेशन है बेहद जरुरी
दुनियाभर में इस वक्त कोरोना वैक्सीनेशन का दौर चल रहा है. विशेषज्ञ भी टीकाकरण को वायरस के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार बता चुके हैं. इसलिये विशेषज्ञ जल्द से जल्द ज्यादा से ज्यादा आबादी के टीकाकरण पर जोर देते हैं. इसके अलावा कोरोना का कोई भी वेरिएंट हो, विशेषज्ञ कोविड-19 से जुड़ी सावधानियां बरतने पर जोर देते हैं. जैसे मास्क पहनने से लेकर बार-बार हाथ धोने और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करना.
क्या है डेल्टा प्लस वैरिएंट ?
भारत में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान डेल्टा वेरिएंट यानि 6.1.617.2 ने, जो कहर बरपाया था. उससे देश अभी भी जूझ रहा है. यही डेल्टा वैरिएंट अब म्यूटेंट होकर डेल्टा प्लस में तब्दील हो गया है. यह सबसे पहले यूरोप में मिला था. कुल मिलाकर डेल्टा प्लस पुराने वेरिएंट डेल्टा का विकसित रूप है.