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NGO में बच्चों की मौत: HC ने केंद्र, राज्य और ED से मांगा जवाब

छत्तीसगढ़ के एनजीओ में बच्चों की मौत के मामले में हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार समेत ईडी से जवाब मांगा है. कोर्ट ने तीनों से तीन हफ्ते में जवाब-तलब किया है.

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Published : Jan 29, 2021, 8:20 PM IST

high court seeks response from ed including center and state government
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के गैर सरकारी संगठनों (NGO) में बच्चों की मौत का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है. एक जनहित याचिका में आरोप लगाया है कि 2014 से अब तक अलग-अलग NGO में 8 बच्चों की भूख की वजह से मौत हो चुकी है. जबकि शासन की ओर से इन संस्थाओं को करोड़ों रुपए का अनुदान दिया जा रहा है. याचिका पर हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार, राज्य सरकार और ED (प्रवर्तन निदेशालय) को नोटिस जारी कर 3 हफ्ते में जवाब मांगा है.

9 करोड़ का मिला था अनुदान

रायपुर की संस्था कोपल वाणी चाइल्ड वेलफेयर ने वकील जेके गुप्ता और देवर्षि ठाकुर के जरिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. याचिका में बताया गया है कि राज्य शासन की ओर से समाज कल्याण विभाग के तहत सामाजिक संस्थाओं को अनुदान दिया जाता है. वह संस्था जो निराश्रित बच्चों के लिए काम कर रही है, उनके लिए अलग से घरौंदा योजना शुरू की गई थी. इसके तहत पीतांबरा संस्था समेत 4 संस्थाओं को 9.76 करोड़ रुपये अनुदान दिया गया था.

पढ़ें: जेपी नड्डा के खिलाफ मानहानि याचिका वापस

शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं

पीतांबरा और कुछ अन्य संस्थाओं में 2014 से लेकर अब तक 8 बच्चों की मौत हो गई है. इनमें से जब 2017 में एक घटना पीतांबरा में हुई तो इसकी शिकायत की गई. खुद समाज कल्याण विभाग के सचिव ने कहा था कि FIR होनी चाहिए. मामले में ED से भी शिकायत हुई थी. बड़ी रकम की हेर-फेर का मामला सामने आया था. याचिका में संस्था कोपल वाणी की ओर से कोर्ट में कहा गया कि शासन के अनुदान का दुरुपयोग हो रहा है.

सरकारी मदद के बाद भी भूख से मर रहे बच्चे

याचिकाकर्ता संस्था की ओर से कहा गया है कि जो लोग इस क्षेत्र में बेहतर काम कर रहे हैं, उन्हें कोई सहायता नहीं मिल पाती है. इतनी बड़ी रकम होने के बाद भी भूख से बच्चों की यह स्थिति भयावह है. चीफ जस्टिस की युगल खंडपीठ ने मामले में केंद्र सरकार, राज्य सरकार और प्रवर्तन निदेशालय को अपना जवाब पेश करने के लिए 3 हफ्ते का समय दिया है. मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन और जस्टिस पीपी साहू की बेंच में हुई है.

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के गैर सरकारी संगठनों (NGO) में बच्चों की मौत का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है. एक जनहित याचिका में आरोप लगाया है कि 2014 से अब तक अलग-अलग NGO में 8 बच्चों की भूख की वजह से मौत हो चुकी है. जबकि शासन की ओर से इन संस्थाओं को करोड़ों रुपए का अनुदान दिया जा रहा है. याचिका पर हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार, राज्य सरकार और ED (प्रवर्तन निदेशालय) को नोटिस जारी कर 3 हफ्ते में जवाब मांगा है.

9 करोड़ का मिला था अनुदान

रायपुर की संस्था कोपल वाणी चाइल्ड वेलफेयर ने वकील जेके गुप्ता और देवर्षि ठाकुर के जरिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. याचिका में बताया गया है कि राज्य शासन की ओर से समाज कल्याण विभाग के तहत सामाजिक संस्थाओं को अनुदान दिया जाता है. वह संस्था जो निराश्रित बच्चों के लिए काम कर रही है, उनके लिए अलग से घरौंदा योजना शुरू की गई थी. इसके तहत पीतांबरा संस्था समेत 4 संस्थाओं को 9.76 करोड़ रुपये अनुदान दिया गया था.

पढ़ें: जेपी नड्डा के खिलाफ मानहानि याचिका वापस

शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं

पीतांबरा और कुछ अन्य संस्थाओं में 2014 से लेकर अब तक 8 बच्चों की मौत हो गई है. इनमें से जब 2017 में एक घटना पीतांबरा में हुई तो इसकी शिकायत की गई. खुद समाज कल्याण विभाग के सचिव ने कहा था कि FIR होनी चाहिए. मामले में ED से भी शिकायत हुई थी. बड़ी रकम की हेर-फेर का मामला सामने आया था. याचिका में संस्था कोपल वाणी की ओर से कोर्ट में कहा गया कि शासन के अनुदान का दुरुपयोग हो रहा है.

सरकारी मदद के बाद भी भूख से मर रहे बच्चे

याचिकाकर्ता संस्था की ओर से कहा गया है कि जो लोग इस क्षेत्र में बेहतर काम कर रहे हैं, उन्हें कोई सहायता नहीं मिल पाती है. इतनी बड़ी रकम होने के बाद भी भूख से बच्चों की यह स्थिति भयावह है. चीफ जस्टिस की युगल खंडपीठ ने मामले में केंद्र सरकार, राज्य सरकार और प्रवर्तन निदेशालय को अपना जवाब पेश करने के लिए 3 हफ्ते का समय दिया है. मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन और जस्टिस पीपी साहू की बेंच में हुई है.

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