बिलासपुर: क्रिसमस के वेलकम के लिए बिलासपुर का बाजार सजकर तैयार हो गया है. ईसाई समाज के लोग प्रभु यीशु मसीह के जन्मदिन को लेकर अभी से तैयारियों में जुट गए हैं. शहर के सभी गिरजाघरों को अभी से सजाने का काम शुरु हो चुका है. बिलासपुर में इस बार ईसाई समाज के लोगों ने प्रभु यीशु मसीह की विशाल झांकी भी बनाने वाले हैं. 25 दिसंबर के दिन इसाई समाज बपतिस्मा की मान्यता को भी धूमधाम से मनाता है.
क्या है बपतिस्मा?: बपतिस्मा एक संस्कार है, जिसमें ईसाई समाज में प्रवेश से पहले संस्कार कराया जाता है. कहा जाता है कि बपतिस्मा "कृपा का एक जरिया" है, जिसके माध्यम से ईश्वर को संसार में रहने के लिए विचारों से मजबूत बनाता है. कहा जाता है कि बपतिस्मा का संस्कार चर्च का द्वार है सात संस्कारों में ये पहला माना जाता है. बपतिस्मा संस्कार लेने के बाद कोई भी इंसान चर्च का सदस्य माना जाता है.
सिरका और रोटी करते हैं ग्रहण: प्रभु यीशु को मानने वाले लोगों के बीच बपतिस्मा की प्रथा बड़ी खास होती है. इस खास प्रथा के दौरान ईसाई समाज के लोग प्रार्थना के दौरान पवित्र अकरस यानि रोटी और सिरका बांटते हैं. पवित्र अकरस को सभी ईसाई भक्त ग्रहण करते हैं. पवित्र सिरका और रोटी का खास महत्व ईसाई समाज में माना जाता है. मान्यता है कि सिरका और रोटी ग्रहण करने से यीशु मसीह के संदेश और उपदेश भक्त के मन में आते हैं. सिरका और रोटी खाने वाले भक्त प्रभु के वचनों को जीवन में आत्मसात करता है. कहा जाता है कि सिरका रोटी खाने वाला भक्त समाज में भाईचारे का संदेश देता है.
प्रोटेस्टेंट चर्च में खास तैयारियां: शहर के सबसे बड़े चर्च प्रोटेस्टेंट चर्च में हर साल की तरह इस बार भी बड़ा दिन मनाने की खास तैयारियां की गई हैं. चर्च के रेवरेंट ने बताया कि धर्म और समाज की सेवा के लिए धर्म का बदलना जरूरी नहीं हैं, जरूरी है मन का बदलना. चर्च के पादरी ने कहा कि ईसाइयत एक सोच है. इंसानियत की भलाई और मानव की सेवा का जो भी काम करता है प्रभु यीशु मसीह खुद उसे आशीष देते हैं. खुद यीशु मसीह हमेशा प्रेम और भाईचारे का संदेश लोगों को देते आ रहे हैं.