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नदिया किनारे, किसके सहारे : 'डेड' हो गई बिलासपुर को जीवन देने वाली अरपा - package

बिलासपुर की जीवनदायिनी अरपा नदी आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. अरपा नदी जो वर्षों पहले शहर में एक जीवंत नदी के रूप में जानी जाती थी, आज एक-एक बूंद पानी को तरस रही है.

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Published : Jul 1, 2019, 8:07 PM IST

बिलासपुर: 'नदिया किनारे, किसके सहारे' में अब बात प्रदेश की संस्कारधानी बिलासपुर की जीवनदायिनी अरपा नदी की. छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा कोई नदी अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है तो वो है अरपा. कभी सदानीरा के रूप में पहचान बनाने वाली अरपा आज मृतप्राय होती नजर आ रही है.

बिलासपुर को जीवन देने वाली अरपा

बिलासपुर की जीवनदायिनी अरपा नदी आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. अरपा नदी जो वर्षों पहले शहर में एक जीवंत नदी के रूप में जानी जाती थी, आज एक-एक बूंद पानी को तरस रही है.

अरपा के इस बदहाली के पीछे वैसे तो कई कारण हैं लेकिन एक जो सबसे महत्वपूर्ण कारण है वह है अवैध रेत उत्खनन. अरपा में वर्षों से अनवरत रेत माफियाओं ने कब्जा जमा रखा है और मनमाने ढंग से रेत का उत्खनन बिना रोक-टोक जारी है.

स्थानीय लोगों की मानें, तो रेत माफियाओं से प्रशासन की कहीं न कहीं एक मिलीभगत रहती है इसलिए रेत के अवैध कारोबारी बेखौफ रेत उत्खनन करते हैं और उनके खिलाफ कोई ठोस एक्शन नहीं लिया जाता है.

शहर से लगे लगभग आधा दर्जन रेत घाट में अवैध रूप से उत्खनन का कार्य किया जाता है. हाल ही में कलेक्टर ने रेत उत्खनन पर रोक लगाने के सख्त निर्देश दिए थे जो बेअसर साबित हो रहा है. अरपा की बदहाली और खासकर रेत उत्खनन के मामले में सियासत भी हावी है.

बिलासपुर के नवोदित विधायक इस मामले में जहां कड़ी कार्रवाई और जल्द ठोस नीति बनाने की बात कर रहे हैं तो वहीं मेयर किशोर राय का कहना है कि जो पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने अरपा विकास प्राधिकरण के माध्यम से जो नीतियां बनाई थीं उसे महज क्रियान्वयन करने की जरूरत है न कि राजनीतिक दुर्भावना दिखाने की.

रेत उत्खनन का सारा खेल प्रशासन की नाक के नीचे होता है. जानकार कहते हैं कि यह तब तक संभव नहीं है जब तक रेत माफिया और प्रशासन की मिलीभगत न हो.

अरपा नदी, शिवनाथ की सहायक नदी के रूप में जानी जाती है, जो पेंड्रा स्थित अमरपुर गांव से निकलकर 100 से अधिक किलोमीटर की दूरी तय कर शिवनाथ नदी में मिल जाती है.

बिलासपुर: 'नदिया किनारे, किसके सहारे' में अब बात प्रदेश की संस्कारधानी बिलासपुर की जीवनदायिनी अरपा नदी की. छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा कोई नदी अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है तो वो है अरपा. कभी सदानीरा के रूप में पहचान बनाने वाली अरपा आज मृतप्राय होती नजर आ रही है.

बिलासपुर को जीवन देने वाली अरपा

बिलासपुर की जीवनदायिनी अरपा नदी आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. अरपा नदी जो वर्षों पहले शहर में एक जीवंत नदी के रूप में जानी जाती थी, आज एक-एक बूंद पानी को तरस रही है.

अरपा के इस बदहाली के पीछे वैसे तो कई कारण हैं लेकिन एक जो सबसे महत्वपूर्ण कारण है वह है अवैध रेत उत्खनन. अरपा में वर्षों से अनवरत रेत माफियाओं ने कब्जा जमा रखा है और मनमाने ढंग से रेत का उत्खनन बिना रोक-टोक जारी है.

स्थानीय लोगों की मानें, तो रेत माफियाओं से प्रशासन की कहीं न कहीं एक मिलीभगत रहती है इसलिए रेत के अवैध कारोबारी बेखौफ रेत उत्खनन करते हैं और उनके खिलाफ कोई ठोस एक्शन नहीं लिया जाता है.

शहर से लगे लगभग आधा दर्जन रेत घाट में अवैध रूप से उत्खनन का कार्य किया जाता है. हाल ही में कलेक्टर ने रेत उत्खनन पर रोक लगाने के सख्त निर्देश दिए थे जो बेअसर साबित हो रहा है. अरपा की बदहाली और खासकर रेत उत्खनन के मामले में सियासत भी हावी है.

बिलासपुर के नवोदित विधायक इस मामले में जहां कड़ी कार्रवाई और जल्द ठोस नीति बनाने की बात कर रहे हैं तो वहीं मेयर किशोर राय का कहना है कि जो पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने अरपा विकास प्राधिकरण के माध्यम से जो नीतियां बनाई थीं उसे महज क्रियान्वयन करने की जरूरत है न कि राजनीतिक दुर्भावना दिखाने की.

रेत उत्खनन का सारा खेल प्रशासन की नाक के नीचे होता है. जानकार कहते हैं कि यह तब तक संभव नहीं है जब तक रेत माफिया और प्रशासन की मिलीभगत न हो.

अरपा नदी, शिवनाथ की सहायक नदी के रूप में जानी जाती है, जो पेंड्रा स्थित अमरपुर गांव से निकलकर 100 से अधिक किलोमीटर की दूरी तय कर शिवनाथ नदी में मिल जाती है.

Intro:पूरे विश्व में जल संकट की समस्या को लेकर इनदिनों खूब बहस हो रही है । जाहिर सी बात है जल है जीवन है की परिकल्पना ने मानव को नदियों के संरक्षण को लेकर एक बार फिर से चिंतित कर दिया है । तो आज हम बात करेंगे प्रदेश की संस्कारधानी बिलासपुर की जीवनदायिनी अरपा नदी की बदहाली के बारे में । कभी अन्तःसलिला के रूप में पहचान बनानेवाली अरपा आज मृतप्राय होती नजर आ रही है ।


Body:बिलासपुर की जीवनदायिनी अरपा नदी आज अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है । अरपा नदी जो वर्षों पहले शहर में एक जीवंत नदी के रूप में जानी जाती थी आज एक-एक बूंद पानी को तरस रही है । अरपा के इस बदहाली के पीछे वैसे तो कई कारण हैं लेकिन एक जो सबसे महत्वपूर्ण कारण है वह है अवैध रेत उत्खनन । अरपा में वर्षों से अनवरत रेत माफियाओं ने कब्जा जमा रखा है और मनमाने ढंग से रेत का उत्खनन बेरोकटोक जारी है । स्थानीय लोगों की मानें तो रेत माफियाओं से प्रशासन की कहीं ना कहीं एक मिलीभगत रहती है इसलिए रेत के अवैध कारोबारी बेखौफ रेत उतख़नन करते हैं और उनके खिलाफ कोई ठोस एक्शन नहीं लिया जाता । शहर से लगे लगभग आधा दर्जन रेत घाट में अवैध रूप से उत्खनन का कार्य किया जाता है । अवैध रेत उत्खनन और परिवहन की जो तस्वीर हम आपको दिख रहे हैं वो आज दोपहर की तस्वीर है । जबकि हाल ही में कलेक्टर ने रेत उत्खनन पर रोक लगाने के सख्त निर्देश दिए थे जो बेअसर साबित हो रहा है । अरपा के बदहाली और खासकर रेत उत्खनन के मामले में सियासत भी हावी है । बिलासपुर के नवोदित विधायक इस मामले में जहाँ कड़ी कार्रवाई और जल्द ठोस नीति बनाने की बात कर रहे हैं तो वहीं मेयर किशोर राय का कहना है कि जो पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने अरपा विकास प्राधिकरण के माध्यम से जो नीतियां बनाई थी उसे महज क्रियान्वयन करने की जरूरत है नाकि राजनीतिक दुर्भावना दिखाने की । नियमानुसार अरपा से सीमित और आवश्यक कार्य हेतु रेत उत्खनन किये जा सकते हैं लेकिन तमाम नियम कायदों को तोड़कर अरपा से रेत उतख़नन के कार्य होते हैं । अत्यधिक रेत उत्खनन के पीछे एक तर्क यह भी दिया जाता है कि शहर में आवश्यक निर्माण कार्यों को लेकर रेत की जरूरत अधिक है लिहाजा प्रशासन के नाक के नीचे सारा कारोबार चलता है । जानकारों की मानें तो यह तबतक सम्भव नहीं है जबतक रेत माफिया और प्रशासन की मिलीभगत ना हो ।
आपको जानकारी दें कि अरपा नदी शिवनाथ नदी की सहायक नदी के रूप में जानी जाती है जो पेंड्रा स्थित अमरपुर गांव से
निकलकर 100 से अधिक किमी की दूरी तय कर शिवनाथ नदी में मिल जाती है ।

bite...1...राजेश जायसवाल... स्थानीय निवासी
Bite...2...अजय काले...........स्थानीय निवासी
bite...3...किशोर राय.... महापौर(टोपी पहने हुए)
बाईट...4...शैलेष पांडेय....बिलासपुर विधायक

विशाल झा...... बिलासपुर


Conclusion:
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