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बिलासपुर: अरपा किनारे अतिक्रमण हटाने के मामले में हाईकोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

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Published : Jun 9, 2020, 7:11 PM IST

बिलासपुर में अरपा नदी के किनारे अतिक्रमण हटाने के मामले में मंगलवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद सभी 54 याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया है.

chhattisgarh highcourt
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट

बिलासपुर: अरपा नदी के किनारे से अतिक्रमण हटाने के खिलाफ दायर याचिका पर मंगलवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है. अतिक्रमण हटाने के खिलाफ कुल 54 याचिकाएं दायर की गई थी.

सोमवार को अरपा नदी के किनारे रह रहे लोगों के मकानों को प्रशासन ने अरपा बैराज निर्माण के लिए तोड़ दिए थे. इस दौरान प्रशासन को लोगों के भारी आक्रोश का भी सामना करना पड़ा था. बाद में प्रशासन पर लोगों की बात न सुनने का आरोप लगाते हुए लोगों ने हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसपर मंगलवार को सुनवाई हुई है.

30 साल पहले सरकार से खरीदी थी जमीन

हाईकोर्ट ने इन याचिकाओं पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. लोगों द्वारा दायर याचिका में याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने पट्टे पर 30 साल के लिए सरकार से ये जमीन ली थी, जिसका दस्तावेज भी उन लोगों के पास मौजूद है.

पढ़ें- सरायपाली कोयला खदान के भू-विस्थापितों का 14 जून से अनिश्चितकालीन आंदोलन

रहने लायक नहीं है अटल आवास

इसके साथ ही याचिकाकर्ताओं का कहना है कि बिना मोहल्ला समिति का निर्माण किए ही उनके मकान तोड़ दिए गए हैं. नियमानुसार अतिक्रमण हटाने से पहले मोहल्ला समिति का गठन करना अनिवार्य होता है, साथ ही समिति से हामी लेने के बाद ही अतिक्रमण को हटाया जा सकता है. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उन्हें उनके तोड़े गए मकान के एवज में जो अटल आवास आवंटित किए गए हैं वह रहने लायक नहीं है.

पूर्व सीएम रमन सिंह ने सरकार पर कसा तंज

सोमवार को बिलासपुर पहुंचे पूर्व सीएम रमन सिंह ने भी मामले में कहा था कि, 'बिलासपुर ऐसा पहला शहर है जहां विस्थापितों के पुनर्वास के पहले ही मकानों को तोड़ा जा रहा है. लॉकडाउन के वक्त सरकार का यह फैसला सही नहीं था.'

बिलासपुर: अरपा नदी के किनारे से अतिक्रमण हटाने के खिलाफ दायर याचिका पर मंगलवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है. अतिक्रमण हटाने के खिलाफ कुल 54 याचिकाएं दायर की गई थी.

सोमवार को अरपा नदी के किनारे रह रहे लोगों के मकानों को प्रशासन ने अरपा बैराज निर्माण के लिए तोड़ दिए थे. इस दौरान प्रशासन को लोगों के भारी आक्रोश का भी सामना करना पड़ा था. बाद में प्रशासन पर लोगों की बात न सुनने का आरोप लगाते हुए लोगों ने हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसपर मंगलवार को सुनवाई हुई है.

30 साल पहले सरकार से खरीदी थी जमीन

हाईकोर्ट ने इन याचिकाओं पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. लोगों द्वारा दायर याचिका में याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने पट्टे पर 30 साल के लिए सरकार से ये जमीन ली थी, जिसका दस्तावेज भी उन लोगों के पास मौजूद है.

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रहने लायक नहीं है अटल आवास

इसके साथ ही याचिकाकर्ताओं का कहना है कि बिना मोहल्ला समिति का निर्माण किए ही उनके मकान तोड़ दिए गए हैं. नियमानुसार अतिक्रमण हटाने से पहले मोहल्ला समिति का गठन करना अनिवार्य होता है, साथ ही समिति से हामी लेने के बाद ही अतिक्रमण को हटाया जा सकता है. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उन्हें उनके तोड़े गए मकान के एवज में जो अटल आवास आवंटित किए गए हैं वह रहने लायक नहीं है.

पूर्व सीएम रमन सिंह ने सरकार पर कसा तंज

सोमवार को बिलासपुर पहुंचे पूर्व सीएम रमन सिंह ने भी मामले में कहा था कि, 'बिलासपुर ऐसा पहला शहर है जहां विस्थापितों के पुनर्वास के पहले ही मकानों को तोड़ा जा रहा है. लॉकडाउन के वक्त सरकार का यह फैसला सही नहीं था.'

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