बिलासपुर: हाईकोर्ट ने गुरुवार कहा कि विभागीय सजा के 6 महीने बाद फिर से उसी मामले की जांच के लिए किसी मामले को रि-ओपन करने का अधिकार IG को नहीं है. दरअसल, कोंडागांव के बयाना थाने में पदस्थ रहे आरक्षक उमेश वाघमारे की एक याचिका पर जस्टिस गौतम भादुड़ी की सिंगल बेंच ने गुरुवार को सुनवाई की. कोर्ट ने जारी अपने आदेश में बस्तर के IG को याचिकाकर्ता के खिलाफ किसी भी प्रकार की विभागीय कार्रवाई पर रोक लगा दी है.
क्या है मामला
कोंडागांव जिले के बयाना थाने में पदस्थ रहे आरक्षक उमेश वाघमारे के खिलाफ मिली एक शिकायत को लेकर थाने में अपराध पंजीबद्ध किया गया था. प्रकरण की सुनवाई के बाद कोंडागांव अपर सत्र न्यायालय ने उमेश को दोषमुक्त कर दिया था. दोष मुक्ति के बाद कोंडागांव SP ने उमेंश के खिलाफ जांच की. इसके बाद 2016 में छोटी सजा से दंडित किया था. SP के दंड आदेश से असंतुष्ट IG ने बड़ी सजा के लिए मामले को 3 साल बाद रिओपन किया था. आरक्षक उमेश वाघमारे ने IG के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. जिसके बाद गुरुवार को फैसला याचिकाकर्ता उमेश के पक्ष में आया. हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि छोटी सजा दिए जाने के 6 माह बाद बड़ी सजा देने के लिए IG को मामले को रिओपन करने का अधिकार नहीं है.