बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के कैदियों के पैरोल और जमानत अवधि बढ़ाने को लेकर मंगलवार को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. जेलों में बंद कैदियों और विचाराधीन बंदियों को लेकर राज्य सरकार का आग्रह हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया है. बता दें, राज्य शासन ने इन कैदियों के पैरोल और जमानत की अवधि बढ़ाने का आग्रह हाईकोर्ट में दिया था. जिसके बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की आग्रह पर कैदियों के पैरोल की अवधि 31 जुलाई तक बढ़ा दी है.
राज्य सरकार का निवेदन स्वीकार
राज्य सरकार ने कहा था कि कोरोना वायरस के मद्देनजर कैदियों को दी गई जमानत और पैरोल की अवधि समाप्त होने को है. अगर इन कैदियों को जेल में वापस भेजा गया और इनमें से कोई भी कोरोना वायरस के लक्षणों के साथ जेल में पहुंच गया तो समस्या पैदा हो सकती है. मामले पर शासन की दलील सुनने के बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के आग्रह को स्वीकार कर लिया है.
पैरोल की अवधि बढ़ने की जानकारी नहीं
इसके साथ ही उन कैदियों की ओर से भी आवेदन दायर किए गए थे, जिन्होंने पैरोल की अवधि समाप्त होने के पहले सरेंडर कर दिया था. उन्होंने अपने आवेदन में कहा है कि उन्हें पैरोल की अवधि बढ़ने की कोई जानकारी नहीं थी. इसलिए उन्होंने सरेंडर किया था. कैदियों ने कहा है कि जब पैरोल की अवधि बढ़ाई गई है तो उन्हें भी इसका लाभ मिलना चाहिए, लेकिन अब जेल प्रशासन उन्हें बाहर नहीं आने दे रहा है.
कैदियों के संबंध में विचार का आदेश
मामले में हाईकोर्ट ने हाईपावर कमेटी को ऐसे कैदियों के संबंध में विचार करने का आदेश दिया है. पूरे मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रामचंद्र मैनन और जस्टिस पी पी साहू की डिवीजन बेंच में की गई.