बिलासपुर : केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी उज्जवला योजना में भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है. गरीबों को मुफ्त में मिलने वाले गैस कनेक्शन सिर्फ कागजों में ही दिए जा रहे हैं. असल में आज भी कई घर में चूल्हा नहीं जल रहा है. लेकिन जब केंद्र सरकार ने सभी गैस कनेक्शन धारकों को गैस रीफिल कराने के लिए 800 रुपये उनके खाते में जमा कराए, तब जाकर हितग्राहियों को उनके साथ हुई धोखाधड़ी का पता चला.
गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में BPL सूची के हितग्राहियों से पहले तो कई बार फार्म भराए गए. गैस कनेक्शन स्वीकृति होने के बावजूद भी उन्हें हर बार यह कहकर लौटा दिया गया कि आपका गैस कनेक्शन स्वीकृत नहीं हुआ है.
पढ़ें : बापू जिंदा है, हमारी चेतना में, हमारे गांव में, हमारी गलियों में: सीएम भूपेश बघेल
800 रुपये खाते में जमा
भोले-भाले आदिवासी ग्रामीणों ने गैस वितरकों के बहकावे में आकर उनकी बात पर विश्वास कर लिया. किसी तरह यह गरीब हितग्राही लकड़ी और कंडे से ही भोजन बनाने के लिए आश्रित हो गए. महिलाएं उसी तरह मिट्टी के चूल्हे में लकड़ी लगाकर भोजन बनाने को मजबूर हैं. कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान केंद्र सरकार की ओर से 800 रुपये उनके खाते में सीधे जमा किए गए. इसके बाद इन हितग्राहियों को पता चला कि उनके नाम से भी गैस कनेक्शन है तब इस बड़े गड़बड़झाले की जानकारी हितग्राहियों के सामने आई.
कलेक्टर ने कार्रवाई का दिया आदेश
हालांकि इसके बावजूद स्थानीय गैस कनेक्शन वितरकों ने उन्हें गैस कनेक्शन नहीं दिया, जबकि कई साल पहले इनके नाम से गैस कनेक्शन जारी किया जा चुका था. मामले की जानकारी जब जिला कलेक्टर को दी गई तो उन्होंने इस मामले की जांच कराकर जल्द कार्रवाई करने की बात कही है.